उपेंद्र कुशवाहा: कभी कहे जाते थे 'नीतीश का विकल्प', आज खुद की पार्टी बचाने की है चुनौती

फाइल फोटो
उपेंद्र कुशवाहा काफी दिनों से केंद्र सरकार से नाराज थे और उनका पार्टी छोड़ना तय था. इस बीच 10 दिसंबर 2018 को उन्होंने केंद्र सरकार पर बिहार की अनदेखी का आरोप लगाते हुए मोदी कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया.
- News18 Bihar
- Last Updated: May 21, 2019, 1:54 PM IST
उपेंद्र कुशवाहा की पहचान बिहार के उन नेताओं में होती है, जो किसी जमाने में नीतीश कुमार के विकल्प के तौर पर देखे जाते थे. वक्त का पहिया घूमा उपेंद्र विधायक से लेकर सांसद और केंद्रीय मंत्री भी बने, लेकिन अब अपनी ही पार्टी को बचाने की जुगत में लगे हैं. शायद यही कारण है कि आज की तारीख में वो नीतीश कुमार के सबसे बड़े राजनैतिक प्रतिद्वंदी के तौर पर जाने जाते हैं.
तीन दशक से ज्यादा समय से बिहार की सक्रिय राजनीति में रहने वाले कुशवाहा समय-समय पर पार्टी बदलने के लिए जाने जाते हैं. यही कारण है कि चुनाव से छह महीने पहले तक मोदी कैबिनेट में मंत्री रहने वाला यह नेता अब महागठबंधन खेमे में हैं. कुशवाहा इस बार बिहार की दो सीटों उजियारपुर और काराकाट से चुनाव लड़ रहे हैं और दोनों जगहों से जीत का दावा कर रहे हैं. कुशवाहा ने राजनीति में कदम रखा तो फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा और एमएलए से केंद्र में मंत्री तक का सफर तय किया. न्यूज 18 आपको बता रहा है उपेंद्र कुशवाहा के राजनैतिक सफर की कहानी.
जीवन
59 साल के उपेंद्र कुशवाहा का जन्म 6 फरवरी 1960 को वैशाली के जावज गांव में हुआ था. कुशवाहा की राजनीति में रुचि थी. यही कारण है कि उन्होंने पॉलिटिकल साइंस से पढ़ाई की. उन्होंने बिहार यूनिवर्सिटी से राजनीति शास्त्र में स्नात्कोत्तर किया और जन्दाहा के समता कॉलेज में व्याख्याता बने. कुशवाहा की राजनीति छात्र जीवन से ही चलती रही.दलगत राजनीति
कुशवाहा फिलहाल खुद की बनाई पार्टी राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) के लिए संघर्ष कर रहे हैं. संघर्ष इसलिए क्योंकि पार्टी के तीन में से दो सांसद और दो विधायक कई दिनों पहले ही उनका साथ छोड़ चुके हैं. कुशवाहा ने 1988 में युवा जनता दल में एंट्री ली जिसके बाद उनको राष्ट्रीय सचिव नियुक्त कर दिया गया. बिहार में जब समता पार्टी का गठन हुआ तो कुशवाहा ने उसका भी दामन थाम लिया.
सड़क से सदन
उपेंद्र कुशवाहा चूंकि समता पार्टी की स्थापना के समय से ही उससे जुड़े थे ऐसे में उनको पार्टी ने विधायक का टिकट दिया. साल 2000 में वो पहली बार विधानसभा पहुंचे. 2004 में वो बिहार विधानसभा में विरोधी दल के नेता बने. साल 2010 में कुशवाहा राज्यसभा सांसद चुने गए.
2013 में बनाई नई पार्टी
उपेंद्र कुशवाहा साल 2013 में नीतीश कुमार से हुए विवाद के बाद जेडीयू से इस्तीफा देकर अलग हुए और राष्ट्रीय लोक समता पार्टी बनाई. साल 2014 हुए चुनाव में वो एनडीए का हिस्सा थे तब वो पहली बार काराकाट सीट से रालोसपा के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़े और जीत हासिल की. बिहार की ओबीसी बिरादरी में पकड़ रखने वाले कुशवाहा को मोदी सरकार में मंत्री बनाया गया.
चुनाव से ठीक पहले छोड़ा एनडीए
कुशवाहा काफी दिनों से केंद्र सरकार से नाराज थे और उनका पार्टी छोड़ना तय था. इस बीच 10 दिसंबर 2018 को उन्होंने केंद्र सरकार पर बिहार की अनदेखी का आरोप लगाते हुए मोदी कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया. 2019 के लोकसभा चुनाव में वो महागठबंधन का हिस्सा हैं.
तीन दशक से ज्यादा समय से बिहार की सक्रिय राजनीति में रहने वाले कुशवाहा समय-समय पर पार्टी बदलने के लिए जाने जाते हैं. यही कारण है कि चुनाव से छह महीने पहले तक मोदी कैबिनेट में मंत्री रहने वाला यह नेता अब महागठबंधन खेमे में हैं. कुशवाहा इस बार बिहार की दो सीटों उजियारपुर और काराकाट से चुनाव लड़ रहे हैं और दोनों जगहों से जीत का दावा कर रहे हैं. कुशवाहा ने राजनीति में कदम रखा तो फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा और एमएलए से केंद्र में मंत्री तक का सफर तय किया. न्यूज 18 आपको बता रहा है उपेंद्र कुशवाहा के राजनैतिक सफर की कहानी.
जीवन
कुशवाहा फिलहाल खुद की बनाई पार्टी राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) के लिए संघर्ष कर रहे हैं. संघर्ष इसलिए क्योंकि पार्टी के तीन में से दो सांसद और दो विधायक कई दिनों पहले ही उनका साथ छोड़ चुके हैं. कुशवाहा ने 1988 में युवा जनता दल में एंट्री ली जिसके बाद उनको राष्ट्रीय सचिव नियुक्त कर दिया गया. बिहार में जब समता पार्टी का गठन हुआ तो कुशवाहा ने उसका भी दामन थाम लिया.
सड़क से सदन
उपेंद्र कुशवाहा चूंकि समता पार्टी की स्थापना के समय से ही उससे जुड़े थे ऐसे में उनको पार्टी ने विधायक का टिकट दिया. साल 2000 में वो पहली बार विधानसभा पहुंचे. 2004 में वो बिहार विधानसभा में विरोधी दल के नेता बने. साल 2010 में कुशवाहा राज्यसभा सांसद चुने गए.
2013 में बनाई नई पार्टी
उपेंद्र कुशवाहा साल 2013 में नीतीश कुमार से हुए विवाद के बाद जेडीयू से इस्तीफा देकर अलग हुए और राष्ट्रीय लोक समता पार्टी बनाई. साल 2014 हुए चुनाव में वो एनडीए का हिस्सा थे तब वो पहली बार काराकाट सीट से रालोसपा के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़े और जीत हासिल की. बिहार की ओबीसी बिरादरी में पकड़ रखने वाले कुशवाहा को मोदी सरकार में मंत्री बनाया गया.
चुनाव से ठीक पहले छोड़ा एनडीए
कुशवाहा काफी दिनों से केंद्र सरकार से नाराज थे और उनका पार्टी छोड़ना तय था. इस बीच 10 दिसंबर 2018 को उन्होंने केंद्र सरकार पर बिहार की अनदेखी का आरोप लगाते हुए मोदी कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया. 2019 के लोकसभा चुनाव में वो महागठबंधन का हिस्सा हैं.