गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह की फाइल फोटो
पटना. अगर आप भी देश के महान गणितज्ञ डॉ वशिष्ठ नारायण सिंह (Mathematician Vashisth Narayan Singh) से जुड़ी चीजों का दीदार करना चाहते हैं या उनके ज्ञान के सागर में गोता लगाना चाहते तो अब ‘शुक्रिया वशिष्ठ’ संस्था आपको बुला रही है. शुक्रिया वशिष्ठ की लाइब्रेरी (Library) में वशिष्ठ बाबू से जुड़ी जहां तमाम किताबें ,नोट्स, रिसर्च पेपर, चिट्ठियां, तस्वीरें और दुर्लभ हस्तलिखित गणित के फॉर्मूले देखने को मिल जाएंगे, वहीं उनके हारमोनियम, बांसुरी और तबले भी रखे गए हैं.
वशिष्ठ नारायण सिंह के भतीजे मुकेश सिंह की मानें तो वशिष्ठ बाबू के निधन के बाद लाइब्रेरी खोलने का एक मात्र मकसद है कि नई पीढ़ी के लोगों को मालूम हो कि ऐसे थे गणित के भगवान जिन्होंने दुनिया में गणित के दम पर बिहार का परचम लहराया. पटना के आशियाना-दीघा रोड स्थित अभियंता नगर की इस लाइब्रेरी में ज्ञान विज्ञान की सैकड़ों पुस्तकों के अलावे धार्मिक पुस्तकें रामचरित मानस से लेकर श्री मद भागवत गीता तक उपलब्ध हैं तो आईआईटी कानपुर से लेकर कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी की यादें भी.
गणित के महान जादूगर जिसने आईन्स्टीन के सिद्ध्यान्त तक को चुनौती दी थी तो नासा के वैज्ञानिकों ने भी लोहा माना था तब जब नासा में एक साथ 31 कम्प्यूटर ने काम करना बंद कर दिया था लेकिन वशिष्ठ बाबू ने कम्प्यूटर की तर्ज पर गणना कर सबको चौंका दिया था. उनका ब्रेन 31 कम्प्यूटर के बराबर काम करता था.
लंबे समय तक गुमनामी की ज़िंदगी जीने वाले महान गणितज्ञ ने 14 नवम्बर 2019 को दुनिया को अलविदा कहा था. मरणोपरांत भारत सरकार ने इनके नाम पर पद्मश्री पुरुस्कार की घोषणा की थी. आज लाइब्रेरी में उनसे जुड़ी सभी यादें सहेज कर रखी गई है ताकि गणित के भगवान अपनी कीर्ति से अमर रहें. मुकेश सिंह पिछले एक साल से शुक्रिया वशिष्ठ संस्था चला रहे हैं जहां 40 बच्चों को मुफ्त में शिक्षा दी जा रही है. इस संस्थान में स्मार्ट क्लास रूम के साथ ही लाइब्रेरी भी अब तैयार है और संस्थान में बच्चों का नामांकन टेस्ट के आधार पर लिया जाता है.
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