पटना. पेट्रोल-डीजल की लगातार बढ़ती कीमत से आज हर कोई परेशान है. इसके बावजूद पेट्रोल पंप पर हमेशा नजर आती है. आज बिहार की राजधानी पटना में दर्जनों की संख्या में पेट्रोल पंप हैं, फिर भी बिना कतार में लगे डीजल-पेट्रोल नहीं मिल पाता है. लेकिन एक समय ऐसा भी था जब पटना में सिर्फ 1 पेट्रोल पंप था और लोग 44 पैसे में 1 लीटर पेट्रोल खरीदते थे. इस पेट्रोल पंप पर दूर-दूर से लोग अपने वाहनों में तेल भरवाने के लिए आते थे. इसका नाम भी सभी जानते थे. यह पेट्रोल पंप आज भी आमजन को अपनी सेवाएं दे रहा है. आइए जानते हैं इस पेट्रोल पंप की कहानी.
पटना में आज सड़कों पर गाड़ियों की लंबी लंबी कतार देखने को मिलती है. आज के दिन सड़क पर जितनी तादाद में गाड़ियां हैं, उस हिसाब से पेट्रोल पंप भी खुल गए हैं. गांव से लेकर शहर तक आपको आसानी से पेट्रोल पंप मिल जाएंगे. पेट्रोल-डीजल की कीमतें 100 के पार हैं, फिर भी लोग खरीद रहे हैं क्योंकि बिना ईंधन के गाड़ी नहीं चल सकती है. आपको यह जानकर हैरत होगी की आज से 112 साल पहले सिर्फ 44 पैसे में 1 लीटर पेट्रोल मिलता था. उस वक्त राजधानी पटना में सिर्फ एक पेट्रोल पंप हुआ करता था.
अंग्रेजों के जमाने का पेट्रोल पंप
अंग्रेजों के जमाने में गांधी मैदान के पास पेट्रोल पंप बनवाया गया था. इस पेट्रोल पंप का उद्देश्य अंग्रेज अफसरों की मोटरसाइकिल में पेट्रोल डालना था, ताकि उनकी गाड़ियां मिट्टी वाले रास्तों पर बिना मेहनत के चल सके. उत्तर प्रदेश के कानपुर निवासी कन्हैयालाल मिश्र ने अपने पिता सदाबरत लाल मिश्र के नाम पर एसएल मिश्र पेट्रोल पंप खोला था. आज इस पेट्रोल पंप का संचालन चौथी पीढ़ी कर रही है. एसएल मिश्र की बहू नीता मिश्र इस पेट्रोल पंप की देखभाल कर रही हैं. उन्होंने बताया कि अंग्रेजों ने इस पेट्रोल पंप का नाम रखा था और उसी समय इस पेट्रोल पंप का भवन भी बनाया गया था. उस भवन को आज भी संजोकर रखा गया है. नीता मिश्रा ने कहा कि आगे से इस पेट्रोल पंप को थोड़ा मॉडल किया गया है लेकिन भवन अभी भी 112 साल पुराना है.
ब्रिटिश जहाज पर काम करते थे कन्हैयालाल मिश्र
नीता मिश्रा ने जानकारी देते हुए कहा कि कन्हैयालाल मिश्र ब्रिटिश जहाज पर काम करते थे. वह कानपुर से पटना के दीघा घाट तक जहाज की फेरी लगाते थे. दीघा में गंगा किनारे अंग्रेज अफसरों का निरीक्षण बंगला था, जहां वह ठहरते थे. अंग्रेज उन्हें मिश्र की जगह मिसर जी कहते थे. पटना में राजधानी बसाने के काम में अंग्रेज अफसरों की मोटरसाइकिल में पेट्रोल भराने की दिक्कत हो रही थी. उन दिनों गांधी मैदान के पास पेट्रोल पंप के लिए कन्हैयालाल मिश्र को अंग्रेज अफसर ने मुफ्त में जमीन दी थी. नीता मिश्रा कहती हैं कि उस समय यहां से रांची तक पेट्रोल पहुंचाया जाता था. उस समय पेट्रोल की माप गैलन में होती थी. पटना गवर्नमेंट हाउस से 150 गैलन का 300 रुपया भुगतान किया गया था. मतलब 44 पैसे में 1 लीटर पेट्रोल मिलता था.
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