पटना हाईकोर्ट ने शराबबंदी से जुड़े 2 लाख से ज्यादा लंबित मामलों पर जताई चिंता
News18Hindi Updated: November 22, 2019, 7:12 PM IST

राज्य सरकार ने अप्रैल 2016 में पूर्ण शराबबंदी लागू की थी.
राज्य सरकार ने अप्रैल 2016 में पूर्ण शराबबंदी (Liquor Ban) लागू की थी. इसके तहत सभी प्रकार की शराब के निर्माण, भंडारण, परिवहन, बिक्री, उपभोग पर प्रतिबंध लगा दिया गया.
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- Last Updated: November 22, 2019, 7:12 PM IST
पटना. पटना हाईकोर्ट (Patna High Court) ने शराबबंदी से जुड़े दो लाख से अधिक लंबित मामलों पर चिंता व्यक्त करते हुए बिहार सरकार (Bihar Govt.) से राज्य में शराबबंदी (Liquor Ban) कानून से उत्पन्न लंबित मामलों के बारे में अपना जवाब दाखिल करने को कहा है. राज्य सरकार ने अप्रैल 2016 में पूर्ण शराबबंदी लागू की थी. इसके तहत सभी प्रकार की शराब के निर्माण, भंडारण, परिवहन, बिक्री, उपभोग पर प्रतिबंध लगा दिया गया.
विस्तृत जवाब दाखिल करने का निर्देश
चीफ जस्टिस संजय करोल और न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह की पीठ ने गुरुवार को राज्य सरकार को विस्तृत जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया कि वह राज्य में शराब बंदी से उत्पन्न लंबित मामलों से कैसे निपटना चाहती है.
चीफ जस्टिस की अदालत में की जाएगी सुनवाईसरकार के ऐसे मामलों से निपटने के लिए अपनी योजना के साथ जवाब दाखिल किए जाने पर इस मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस की अदालत में की जाएगी. पीठ ने माना कि शराबबंदी कानून लागू करने के बाद ऐसे मामलों की त्वरित सुनवाई सुनिश्चित करना राज्य सरकार का कर्तव्य है. पीठ ने सरकार से यह भी पूछा है कि उसने शराब से संबंधित कितने मामलों के खिलाफ शीर्ष अदालत में अपील दायर की है.
2.07 लाख से अधिक मामलों पर चिंता व्यक्त की
पीठ ने 21 अगस्त 2019 को जज अनिल कुमार उपाध्याय की एकल पीठ द्वारा पारित एक आदेश के बाद एक मामले की सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया. एकल पीठ ने शराबबंदी कानून से संबंधित 2.07 लाख से अधिक मामलों पर चिंता व्यक्त की थी। शराबबंदी कानून के तहत बीते तीन वर्षों में लगभग 1.67 लाख लोगों को गिरफ्तार किया गया और 52.02 लाख लीटर शराब जब्त की गई.एकल पीठ ने मुख्य सचिव से विस्तृत जवाब मांगा था कि सरकार ने शराबबंदी से संबंधित मामलों के त्वरित निपटारे के लिए क्या किया है. अदालत के संज्ञान में यह भी आया था कि आठ जुलाई 2019 तक शराबबंदी कानून से संबंधित 2,07,766 मामले अधीनस्थ अदालतों में लंबित हैं.
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विस्तृत जवाब दाखिल करने का निर्देश
चीफ जस्टिस संजय करोल और न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह की पीठ ने गुरुवार को राज्य सरकार को विस्तृत जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया कि वह राज्य में शराब बंदी से उत्पन्न लंबित मामलों से कैसे निपटना चाहती है.
चीफ जस्टिस की अदालत में की जाएगी सुनवाईसरकार के ऐसे मामलों से निपटने के लिए अपनी योजना के साथ जवाब दाखिल किए जाने पर इस मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस की अदालत में की जाएगी. पीठ ने माना कि शराबबंदी कानून लागू करने के बाद ऐसे मामलों की त्वरित सुनवाई सुनिश्चित करना राज्य सरकार का कर्तव्य है. पीठ ने सरकार से यह भी पूछा है कि उसने शराब से संबंधित कितने मामलों के खिलाफ शीर्ष अदालत में अपील दायर की है.
2.07 लाख से अधिक मामलों पर चिंता व्यक्त की
पीठ ने 21 अगस्त 2019 को जज अनिल कुमार उपाध्याय की एकल पीठ द्वारा पारित एक आदेश के बाद एक मामले की सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया. एकल पीठ ने शराबबंदी कानून से संबंधित 2.07 लाख से अधिक मामलों पर चिंता व्यक्त की थी। शराबबंदी कानून के तहत बीते तीन वर्षों में लगभग 1.67 लाख लोगों को गिरफ्तार किया गया और 52.02 लाख लीटर शराब जब्त की गई.
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First published: November 22, 2019, 7:12 PM IST
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