NOTA दबाने में सबसे आगे रहा बिहार, पढ़ें कौन सा क्षेत्र रहा अव्वल

सांकेतिक चित्र
लोकसभा चुनाव 2019 में बिहार के सभी 40 लोकसभा क्षेत्रों में से एक तिहाई में मतदाताओं के लिए नोटा तीसरा सबसे पसंदीदा विकल्प बनकर उभरा है.
- News18 Bihar
- Last Updated: May 25, 2019, 8:55 AM IST
लोकसभा चुनाव के लिए हुए मतदान में राष्ट्रीय औसत से बिहार एक बार फिर पीछे रहा, लेकिन नोटा के इस्तेमाल में पूरे देश सबसे अव्वल आया है. देश में सबसे ज्यादा बिहार की जनता ने नोटा का बटन दबाकर अपने उम्मीदवारों को खारिज किया. बिहार के 8.17 लाख मतदाताओं ने नोटा का इस्तेमाल किया.
चुनाव आयोग की वेबसाइट पर जारी आंकड़ों के अनुसार लोकसभा चुनाव 2019 में बिहार के सभी 40 लोकसभा क्षेत्रों में से एक तिहाई में मतदाताओं के लिए नोटा तीसरा सबसे पसंदीदा विकल्प बनकर उभरा है जो कि कुल वैध मतों का दो प्रतिशत है.
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खास तौर से नोटा का उपयोग लोगों द्वारा बिहार की तीन आरक्षित सीटों किया गया. अररिया और कटिहार संसदीय सीटों पर मुस्लिम मतदाताओं की एक बड़ी संख्या है और इन सीटों से मुस्लिम समुदाय के सांसदों को एनडीए उम्मीदवारों के हाथों इस बार पराजय झेलनी पड़ी है.अररिया में 20,618 और कटिहार में 20,584 मतदाताओं ने नोटा को विकल्प के रूप में चुना. गोपालगंज में सबसे ज्यादा 51,660 मतदाताओं ने नोटा का विकल्प चुना। यह सीट जेडीयू के आलोक कुमार सुमन को मिली. सुमन ने आरजेडी के सुरेंद्र राम को 2.86 लाख मतों से हराया है.
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नोटा का उपयोग करने के मामले में दूसरे नंबर पर पश्चिम चंपारण रहा जहां 45,699 मतदाताओं ने इसका उपयोग किया. इस सीट पर बीजेपी सांसद संजय जायसवाल ने आरएलएसपी के ब्रजेश कुशवाहा को 2.93 लाख मतों के हराकर अपना कब्जा बरकरार रखा.
बिहार में नोटा इस्तेमाल में तीसरे नंबर पर समस्तीपुर रहा. यहां 35,417 मतदाताओं ने इसका उपयोग किया. इस सीट पर एलजेपी के रामचंद्र पासवान ने कांग्रेस के अशोक कुमार को 1.52 लाख वोटों से हराया.
वहीं, पूर्वी चंपारण में 22,706, नवादा में 35,147, गया में 30,030, बेगूसराय में 26,622, खगड़िया में 23,868 और महाराजगंज में 23,404 मतदाताओं ने नोटा को अपने पसंदीदा विकल्प के रूप में चुना.
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चुनाव आयोग की वेबसाइट पर जारी आंकड़ों के अनुसार लोकसभा चुनाव 2019 में बिहार के सभी 40 लोकसभा क्षेत्रों में से एक तिहाई में मतदाताओं के लिए नोटा तीसरा सबसे पसंदीदा विकल्प बनकर उभरा है जो कि कुल वैध मतों का दो प्रतिशत है.
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खास तौर से नोटा का उपयोग लोगों द्वारा बिहार की तीन आरक्षित सीटों किया गया. अररिया और कटिहार संसदीय सीटों पर मुस्लिम मतदाताओं की एक बड़ी संख्या है और इन सीटों से मुस्लिम समुदाय के सांसदों को एनडीए उम्मीदवारों के हाथों इस बार पराजय झेलनी पड़ी है.अररिया में 20,618 और कटिहार में 20,584 मतदाताओं ने नोटा को विकल्प के रूप में चुना. गोपालगंज में सबसे ज्यादा 51,660 मतदाताओं ने नोटा का विकल्प चुना। यह सीट जेडीयू के आलोक कुमार सुमन को मिली. सुमन ने आरजेडी के सुरेंद्र राम को 2.86 लाख मतों से हराया है.
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नोटा का उपयोग करने के मामले में दूसरे नंबर पर पश्चिम चंपारण रहा जहां 45,699 मतदाताओं ने इसका उपयोग किया. इस सीट पर बीजेपी सांसद संजय जायसवाल ने आरएलएसपी के ब्रजेश कुशवाहा को 2.93 लाख मतों के हराकर अपना कब्जा बरकरार रखा.
बिहार में नोटा इस्तेमाल में तीसरे नंबर पर समस्तीपुर रहा. यहां 35,417 मतदाताओं ने इसका उपयोग किया. इस सीट पर एलजेपी के रामचंद्र पासवान ने कांग्रेस के अशोक कुमार को 1.52 लाख वोटों से हराया.
वहीं, पूर्वी चंपारण में 22,706, नवादा में 35,147, गया में 30,030, बेगूसराय में 26,622, खगड़िया में 23,868 और महाराजगंज में 23,404 मतदाताओं ने नोटा को अपने पसंदीदा विकल्प के रूप में चुना.
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