उधव कृष्ण
पटना. तंग गलियों के लिए उत्तर प्रदेश का बनारस ही नहीं, बल्कि बिहार की राजधानी पटना भी प्रसिद्ध है. घनी आबादी वाले क्षेत्र में अमूमन लोग इस प्रकार से घर बनाते हैं कि गालियां स्वतः ही संकरी हो जाती हैं. न्यूज़ 18 लोकल आज एक ऐसी ही गली की बात कर रहा है. मगर यह गली आम गलियों से खास है. खास इस वजह से है क्योंकि यहां प्रत्येक चैत और अश्विन मास में माता मैया के भव्य भंडारे का आयोजन किया जाता है. इतनी पतली गली में हजारों लोग बारी-बारी से बैठ कर श्रद्धापूर्वक प्रसाद रूपी भोजन ग्रहण करते हैं.
पटना के पूर्वी छोर पर स्थित पटना सिटी के भट्टी पर गौरी दास की मंडी के ठीक सामने 3.5 फीट चौड़ी यह गली है. स्थानीय निवासी जगत प्रसाद बताते हैं कि पूर्व में यहां स्थित माता मैया के पास बहुत विशाल नीम का पेड़ हुआ करता था. आबादी बढ़ने और अगल-बगल मकान बन जाने से अब वो विशाल पेड़ नहीं रहा. उनकी मानें तो यहां स्थित देवी का मंदिर जागता हुआ मंदिर है. वो बताते हैं कि देवी की कृपा से ही इस तंग गली में ऐसा भव्य भंडारा संभव हो पाता है. जगत प्रसाद कहते हैं कि भंडारे से कोई भी भक्त ना भूखे पेट जाता है और ना ही खाली झोली. मां के आशीर्वाद से सारे बिगड़े काम बन जाते हैं.
हजारों लोग खाते हैं भंडारा
माता मैया मंदिर की ओर से भंडारे का आयोजन करने वाली समिति के व्यवस्थापक सन्नी कुमार बताते हैं कि लगभग एक हजार लोग हर साल इस गली में भंडारा खाते हैं. मंदिर कमेटी के सदस्यों और स्थानीय लोगों के सहयोग से इस तंग गली में भी ऐसी व्यवस्था की जाती है कि देखने वाले लोग हैरान रह जाते हैं.
भंडारे का प्रसाद खा रहीं बुजुर्ग महिला मालती देवी बताती हैं कि इस मंदिर में अक्सर एक गेंहुवन (कोबरा) सांप देखने को मिलता है, जो पिंडियों से लिपटा रहता है. लोग इसे भगवान की लीला समझते हैं और कोई उस सांप को मारने की कोशिश नहीं करता है. भंडारे के भोज में पहुंची एक अन्य महिला अनुराधा वर्मा की मानें तो यह मंदिर 100 वर्ष से भी ज्यादा पुराना है.
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