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Bihar Politics: चिराग पासवान पर कितना बड़ा 'राजनीतिक प्रहार' है संसदीय दल अध्यक्ष पद से हटाया जाना?

लोजपा पारस गुट के अध्यक्ष पशुपति कुमार पारस ने नवादा सांसद वीणा देवी को एलजेपी संसदीय बोर्ड का अध्यक्ष मनोनीत किया.

लोजपा पारस गुट के अध्यक्ष पशुपति कुमार पारस ने नवादा सांसद वीणा देवी को एलजेपी संसदीय बोर्ड का अध्यक्ष मनोनीत किया.

Chirag Paswan News: एक सितंबर (बुधवार) को लोक जनशक्ति पार्टी के लेटर पैड पर जारी आदेश के अनुसार पशुपति कुमार पारस ने अप ...अधिक पढ़ें

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पटना. लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) में राजनीतिक-पारिवारिक विवाद का क्रम अब भी लगातार जारी है. साथ ही पशुपति कुमार पारस (Pashupati Kumar Paras) के द्वारा अपने भतीजे व सांसद चिराग पासवान (Chirag Paswan) को झटका देने का सिलसिला भी अनवरत है. राष्ट्रीय अध्यक्ष और संसदीय दल के नेता पद से हटाने के बाद अपने ताजा फैसले के तहत पशुपति कुमार पारस ने चिराग पासवान को संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष पद से भी हटा दिया है. अध्यक्ष  पारस ने उनकी जगह बिहार के नवादा से सांसद वीणा देवी (Nawada MP Veena Devi) को संसदीय बोर्ड का अध्यक्ष बना दिया है. राजनीति के जानकारों के अनुसार पशुपति कुमार पारस द्वारा चिराग पासवान के लिए यह बहुत बड़ा झटका माना जा रहा है क्योंकि चिराग पासवान के प्रति पारस की तल्खी लगातार जाहिर हो रही है और सुलह की सारी संभावनाओं को नकार दिया है.

दरअसल, एक सितंबर (बुधवार) को लोक जनशक्ति पार्टी के लेटर पैड पर जारी आदेश के अनुसार पशुपति कुमार पारस ने अपने आदेश में लिखा है कि, ”श्रीमती वीणा देवी जी यह जानकर खुशी होगी कि आपको लोक जनशक्ति पार्टी केंद्रीय पार्लियामेंट्री बोर्ड के राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद पर मनोनीत किया जाता है. आशा है कि आप पूर्ण मुस्तैदी एवं तन-मन-धन से पार्टी के संगठन के कार्य को संगठित मजबूत एवं जुझारू बनाने का हर संभव प्रयास करते रहेंगे. शुभकामनाओं सहित आपका पशुपति कुमार पारस.

13 जून की रात लोजपा में बजा था बगावत का बिगुल
बता दें कि बीते 15 जून को लोक जनशक्ति पार्टी में फूट पड़ गई थी और इसी के साथ पार्टी पर कब्जे को लेकर पशुपति कुमार पारस और चिराग पासवान ने के अपने-अपने दावे हैं. पहले तो दिवंगत रामविलास पासवान के छोटे भाई व बिहार के हाजीपुर से सांसद पशुपति कुमार पारस ने खुद को लोजपा संसदीय दल का नया नेता घोषित किया था. इसके बाद पार्टी री राष्ट्रीय कार्यकारिणी की आपात बैठक अपने दिल्ली स्थित आवास पर बुलाते हुए दिवंगत राम विलास पासवान के पुत्र व अपने सांसद भतीजे चिराग पासवान को राष्ट्रीय अध्यक्ष से हटाने की घोषणा कर दी.

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चिराग पासवान ने भी किया था पारस गुट पर पलटवार
उस वक्त लोजपा के कुछ छह सांसदों में पांच सांसद पशुपति कुमार पारस के साथ थे. पारस गुट ने पार्टी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष एवं पूर्व सांसद सूरज सिंह उर्फ सूरज भान सिंह को लोजपा का राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष व चुनाव प्रभारी की जिम्मेवारी दी थी. हालांकि, इस फैसले के तत्काल बाद चिराग पासवान ने पलटवार करते हुए देर शाम राष्ट्रीय कार्यकारिणी की वर्चुअल बैठक की और बागी पांचों सांसद (पशुपति कुमार पारस, चौधरी महबूब अली कैसर, वीणा देवी, प्रिंस राज और चंदन सिंह) को पार्टी से निकाल दिया था.

बागी सांसदों ने लोजपा संविधान का हवाला दे लिया एक्शन
बता दें कि लोजपा में बगावत की शुरुआत हुई 13 जून की रात को हुई जब 6 लोकसभा सांसदों वाली लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) के संसदीय दल के नेता और पार्टी के राष्ठ्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान के खिलाफ पांच सांसदों ने चाचा पशुपति कुमार पारस के नेतृत्व में उनके खिलाफ बगावत कर दी. सबसे पहले उन्हें एलजेपी संसदीय दल के नेता के पद से हटाया गया. इसे लोकसभा सचिवालय की मंजूरी भी मिल गई. फिर 15 जून को बागी सांसदों ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी की आपातकालीन बैठक बुलाकर पार्टी संविधान का हवाला देते हुए उन्हें राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से हटा दिया.

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लोजपा के बागी पांच सांसदों में बिहार के ये नेता हैं शामिल
इसके बाद सांसद सूरजभान सिंह को कार्यकारी अध्यक्ष बनाने की बात कही गई. लोजपा में हुए नए अध्यक्ष का चुनाव उनकी देख-रेख में हुआ. 17 जून को सांसद सूरजभान सिंह के पटना स्थित आवास पर पहले पशुपति कुमार पारस ने अध्यक्ष पद के लिए नामांकन किया. इसके बाद उन्हें निर्विरोध अध्यक्ष चुन लिया गया था. इससे पहले 15 जून को लोक जनशक्ति पार्टी के संस्थापक रामविलास पासवान के भाई पशुपति लोकसभा में पार्टी के संसदीय दल के नेता चुने गए थे. बगावती सांसदों में पशुपति पारस पासवान (हाजीपुर) के अलावा प्रिंस राज (समस्तीपुर), चंदन सिंह (नवादा), वीणा देवी (वैशाली) और महबूब अली केसर (खगड़िया) शामिल हैं.

भावुक चिराग पासवान ने चाचा पारस को लेकर कही थी यह बात
हालांकि, एक राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक चिराग ने भी बुलाई थी जिसमें पार्टी के उन पांच सांसदों को निष्कासित करने का फैसला किया गया जिन्होंने चिराग के खिलाफ बगावत की थी. अब यह देखना रोचक होगा कि किस राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक पर कानूनी मंजूरी मिलती है. मामला चुनाव आयोग के पास लंबित है. गौरतलब है कि पार्टी अध्यक्ष पद से हटाए जाने के बाद चिराग पासवान ने इस बगावत का ठीकरा जनता दल यूनाइटेड के नेता व बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर फोड़ा था. उन्होंने आरोप लगाया था कि जब उनके पिता रामविलास पासवान बीमार थे. उस दौरान भी ऐसी कोशिशें हुईं थीं. चिराग पासवान ने तब भावुक होते हुए कहा था, जब पिताजी का निधन बीते साल हुआ, उस वक्त भी अनाथ जैसा महसूस नहीं किया. लेकिन अब कर रहा हूं.

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चिराग के भावुक बयानों का भी पारस पर कोई असर नहीं
इस बीच पशुपति कुमार पारस और चिराग पासवान के बीच तल्खी इतनी बढ़ चुकी है कि पारस ने एक बयान में यह तक कह दिया कि सूरज पश्चिम से उगेगा तब भी चिराग से मेल नहीं हो सकता. अपने चाचा के इस तल्ख बयान के बाद भी जमुई के सांसद चिराग पासवान ने कहा कि वे माने न मानें मैं उनका भतीजा रहूंगा ही. आज भी उन्‍हें अपना चाचा मानता हूं। उनमें अपने पिता की छवि देखी. हमेशा वे मेरे लिए उस भूमिका में रहेंगे. हालांकि उनके इन भावुक बयानों का फिलहाल पशुपति कुमार पारस पर कोई असर होता नहीं दिख रहा है.

चिराग पासवान के खिलाफ थाने में दर्ज करवाई गई है शिकायत
बता दें कि लोजपा के छह में पांच सांसदों के बगावत के बाद से चिराग पासवान अकेले रह गए हैं. चाचा पशुपति पारस, भाई प्र‍िंसराज और अन्‍य तीन सांसद उनका साथ छोड़ चुके हैं. केंद्रीय मंत्रिमंडल में विस्‍तार में आपत्ति के बावजूद पशुपति कुमार पारस को केंद्र में मंत्री बनाया गया. हालांकि वे राज्‍य के अलग-अलग जिलों में आशीर्वाद यात्रा निकाल रहे है. इधर पारस एवं लोजपा के एक नेता ने धमकी दिए जाने की शिकायत पटना के शास्त्री नगर थाने में दर्ज कराई है जिसमें चिराग पासवान को आरोपित किया गया है. इसी तरह दिल्ली के पार्लियामेंटी स्ट्रीट थाने में भी एक शिकायत दर्ज करवाई गई है. जाहिर है चिराग अकेले पड़ गए हैं और लगातार उन्हें चारों ओर से घेरकर उनकी राजनीति खत्म करने की कवायद की जा रही है.

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