पटना. शराबबंदी के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट नीतीश सरकार (Supreme Court on Nitish Government) के कानून बनाने पर सवाल खड़े कर रहा है. पटना हाई कोर्ट (Patna High Court) शराबबंदी केसों की बढती संख्या को लेकर उच्चतम न्यायालय से गुहार लगा रहा है. दूसरी ओर विपक्ष के राजद, कांग्रेस, वाम दलों के साथ सरकार में शामिल जीतन राम मांझी की हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा और भाजपा ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Chief Minister Nitish Kumar) के खिलाफ मोर्चा खोल लिया. इन सबके बीच सुशील कुमार मोदी (Sushil Kumar Modi) एक बार फिर ढाल बनकर आए और नीतीश कुमार के खिलाफ हो रही घेराबंदी को फिर ध्वस्त कर दिया.
दरअसल, हाल में ही नालंदा में कथित तौर पर जहरीली शराब पीने से 13 लोगों की मौत के बाद सियासी बवाल और बढ़ गया. नीतीश सरकार पर और दबाव बढ़ा और मीडिया में खबरें चलने लगी थीं कि मुख्यमंत्री बढ़ते दबाव के कारण जल्दी ही शराबबंदी कानून में संशोधन कर सकते हैं. इसके तहत शराबियों को जेल भेजने के बदले कड़े जुर्माने का प्रावधान किया जाएगा. यहां तक कि सरकार की सहयोगी पार्टी भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल भी शराबबंदी कानून को लेकर सवाल करने लगे. कई अन्य नेताओं ने भी हमले शुरू किए, लेकिन इन सियासी हमलों के बीच सुशील मोदी सामने आए और शराबबंदी कानून के पक्ष में एक के बाद एक कई ट्वीट कर डाले.
नीतीश के बचाव में खुलकर आए सुशील मोदी
सुशील मोदी ने ट्वीट में लिखा, नालंदा में जहरीली शराब से मरने की घटना अत्यंत दुखद है, लेकिन ऐसी त्रासदी से पूर्ण मद्यनिषेध का कोई संबंध नहीं है. जिन राज्यों में शराबबंदी लागू नहीं है, वहां अक्सर बिहार से ज्यादा बड़ी घटनाएं हुईंं. पश्चिम बंगाल में 2011 में जहरीली शराब पीने से 167, महाराष्ट्र में 2015 में 102 और 2019 में यूपी-उत्तराखंड में 108 लोगों की जान गई. इनमें से किसी राज्य में शराबबंदी लागू नहीं है. वर्ष 2016 में जब जहरीली शराब पीने से गोपालगंज में 19 लोगों की मौत हुई थी, तब राज्य सरकार ने स्पीडी ट्रायल के जरिये पांच साल के भीतर 13 लोगों को दोषी सिद्ध कराया. इनमें से 9 को फांसी और 4 महिलाओं को उम्र कैद की सजा सुनायी गई. नालंदा और जहरीली शराब से मौत की सभी घटनाओं में स्पीडी ट्रायल का रास्ता अपना कर ही पीड़ितों को न्याय दिलाया जा सकता है.
तार किशोर प्नसाद ने भी सुशील मोदी का दिया साथ
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बचाव में सुशील मोदी के मैदान में आते ही भाजपा नेताओं का रुख भी बदलता हुआ लगा. इस बार बिहार भाजपा के बड़े नेता व बिहार के डिप्टी सीएम तारकिशोर प्रसाद मैदान में आ गए. उपमुख्यमंत्री ने उन तमाम कयासों पर विराम लगा दिया जिसमें यह कहा जा रहा था कि अप्रैल 2016 से लागू बिहार मद्य निषेध उत्पाद अधिनियम-2016 में संशोधन किया जाएगा. मंगलवार को पटना स्थित बीजेपी कार्यालय में युवा विंग के कार्यक्रम ब्लड डोनेशन में शामिल हुए तारकिशोर प्रसाद ने कहा कि शराबबंदी कानून पर एनडीए पूरी तरह से एकजुट है और शराबबंदी कानून का पूरी तरह से पालन किया जाएगा.
डिप्टी सीएम ने बताई नीतीश सरकार के अंदरखाने की बात
डिप्टी सीएम ने पूर्व सीएम जीतन राम मांझी के उस बयान पर भी प्रतिक्रिया दी जिसमें जीतन राम मांझी ने शराबबंदी कानून की समीक्षा की बातें कही थी. डिप्टी सीएम तारकिशोर प्रसाद ने कहा कि पूर्व सीएम जीतन राम मांझी हमारे अभिभावक हैं. एनडीए के महत्वपूर्ण घटक दल है उन्होंने अपने विचार और सलाह दिए हैं लेकिन अभी तक एनडीए विधानमंडल में शराबबंदी संशोधन पर कोई बात नहीं हुई है.
हालांकि तारकिशोर प्रसाद इसी मुद्दे पर बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल कुछ भी बोलने से बचते नजर आए. लेकिन, उनके बयान से यह साफ हो गया कि अब भी सुशील कुमार मोदी का भाजपा में काभी दबदबा है और सीएम नीतीश कुमार के पक्ष में उनके खड़े होने के साथ ही भाजपा नेताओं के बयान आने भी बंद हो गए हैं.
वर्ष 2005 में जब नीतीश कुमार ने बिहार के मुख्यमंत्री की कमान संभाली तो उनके साथ ही भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी भी उनके साथ उपमुख्यमंत्री के तौर पर हो लिए थे. 2005 से लेकर जब तक बिहार में भाजपा-जदयू की एनडीए की सरकार बिहार में रही इन दोनों ही नेताओं के बीच शानदार ट्यूनिंग देखी गई. कई ऐसे मौके आए जब सीएम नीतीश कुमार सियासी रूप से घेरे जाने लगे तो सुशील मोदी ने उस घेरे को अपने दम पर तोड़ डाला और नीतीश कुमार को घेरेबंदी से साफ बचा ले गए.
सियासी गलियारों में तो यहां तक कहा जाने लगा कि सुशील मोदी नीतीश कुमार के ढाल हैं. सियासत के जानकार बताते हैं कि जेपी आंदोलन की पृष्ठभूमि से जुड़े इन दोनों ही नेताओं में सियासी दूरी बढ़ी भी तो व्यक्तिगत संबंधों में कभी भी तल्खी नहीं आई. जाहिर है सुशील मोदी एक फिर अपने दोस्त सीएम नीतीश कुमार के काम आए और शराबबंदी पर सियासी घेरेबंदी से फिलहाल के लिए फिर निकाल ले गए. अब देखना दिलचस्प रहेगा कि जिस तरह भाजपा ने इस मुद्दे पर अपना रुख नर्म कर लिया है अब नीतीश कुमार आने वाले समय में क्या फैसला लेते हैं.
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