पटना. कथक नृत्य के माध्यम से देश और दुनिया में अपनी अमिट पहचान बनाने वाले पद्म विभूषण पंडित बिरजू महाराज (Pandit Birju Maharaj आज हमारे बीच नहीं रहे. 83 की उम्र में सोमवार की रात हृदय गति रुक जाने से दिल्ली में उनका देहांत हो गया. बिरजू महाराज के निधन से पटना के कला जगत में शोक की लहर है. बिरजू महाराज का बिहार और पटना के लोगों से गहरा लगाव रहा है. पटना में होने वाले कई कार्यक्रमों में बिरजू महाराज के साथ तबले पर संगत कर चुके राजशेखर ने इस बात की जानकारी दी कि अपने पिता और गुरु अच्छन महाराज, चाचा शंभू महाराज, लच्छू महाराज के साथ पंडित बिरजू महाराज बचपन से ही आते रहते थे.
1980-90 के दशक में पटना शहर में जब दुर्गापूजा का भव्य आयोजन होता था और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजन की परंपरा थी तब लब्धप्रतिष्ठ कलाकारों की प्रस्तुति होती थी. इस तरह के कार्यक्रमों में सारा पटना उमड़ता था. पंडित बिरजू महाराज कथक के अलावा ठुमरी गायक और वादक भी थे. साल 2002 में गांधी मैदान में आयोजित चार दिवसीय सांस्कृतिक आयोजन के दौरान पंडित बिरजू महाराज पहुंचे थे. तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद इनकी प्रस्तुति पर कायल हो गए थे. लालू प्रसाद ने गुरु जी महाराज की प्रस्तुति को जमकर सराहा था.
पटना में बिरजू महाराज के नाम से एक अकादमी भी संचालित है. इसका संचालन महाराज के शिष्य नीलम चौधरी करती हैं. गुरु महाराज अकादमी के बच्चों को प्रशिक्षण देने आते रहे थे. बासा भवन में पंडित बिरजू महाराज की प्रस्तुति हुई थी. इसके अलावा पटना आर्ट कॉलेज परिसर में भी पंडित बिरजू महाराज ने अपने कथक नृत्य से सब को सम्मोहित कर दिया था. आर्ट कॉलेज में उनके साथ गिरिजा देवी की जुगलबंदी हुई थी. इस कार्यक्रम का आनंद पटनावासियों ने जमकर उठाया था. ललित जी महाराज कहा करते थे कि बिहार मेरा आंगन है.
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