पटना. बिहार में हाल के दिनों में जहरीली शराब से हुई मौतों (Bihar Poisonous Liquor Death) को लेकर राजनीतिक गरम है. राजनीतिक दलों द्वारा शराबबंदी कानून पर भले ही सवाल उठाए गए हों और जहरीली शराब से मौत के लिए शराबबंदी कानून (Bihar Liquor Ban) को जिम्मेदार ठहराया जाये लेकिन बिहार के मद्य निषेध विभाग के मंत्री इसे नहीं मानते हैं और उन्होंने इन आरोपों को गलत ठहरा दिया है. बिहार के मद्य निषेध मंत्री सुनील कुमार (Bihar Minister Sunil Kumar) ने सोमवार को पटना में कहा कि जहरीली शराब से हुई मौतों का शराब बंदी कानून से कहीं से कुछ लेना देना नहीं है.
मंत्री ने स्पष्ट किया कि 2016 में शराबबंदी कानून लागू होने के पहले भी बिहार समेत दूसरे राज्यों में जहरीली शराब से मौतें होती रही हैं. मंत्री सुनील कुमार ने उदाहरण देते हुए कहा कि भोजपुर में 2012-13 में 21 लोगों की मौत हुई थी. कैमूर में 2019 में 4 , 1998 में कटिहार में 35 लोगों की मृत्यु हुई थी. मंत्री ने दूसरे राज्यों का भी उदाहरण दिया और कहा कि पंजाब में 2020 में 10 से 12 लोगों की मौत हुई थी. यूपी में 2013 में आजमगढ़ में 40 लोगों की मौत हुई थी. कर्नाटक में 2008 में 345 लोगों की मौत हुई थी.
मंत्री ने बताया कि जहरीली शराब से मौत का मुख्य कारण आर्थिक है. मंत्री का दावा है कि चंद धंधेबाज गलत तरीके से शराब बनाते हैं और आर्थिक रूप से कमजोर लोग इसे खरीदते हैं क्योंकि ऐसे शराब की कीमत कम होती है. मतलब साफ है कि जहरीली शराब से हुई मौत का कारण शराबबंदी कानून नहीं है. मंत्री सुनील कुमार ने स्पष्ट किया कि जहरीली शराब से मौत की वजह पूर्ण रूप से आर्थिक है. मंत्री ने कहा कि कुछ लोग मुनाफे कमाने के लिए गलत ढंग से शराब बनाते हैं और यह शराब अवैध होता है.
सुनील कुमार ने कहा कि अवैध शराब आर्थिक रूप से कमजोर लोग पीकर मरते हैं. मंत्री की मानें तो बिहार में पहले लाइसेंसी दुकानें थी फिर भी आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोग जहरीली शराब पीकर मरते थे. मंत्री ने कहा कि कुछ राजनीतिक दल के लोग गलत तरीके से मद्य निषेध कानून को बदनाम करने के मकसद से इस तरह का अनर्गल आरोप लगाते हैं. बिहार में शराबबंदी कानून में संशोधन किए जाने की बात को स्वीकार करते हुए मंत्री ने स्पष्ट किया कि शराबबंदी कानून को लागू हुए 5 साल से अधिक हो गए हैं, ऐसे में इस सामाजिक कानून को समय के हिसाब से बदलने पर मंथन चल रहा है.
सुनील कुमार ने कहा कि इस बारे में अंतिम तौर पर कानून के विशेषज्ञों से बातचीत करके ही फैसला लेना है. 16 नवंबर 2021 को मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में शराबबंदी कानून को लेकर भी समीक्षात्मक बैठक की चर्चा करते हुए मंत्री सुनील कुमार ने कहा कि इस बैठक के बाद से पूरे बिहार में एक लाख 40 हज़ार छापेमारियां हुई हैं जबकि 22000 लोग गिरफ्तार किए गए हैं.
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