मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर डोरे डाल रही RJD! आखिर क्यों नहीं मिल रहा भाव?

बिहार सरकार ने वैसे अधिकारियों को ही जांच कमिटी में रखा है जो पटना में जलजमाव के लिए जिम्मेदार माने जा रहे हैं. (फाइल फोटो)
ट्रिपल तलाक और आर्टिकल 370 पर (JDU) ने केंद्र सरकार के प्रस्ताव का जब विरोध किया तो आरजेडी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानन्द तिवारी ने खुलकर न सिर्फ सीएम नीतीश कुमार की तारीफ की, बल्कि महागठबंधन में दोबारा शामिल होने का न्योता भी दे दिया.
- News18 Bihar
- Last Updated: September 11, 2019, 2:45 PM IST
पटना. क्या नीतीश कुमार (Nitish Kumar) फिर एक बार लालू यादव (Lalu Yadav) के साथ आनेवाले हैं? क्या आरजेडी (RJD) अपने पुराने जख्मों को भुलाकर फिर से नीतीश कुमार को कबूल करने को तैयार है? ये सवाल वाकई चौंकाने वाले हैं, लेकिन यह हकीकत भी है कि बिहार की सियासत (Politics of Bihar) में हर पल हलचल है. बीजेपी-जेडीयू (BJP-JDU) के बीच खींचतान चल रही है . वहीं, आरजेडी (RJD) भी अपना दांव चलने को बेताब है. सियासी गलियारों की जानकारी रखने वालों की ओर से जो खबरें सामने आ रही हैं, उसमें यह साफ है कि आरजेडी का एक बड़ा धड़ा बार-बार सीएम नीतीश (CM Nitish) को अपने पाले में करने की कोशिश में लगा है.
दरअसल, आरजेडी के कई बड़े नेता अब यह मानने लगे हैं कि बीजेपी को अगर साल 2020 में पछाड़ना है तो नीतीश कुमार को हर हाल में अपने साथ लाना होगा. इसको लेकर प्रयास किए जाने की शुरुआत तो लोकसभा चुनाव में आरजेडी की करारी हार के तुरंत बाद ही हो गई थी. उस वक्त पार्टी के बड़े नेता रघुवंश प्रसाद सिंह ने सबसे पहले ये बात उठाई थी.

विवादित मुद्दों पर नीतीश के स्टैंड का दिया साथइसके बाद ट्रिपल तलाक और अनुच्छेद 370 पर जेडीयू ने केंद्र सरकार के प्रस्ताव का जब विरोध किया तो आरजेडी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानन्द तिवारी ने खुलकर न सिर्फ सीएम नीतीश कुमार की तारीफ की, बल्कि बीजेपी को छोड़कर महागठबंधन में दोबारा शामिल होने का न्योता भी दिया था. शिवानन्द तिवारी अब भी अपनी बात दोहराते हुए कहते हैं कि आज नीतीश कुमार के साथ बीजेपी गलत कर रही है. उन्हें अपमानित करने की एक बड़ी साजिश हो रही है.
शिवानंद तिवारी को नीतीश के अपमान की चिंता
शिवानन्द तिवारी आगे कहते हैं कि वर्ष 2015 में लालू जी ने नीतीश कुमार को अपना नेता माना था. इस भरोसे के साथ कि वह नरेंद्र मोदी और बीजेपी के खिलाफ एक मजबूत चेहरा थे, लेकिन तब नीतीश जी हमारा साथ छोड़कर चले गए. उन्हें सोचना चाहिए बीजेपी के साथ रहकर उन्हें कितना अपमानित होना पड़ रहा है. अब तो उन्हें तय करना है कि वह कब तक बीजेपी के साथ रहते हैं?

जेडीयू के अतिपिछड़े वोट बैंक पर आरजेडी की नजर
हालांकि, कई राजनीतिक जानकार मानते हैं कि सीएम नीतीश को अपने साथ लाने की आरजेडी की अलग रणनीति है. दरअसल, उसकी नजर अतिपिछड़ा वोट बैंक पर है. मोटे तौर पर यह सभी मानते हैं कि बिहार का अतिपिछड़ा समुदाय सीएम नीतीश कुमार के साथ खड़ा है. जाहिर है कि आरजेडी का यह नीतीश प्रेम इसी वोट बैंक को लेकर है. वरना शिवानंद तिवारी जो कभी पानी पीकर नीतीश कुमार को अनाप-शनाप बोला करते थे, आज उन्हें उनकी अपमान की चिंता सता रही है.
तेजस्वी के सामने आरजेडी को एकजुट रखने की चुनौती
यह भी एक हकीकत है कि आज लालू यादव जेल में बंद हैं और आरजेडी की हालत बहुत पतली है. तेजस्वी को अभी राजनीतिक अनुभव की दरकार है, ऐसा उनके सहयोगी भी मानते हैं. उनके लिए तो फिलहाल बड़ी चुनौती यही है कि पार्टी और अपने विधायकों को एकजुट रख पाएं. बहरहाल, बिहार में बनने की कोशिश कर रही इस सियासी तस्वीर का दूसरा पहलू भी है. जेडीयू फिलहाल आरजेडी को किसी भी प्रकार का भाव देने के मूड में नहीं लग रही है.

जेडीयू नहीं दे रही आरजेडी को भाव
जेडीयू प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद का मानना है कि बिहार की सभी पार्टियां नीतीश कुमार की मुरीद हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि वह एनडीए से इतर सोचें. एनडीए एकजुट है और आरजेडी के लोग सपने देखते रहें. हालांकि, बड़ी हकीकत यह भी है कि हाल में बीजेपी एमएलसी संजय पासवान के बयान से जेडीयू-बीजेपी के रिश्तों में तल्खी बढ़ी है.
इन सब के बीच फिर बात चाहे किसी मुद्दे की हो या फिर नेता के चेहरे पर चुनाव लड़ने की, दोनों ही पार्टियों के बीच मनभेद और मतभेद खुलकर दिखने लगे हैं. ऐसे में आरजेडी मौके की ताक में है, लेकिन सीएम नीतीश भी सियासत के मास्टर हैं. ऐसे में वह अगला कदम क्या उठाएंगे इसका किसी को नहीं पता.
रिपोर्ट- अमित कुमार सिंह
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दरअसल, आरजेडी के कई बड़े नेता अब यह मानने लगे हैं कि बीजेपी को अगर साल 2020 में पछाड़ना है तो नीतीश कुमार को हर हाल में अपने साथ लाना होगा. इसको लेकर प्रयास किए जाने की शुरुआत तो लोकसभा चुनाव में आरजेडी की करारी हार के तुरंत बाद ही हो गई थी. उस वक्त पार्टी के बड़े नेता रघुवंश प्रसाद सिंह ने सबसे पहले ये बात उठाई थी.

लोकसभा चुनाव नतीजों के तुरंत बाद ही आरजेडी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवंश प्रसाद सिंह ने सबसे पहले सीएम नीतीश को आरजेडी के साथ आने का ऑफर दिया था.
विवादित मुद्दों पर नीतीश के स्टैंड का दिया साथइसके बाद ट्रिपल तलाक और अनुच्छेद 370 पर जेडीयू ने केंद्र सरकार के प्रस्ताव का जब विरोध किया तो आरजेडी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानन्द तिवारी ने खुलकर न सिर्फ सीएम नीतीश कुमार की तारीफ की, बल्कि बीजेपी को छोड़कर महागठबंधन में दोबारा शामिल होने का न्योता भी दिया था. शिवानन्द तिवारी अब भी अपनी बात दोहराते हुए कहते हैं कि आज नीतीश कुमार के साथ बीजेपी गलत कर रही है. उन्हें अपमानित करने की एक बड़ी साजिश हो रही है.
शिवानंद तिवारी को नीतीश के अपमान की चिंता
शिवानन्द तिवारी आगे कहते हैं कि वर्ष 2015 में लालू जी ने नीतीश कुमार को अपना नेता माना था. इस भरोसे के साथ कि वह नरेंद्र मोदी और बीजेपी के खिलाफ एक मजबूत चेहरा थे, लेकिन तब नीतीश जी हमारा साथ छोड़कर चले गए. उन्हें सोचना चाहिए बीजेपी के साथ रहकर उन्हें कितना अपमानित होना पड़ रहा है. अब तो उन्हें तय करना है कि वह कब तक बीजेपी के साथ रहते हैं?

आर्टिकल 370 खत्म किए जाने पर जेडीयू के रुख का आरजेडी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने समर्थन किया था.
जेडीयू के अतिपिछड़े वोट बैंक पर आरजेडी की नजर
हालांकि, कई राजनीतिक जानकार मानते हैं कि सीएम नीतीश को अपने साथ लाने की आरजेडी की अलग रणनीति है. दरअसल, उसकी नजर अतिपिछड़ा वोट बैंक पर है. मोटे तौर पर यह सभी मानते हैं कि बिहार का अतिपिछड़ा समुदाय सीएम नीतीश कुमार के साथ खड़ा है. जाहिर है कि आरजेडी का यह नीतीश प्रेम इसी वोट बैंक को लेकर है. वरना शिवानंद तिवारी जो कभी पानी पीकर नीतीश कुमार को अनाप-शनाप बोला करते थे, आज उन्हें उनकी अपमान की चिंता सता रही है.
तेजस्वी के सामने आरजेडी को एकजुट रखने की चुनौती
यह भी एक हकीकत है कि आज लालू यादव जेल में बंद हैं और आरजेडी की हालत बहुत पतली है. तेजस्वी को अभी राजनीतिक अनुभव की दरकार है, ऐसा उनके सहयोगी भी मानते हैं. उनके लिए तो फिलहाल बड़ी चुनौती यही है कि पार्टी और अपने विधायकों को एकजुट रख पाएं. बहरहाल, बिहार में बनने की कोशिश कर रही इस सियासी तस्वीर का दूसरा पहलू भी है. जेडीयू फिलहाल आरजेडी को किसी भी प्रकार का भाव देने के मूड में नहीं लग रही है.

तेजस्वी यादव के सामने आरजेडी को हार की मनोदशा से निकालने, पार्टी और नेताओं को एकजुट रखने जैसी कई चुनौतियां हैं.
जेडीयू नहीं दे रही आरजेडी को भाव
जेडीयू प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद का मानना है कि बिहार की सभी पार्टियां नीतीश कुमार की मुरीद हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि वह एनडीए से इतर सोचें. एनडीए एकजुट है और आरजेडी के लोग सपने देखते रहें. हालांकि, बड़ी हकीकत यह भी है कि हाल में बीजेपी एमएलसी संजय पासवान के बयान से जेडीयू-बीजेपी के रिश्तों में तल्खी बढ़ी है.
इन सब के बीच फिर बात चाहे किसी मुद्दे की हो या फिर नेता के चेहरे पर चुनाव लड़ने की, दोनों ही पार्टियों के बीच मनभेद और मतभेद खुलकर दिखने लगे हैं. ऐसे में आरजेडी मौके की ताक में है, लेकिन सीएम नीतीश भी सियासत के मास्टर हैं. ऐसे में वह अगला कदम क्या उठाएंगे इसका किसी को नहीं पता.
रिपोर्ट- अमित कुमार सिंह
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