कुढ़नी से बीजेपी के केदार गुप्ता ने जीत हासिल की है.
राघवेंद्र मिश्रा
बिहार में इसी साल जदयू और राजद की सरकार बनने के बाद राजनीतिक पंडित इस गठबंधन को बेजोड़ करार दे रहे थे. लेकिन पिछले कुछ उपचुनावों के नतीजे ने एक सवाल खड़ा कर दिया है. गोपालगंज के बाद कुढ़नी में गठबंधन की हार ने राजनीतिक पंडितों को अचंभित कर दिया है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव लगातार दावा कर रहे हैं कि ये सरकार जनता की सरकार है. लेकिन इस गठबंधन के बनने के बाद हुए उपचुनावों ने अलग ही तस्वीर पेश की है. भाजपा के केदार प्रसाद गुप्ता ने जदयू के नेता मनोज कुशवाहा को दो हजार से अधिक वोटों से हरा दिया है.
आज आए कुढ़नी उपचुनाव के नतीजे देखिए. बीते चुनाव में यहां से जेडीयू की जीत हुई थी. इस बार उसे आरजेडी का साथ भी मिला. लेकिन बीजेपी ने ऐसा चक्रव्यूह रचा कि जेडीयू के गढ़ में भी जीत का सेहरा अपने सिर बांध लिया. वह भी तब, जब जेडीयू-आरजेडी साथ थे. नीतीश और तेजस्वी चाहकर भी बीजेपी के बनाए चक्रव्यूह को भेद नहीं पाए.
भाजपा ने यूं रचा चक्रव्यूह
बीजेपी के केदार प्रसाद गुप्ता ने जेडीयू-आरजेडी के प्रत्याशी मनोज कुशवाहा को मात दे दी. वह भी तब जब इस सीट पर कुशवाहा वोटर्स को विनिंग फैक्टर माना जाता रहा है. कुल 3 लाख 11 हजार वोटर्स में 40 हजार कुशवाहा ही हैं. लेकिन, बीजेपी ने इसमें एक एक्स फैक्टर खोज लिया. वो एक्स फैक्टर है सहनी समाज. सहनी समाज के 25 हजार वोटर्स को बीजेपी अपने खेमे में लाने में कामयाब रही और इसका असर चुनावी परिणाम पर दिख रहा है.
गोपालगंज में भी गठबंधन खा चुका है मात
इससे पहले गोपालगंज उपचुनाव में भी यही स्थिति देखने को मिली थी. हालांकि, ये सीट बीजेपी की ही थी, लेकिन आरजेडी और जेडीयू के साथ आने से एक बड़ा वोटबैंक बीजेपी के लिए चुनौती था. लेकिन, बीजेपी के रणनीतिकारों ने जो समीकरण बनाया, उसे महागठबंधन सॉल्व नहीं कर पाया.
मोकामा उपचुनाव
ऐसा ही मोकामा में हुए उपचुनाव में देखने को मिला. अनंत सिंह जैसे नाम के होने के बाद और जेडीयू-आरजेडी गठबंधन होने के बाद भी बीजेपी ने जिस तरह ये चुनाव लड़ा, उससे तमाम रणनीतिकारों के बनाए हुए समीकरण धरे के धरे रह गए. एक समय चुनाव इतना रोमांचक स्थिति में पहुंच गया था कि कोई कह नहीं सकता था कि ऊंट किस करवट बैठेगा.
उपचुनावों के ये नतीजे बताते हैं कि नीतीश-तेजस्वी के तमाम दावे बीजेपी रणनीतिकार फेल करते जा रहे हैं. बिहार में बीजेपी छोटे भाई से बड़े भाई बनने के बाद अब अपना और विस्तार करती दिख रही है. राजनीतिक विश्लेषक कहते आए हैं कि उपचुनाव में सरकार का बहुत रोल होता है. लेकिन बिहार में बीजेपी विपक्ष में होने के बाद भी जीत रही है.
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