CM नीतीश देंगे ओवैसी को बड़ा झटका! इशारों-इशारों में बताया-बिहार में टूट जाएगी AIMIM

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से 28 जनवरी को AIMIM के पांचों विधायक मुलाकात कर चुके हैं.
बिहार में जेडीयू ने हाल में एलजेपी के 200 से ज्यादा नेताओं को अपने पाले में करके चिराग पासवान को बड़ा झटका दिया था. अब जेडीयू, AIMIM को तगड़ा झटका देने की तैयारी में है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज सदन में इशारों-इशारों में संकेत दिया कि AIMIM जल्द टूट जाएगी.
- News18 Bihar
- Last Updated: February 23, 2021, 9:40 PM IST
पटना. बिहार विधानसभा में आज मुख्यमंत्री नीतीश कुमार राज्यपाल के अभिभाषण पर सरकार की ओर से जबाब दे रहे थे. सदन नेता के जबाब के तकरीबन एक घंटे बाद तेजस्वी के नेतृत्व में विपक्ष सदन से वॉकआउट कर बाहर चले गए. नीतीश कुमार सदन में सरकार की ओर जबाब दे रहे थे. इसी दौरान AIMIM के विधायक अख्तरूल इमान ने सदन में खड़े होकर पुर्णिया को राजधानी बनाने का प्रस्ताव रख दिया. नीतीश कुमार ने इसे सिरे से खारिज कर दिया. जब बिहार और झारखंड एक था, उसकी याद दिलाई. नीतीश कुमार सदन में बोल ही रहे थे कि अख्तरूल इमाल पुर्णिया को राजधानी बनाने की मांग को लेकर अपने विधायको के साथ वॉकआउट करने लगे.
नीतीश कुमार ने सहज लहजे में कहा कि आप लोग सदन में बैठकर सुन लीजिए, आगे काम आएगा. अख्तरूल इमान की ओर इशारा करते हुए नीतीश ने कहा कि आप आरजेडी जेडीयू और अब तीसरी पार्टी AIMIM में पहुंचे हैं. जब AIMIM के सभी विधायक सदन से बाहर जाने लगे तो नीतीश कुमार में फिर दुहराया और कहा कि जा रहे हैं तो अकेले ही अब रह जाइएगा. जो साफ तौर पर इशारा था कि अब AIMIM के शायद ही कोई विधायक असदुद्दीन ओवैसी के साथ रह जाए.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से 28 जनवरी को AIMIM के पांचों विधायक मुख्यमंत्री आवास में मुलाकात कर चुके हैं. इसके बाद से कयास लगाए जा रहे थे कि ये सभी विधायक जल्द ही जेडीयू का दामन थाम सकते है. बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम (AIMIM) ने इस बार चुनाव में पांच सीटों पर कब्जा किया था. सीमांचल इलाके में पहली बार जोकीहाट से शाहनवाज आलम, आमौर से अख्तरूल इमान शाहीन, बाइसी से सैयद रूकुनद्दीन , बहादुरगंज से अंजार नइमी और कोचाधाम से इजहार असफी AIMIM से विधायक हैं. जानकारी के मुताबिक इन विधायकों का AIMIM से मोहभंग होने लगा है. ऐसे में ये सभी विधायक अब बिहार की सत्ताधारी पार्टी जेडीयू में जाने की तैयारी में है.
बिहार विधानसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन के बाद असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम यूपी और बंगाल में भी चुनाव लड़ने की रणनीति पर काम कर रही है. ओवैसी बिहार के बाद अब उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में भी अपने पांव पसार रहे है. ओवैसी ने बिहार में पांच सीट जितने के बाद कहा था कि उनकी पार्टी उत्तरी राज्यो के सीमांचल क्षेत्र में न्याय की लड़ाई लड़ेगी लेकिन उनका बिहार में उनकी पार्टी के विधायक उनसे नाता तोड़ सकते हैं. अगर ऐसा हुआ तो बंगाल और उत्तरप्रदेश में चुनाव लड़ने में परेशानी हो सकती है.
नीतीश कुमार ने सहज लहजे में कहा कि आप लोग सदन में बैठकर सुन लीजिए, आगे काम आएगा. अख्तरूल इमान की ओर इशारा करते हुए नीतीश ने कहा कि आप आरजेडी जेडीयू और अब तीसरी पार्टी AIMIM में पहुंचे हैं. जब AIMIM के सभी विधायक सदन से बाहर जाने लगे तो नीतीश कुमार में फिर दुहराया और कहा कि जा रहे हैं तो अकेले ही अब रह जाइएगा. जो साफ तौर पर इशारा था कि अब AIMIM के शायद ही कोई विधायक असदुद्दीन ओवैसी के साथ रह जाए.
नीतीश से पहले ही मिल चुके हैं AIMIM विधायक
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से 28 जनवरी को AIMIM के पांचों विधायक मुख्यमंत्री आवास में मुलाकात कर चुके हैं. इसके बाद से कयास लगाए जा रहे थे कि ये सभी विधायक जल्द ही जेडीयू का दामन थाम सकते है. बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम (AIMIM) ने इस बार चुनाव में पांच सीटों पर कब्जा किया था. सीमांचल इलाके में पहली बार जोकीहाट से शाहनवाज आलम, आमौर से अख्तरूल इमान शाहीन, बाइसी से सैयद रूकुनद्दीन , बहादुरगंज से अंजार नइमी और कोचाधाम से इजहार असफी AIMIM से विधायक हैं. जानकारी के मुताबिक इन विधायकों का AIMIM से मोहभंग होने लगा है. ऐसे में ये सभी विधायक अब बिहार की सत्ताधारी पार्टी जेडीयू में जाने की तैयारी में है.
बंगाल और यूपी चुनाव में AIMIM को होगी परेशानी
बिहार विधानसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन के बाद असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम यूपी और बंगाल में भी चुनाव लड़ने की रणनीति पर काम कर रही है. ओवैसी बिहार के बाद अब उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में भी अपने पांव पसार रहे है. ओवैसी ने बिहार में पांच सीट जितने के बाद कहा था कि उनकी पार्टी उत्तरी राज्यो के सीमांचल क्षेत्र में न्याय की लड़ाई लड़ेगी लेकिन उनका बिहार में उनकी पार्टी के विधायक उनसे नाता तोड़ सकते हैं. अगर ऐसा हुआ तो बंगाल और उत्तरप्रदेश में चुनाव लड़ने में परेशानी हो सकती है.