राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की टीम बिहार के दौरे पर है. (न्यूज 18 हिन्दी)
पटना. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की 3 सदस्यीय टीम शनिवार को राजधानी पटना पहुंची. टीम ने बिहार के छपरा मंडल कारा और बेउर के केन्द्रीय कारागृह का निरीक्षण किया. साल 2020 में छपरा जेल में स्प्रिट पीने से हुई मौत की शिकायत पर निरीक्षण करने केन्द्रीय टीम बिहार आई है. जांच के बाद टीम ने अपनी रिपोर्ट जेल आईजी को सौंपी है. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के सदस्य ज्ञानेश्वर मूले ने कहा कि दोनों ही जेलों में क्षमता से दोगुने कैदी हैं और कानूनी सहायता को लेकर जागरूकता बहुत कम है. इसको लेकर कर्मियों और अधिकारियों से बातचीत की गई है. एनएचआरसी की टीम को बेउर जेल में यूपीएससी-सिविल सेवा और बीपीएससी परीक्षा की तैयारी करने वाले कैदी भी मिले.
ज्ञानेश्वर मूले ने आगे कहा कि कैदियों की समस्या को देखा और समझा गया है. हमने पाया की कैदियों की समस्या को लेकर प्रशासन जागरूक है. उन्होंने बताया कि उनका निरीक्षण पर आने का उद्देश्य कैदियों की स्थिति में सुधार लाना है. बताते चलें कि बिहार की जेल में कुल 47,750 कैदियों के रहने की क्षमता है. फिलहाल इन जेलों में लगभग 64000 कैदी बंद हैं. मौके पर मौजूद जेल आईजी मनेष कुमार मीणा ने बताया कि जल्द ही बिहार में जेल की संख्या में वृद्धि होने वाली है. इसको लेकर काम तेजी से चल रहा है.
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की टीम की रिपोर्ट की मुख्य बातें -:
1. राज्य सरकार और प्रशासन कैदियों से जुड़े मुद्दों पर काफी जागरूक है.
2. एक बैरक में संख्या से अधिक कैदी रह रहे हैं. क्षमता से दोगुना से ज्यादा है कैदियों की संख्या. 35 की क्षमता वाले बैरक में 80-90 कैदी रखे जा रहे हैं.
3. न्यायालय के अधिन मुफ्त कानूनी सेवाओं पर जोर देने का सुझाव दिया गया है. ज्यादातद कैदी इस सुविधा की जानकारी से अंजान पाए गए.
4. दोनों जेलों में कैदियों की संख्या को कम करना बेहद जरूरी.
5. कारागारों में हेल्थ एंड हाइजिन की कमी है.
6. जेलों में सुरक्षा की समस्या गंभीर है. कैदियों के साथ अधीक्षक और कर्मचारियों की सुरक्षा भी जरूरी है.
7. महिला कैदियों में चर्म रोग की समस्या आम है. यह एक गंभीर विषय है.
8. कैदियों के मेडिकल रिकार्ड्स और डिटेल्स कम मिले.
9. बेउर जेल की लाइब्रेरी में व्यवस्था अच्छी है. कैदी यूपीएससी-बीपीएससी (सिविल सेवा) की तैयारी करते हुए मिले.
10. ड्रेनेज सिस्टम को ठीक करने की जरूरत है.
11. राज्य में अच्छे एनजीओ का अभाव है जो कैदियों को कानूनी मदद कर सके.
12. महिला कैदियों और उनके साथ रह रहे 6 वर्ष तक के बच्चों का ख्याल बेहतर तरीके से किया जा रहा है.
13. कैदियों के फीडबैक को लेकर नीति बनाने की जरूरत है.
14. कोविड प्रोटोकॉल का दोनों ही जेल में बहुत बेहतर तरीके से पालन किया गया.
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