80 हजार कुओं का जीर्णोद्धार कर भूगर्भ जल संरक्षित करेगी बिहार सरकार, पंचायतीराज विभाग को सौंपी जिम्मेदारी

नीतीश सरकार के पंचायती राज विभाग ने बिहार के विभिन्न जनपदों के 80 हजार कुओं का कायाकल्प करने की तैयारी में है. इसके लिए योजनावद्ध तरीके से कार्य शुरू कर दिया गया है (फाइल फोटो)
बिहार सरकार (Bihar Government) तालाबों के निर्माण के साथ कुओं के जीर्णोद्धार की योजना बना रही है. इसके लिए 80 हजार कुओं का कायाकल्प किया जाएगा. कुओं के पास एक सोख्ता गढ्ढा भी खोदा जाएगा ताकि वाटर लेबिल की समस्या न हो
- News18Hindi
- Last Updated: January 16, 2021, 9:50 PM IST
पटना. बिहार सरकार भूगर्भ जल संरक्षण (Ground Water Security) को लेकर कई तरह की योजनाएं चला रही है. सरकार अभी तक तालाबों (Pond) के निर्माण और उनके रख-रखाव पर काफी पैसा खर्च करती रही है, लेकिन इस बार वह कुओं के संरक्षण पर भी जोर दे रही है. राज्य के पंचायती राज विभाग (Panchayati Raj Department) ने बिहार के विभिन्न जनपदों के 80 हजार कुओं का कायाकल्प करने की तैयारी में है. इसके लिए योजनावद्ध तरीके से कार्य शुरू कर दिया गया है. विभाग की ओर से इसके लिए सर्वे कराया जा रहा है, जिसके बाद इन सभी कुओं की सूची तस्वीर के साथ विभागीय पोर्टल पर अपलोड किए जाने की योजना है.
बिहार पंचायती राज विभाग के अधिकारियों के अनुसार कुओं के निर्माण के जरिए भूगर्भ जल को काफी हद तक संरक्षित किया जा सकता है. सभी कुओं की सूची जुटाई जा रही है और इसके बाद कुओं के जीर्णोद्धार का कार्य शुरू कराया जाएगा. जीर्णोद्धार कार्य पूरा होने के बाद फिर कुओं की तस्वीर पोर्टल पर अपलोड की जाएगी, ताकि इसकी जानकारी हो सके कि कौन-कौन से कार्य कराए गए हैं. पहले और अब कुओं में क्या फर्क आया है.
कुओं के जीर्णोद्वार के तय किए गए मानकपंचायती राज विभाग के अधिकारियों की ओर से बताया गया है कि विभाग ने कुओं के जीर्णोद्धार के लिए मानक तय कर दिए गए हैं. बताया गया है कि सभी कुओं के जीर्णोद्धार के बाद उसके पास ही में एक सोख्ता का भी निर्माण किया जाएगा. ताकि कुएं का पानी उपयोग के बाद बहकर सोख्ता में ही जाए, जिससे भू-गर्भ जलस्तर मेंटेन रहे. एक कुएं के जीर्णोद्धार पर 60 हजार तक खर्च किए जाएंगे. कुओं की उड़ाही के बाद उनकी साफ-सफाई की जाएगी. कुओं के चारों ओर पक्के प्लेटफॉर्म का निर्माण कराया जाएगा. इसके बाद लोहे की जाली से कुएं को ढक दिया जाएगा, ताकि उसमें कचरा अथवा कोई जानवर नहीं गिरे. हालांकि पानी निकालने के लिए उसमें जगह बनी रहेगी.
विभागीय सूत्रों के अनुसार पहले चरण में लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग को हर प्रखंड में दो-दो कुंओं के जीर्णोद्धार की जिम्मेदारी दी गई है, जिसमें अधिकतर का कार्य पूर्ण कर लिया गया है. इसके बाद अब दूसरे चरण में राज्य के सभी सार्जनिक कुओं के जीर्णोद्धार का कार्य पंचायती राज विभाग के माध्यम से कराया जा रहा है. कुओं को जीर्णोद्धार करने से स्थानीय भूगर्भ जल के लेबल को मेंटेन रखा जा सकेगा.
बिहार पंचायती राज विभाग के अधिकारियों के अनुसार कुओं के निर्माण के जरिए भूगर्भ जल को काफी हद तक संरक्षित किया जा सकता है. सभी कुओं की सूची जुटाई जा रही है और इसके बाद कुओं के जीर्णोद्धार का कार्य शुरू कराया जाएगा. जीर्णोद्धार कार्य पूरा होने के बाद फिर कुओं की तस्वीर पोर्टल पर अपलोड की जाएगी, ताकि इसकी जानकारी हो सके कि कौन-कौन से कार्य कराए गए हैं. पहले और अब कुओं में क्या फर्क आया है.
कुओं के जीर्णोद्वार के तय किए गए मानकपंचायती राज विभाग के अधिकारियों की ओर से बताया गया है कि विभाग ने कुओं के जीर्णोद्धार के लिए मानक तय कर दिए गए हैं. बताया गया है कि सभी कुओं के जीर्णोद्धार के बाद उसके पास ही में एक सोख्ता का भी निर्माण किया जाएगा. ताकि कुएं का पानी उपयोग के बाद बहकर सोख्ता में ही जाए, जिससे भू-गर्भ जलस्तर मेंटेन रहे. एक कुएं के जीर्णोद्धार पर 60 हजार तक खर्च किए जाएंगे. कुओं की उड़ाही के बाद उनकी साफ-सफाई की जाएगी. कुओं के चारों ओर पक्के प्लेटफॉर्म का निर्माण कराया जाएगा. इसके बाद लोहे की जाली से कुएं को ढक दिया जाएगा, ताकि उसमें कचरा अथवा कोई जानवर नहीं गिरे. हालांकि पानी निकालने के लिए उसमें जगह बनी रहेगी.
विभागीय सूत्रों के अनुसार पहले चरण में लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग को हर प्रखंड में दो-दो कुंओं के जीर्णोद्धार की जिम्मेदारी दी गई है, जिसमें अधिकतर का कार्य पूर्ण कर लिया गया है. इसके बाद अब दूसरे चरण में राज्य के सभी सार्जनिक कुओं के जीर्णोद्धार का कार्य पंचायती राज विभाग के माध्यम से कराया जा रहा है. कुओं को जीर्णोद्धार करने से स्थानीय भूगर्भ जल के लेबल को मेंटेन रखा जा सकेगा.