तेजस्वी के 'कमबैक' पर RJD के विधायक और नेता देंगे 'लॉयल्टी टेस्ट'!

कहा जा रहा है कि ये बैठक उस आशंका को खत्म करने की कवायद है जिसमें कांग्रेस के एमएलए मुन्ना तिवारी ने अपनी पार्टी के अलावा आरजेडी में भी बड़ी टूट का दावा किया है.
कहा जा रहा है कि ये बैठक उस आशंका को खत्म करने की कवायद है जिसमें कांग्रेस के एमएलए मुन्ना तिवारी ने अपनी पार्टी के अलावा आरजेडी में भी बड़ी टूट का दावा किया है.
- News18 Bihar
- Last Updated: August 16, 2019, 8:47 AM IST
राष्ट्रीय जनता दल (Rashtriya Janta Dal) ने विधानमंडल दल (Legislature party) और जिलाध्यक्षों की बैठक बुलाई है. उम्मीद की जा रही है कि लंबे अर्से के बाद तेजस्वी यादव कमबैक करेंगे और इस मीटिंग का नेतृत्व भी करेंगे. बताया जा रहा हैकि वर्तमान राजनीतिक परिस्थितियों में आरजेडी (RJD) की भूमिका पर वरीय विधायकों, नेताओं और पुराने जिलाध्यक्षों की राय ली जाएगी. हालांकि राजनीतिक जानकारों की मानें तो बदली परिस्थियों में ये पार्टी के विधायकों और नेताओं के लिए 'लॉयल्टी टेस्ट' जैसा है.
राजनीतिक उलटफेर के कयास
दरअसल कयास लगाए जा रहे हैं कि पार्टी के कई विधायक सीएम नीतीश के संपर्क में हैं और आने वाले समय में कोई बड़ा राजनीतिक उलटफेर भी हो सकता है. यह बैठक पूर्व सीएम राबड़ी देवी के 10 सर्कुलर रोड स्थित आवास पर हो सकती है. इसमें पार्टी के सभी 79 विधायक, 2015 के सारे प्रत्याशी, सभी जिलों के जिलाध्यक्ष और जिला प्रभारी शामिल होंगे.
RJD-CONGRESS में टूट की आशंका
कहा तो यही जा रहा है कि कि आगामी 2020 के विधानसभा चुनाव सदस्यता अभियान और पार्टी संगठन मजबूत करने को लेकर बैठक बुलाई गई है. लेकिन, कहा जा रहा है कि आनन-फानन में बुलाई जा रही ये बैठक उस आशंका को खत्म करने की कवायद है जिसमें कांग्रेस के एमएलए मुन्ना तिवारी ने अपनी पार्टी के अलावा आरजेडी में भी बड़ी टूट का दावा किया है.
कांग्रेस विधायक का दावा
बता दें कि दो दिन पहले ही बक्सर से कांग्रेस विधायक मुन्ना तिवारी ने दावा किया था कि सीएम नीतीश कुमार आने वाला विधान सभा चुनाव में भाजपा के साथ गठबंधन नहीं करेंगे. विधायक ने कहा था कि कांग्रेस और आरजेडी से एमएलए टूटेंगे वह नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री का चेहरा बनाएंगे. सीएम नीतीश भी भाजपा को छोड़कर इन विधायकों को जेडीयू में शामिल करते हुए चुनाव लड़ेंगे.
तेजस्वी की नेतृत्व क्षमता पर सवाल
बहरहाल बिहार की बढ़ती सियासी सरगर्मी के बीच तेजस्वी यादव की नेतृत्व क्षमता को लेकर उनकी पार्टी में कई सवाल उठे हैं. लालू यादव के करीबी विधायक भाई वीरेंद्र कह चुके हैं कि किसी के रहने या नहीं रहने से कोई फर्क नहीं पड़ता. इसी तरह पार्टी के वरिष्ठ नेताओं (रघुवंश प्रसाद सिंह और शिवानंद तिवारी) ने भी तेजस्वी की नेतृत्व शैली पर सवाल खड़े किए हैं.

मीसा-तेजप्रताप पर रहेगी नजर
जाहिर है बीते ढाई महीने में अपनी राजनीतिक साख खो चुके तेजस्वी यादव के एक बार फिर सक्रिय होने के बाद इस बैठक में सभी विधायकों से एकजुटता प्रदर्शित करने के साथ तेजस्वी के नेतृत्व में विश्वास व्यक्त करवाया जाएगा. हालांकि इसमें तेजप्रताप यादव और मीसा भारती की मौजूदगी या गैरमौजूदगी पर भी सबकी नजर रहेगी. हालांकि कयास ये भी लगाए जा रहे हैं कि अगर तेजस्वी यादव पटना नहीं आ पाए तो एक-दो दिनों के लिए बैठक की तारीख बढ़ाई भी जा सकती है.
इनपुट- अमित कुमार सिंह
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राजनीतिक उलटफेर के कयास
दरअसल कयास लगाए जा रहे हैं कि पार्टी के कई विधायक सीएम नीतीश के संपर्क में हैं और आने वाले समय में कोई बड़ा राजनीतिक उलटफेर भी हो सकता है. यह बैठक पूर्व सीएम राबड़ी देवी के 10 सर्कुलर रोड स्थित आवास पर हो सकती है. इसमें पार्टी के सभी 79 विधायक, 2015 के सारे प्रत्याशी, सभी जिलों के जिलाध्यक्ष और जिला प्रभारी शामिल होंगे.

तेजस्वी यादव के आने के बीच तेजप्रताप यादव और मीसा भारती की मौजूदगी और गैर मौजूदगी पर सबकी नजर रहेगी.
कहा तो यही जा रहा है कि कि आगामी 2020 के विधानसभा चुनाव सदस्यता अभियान और पार्टी संगठन मजबूत करने को लेकर बैठक बुलाई गई है. लेकिन, कहा जा रहा है कि आनन-फानन में बुलाई जा रही ये बैठक उस आशंका को खत्म करने की कवायद है जिसमें कांग्रेस के एमएलए मुन्ना तिवारी ने अपनी पार्टी के अलावा आरजेडी में भी बड़ी टूट का दावा किया है.
कांग्रेस विधायक का दावा
बता दें कि दो दिन पहले ही बक्सर से कांग्रेस विधायक मुन्ना तिवारी ने दावा किया था कि सीएम नीतीश कुमार आने वाला विधान सभा चुनाव में भाजपा के साथ गठबंधन नहीं करेंगे. विधायक ने कहा था कि कांग्रेस और आरजेडी से एमएलए टूटेंगे वह नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री का चेहरा बनाएंगे. सीएम नीतीश भी भाजपा को छोड़कर इन विधायकों को जेडीयू में शामिल करते हुए चुनाव लड़ेंगे.
तेजस्वी की नेतृत्व क्षमता पर सवाल
बहरहाल बिहार की बढ़ती सियासी सरगर्मी के बीच तेजस्वी यादव की नेतृत्व क्षमता को लेकर उनकी पार्टी में कई सवाल उठे हैं. लालू यादव के करीबी विधायक भाई वीरेंद्र कह चुके हैं कि किसी के रहने या नहीं रहने से कोई फर्क नहीं पड़ता. इसी तरह पार्टी के वरिष्ठ नेताओं (रघुवंश प्रसाद सिंह और शिवानंद तिवारी) ने भी तेजस्वी की नेतृत्व शैली पर सवाल खड़े किए हैं.

लोकसभा चुनाव में करारी शिकस्त के बाद तेजस्वी यादव राजनीतिक रूप से सक्रिय नहीं हैं. ऐसे में अपनी ही पार्टी के नेताओं के निशाने पर भी हैं.
मीसा-तेजप्रताप पर रहेगी नजर
जाहिर है बीते ढाई महीने में अपनी राजनीतिक साख खो चुके तेजस्वी यादव के एक बार फिर सक्रिय होने के बाद इस बैठक में सभी विधायकों से एकजुटता प्रदर्शित करने के साथ तेजस्वी के नेतृत्व में विश्वास व्यक्त करवाया जाएगा. हालांकि इसमें तेजप्रताप यादव और मीसा भारती की मौजूदगी या गैरमौजूदगी पर भी सबकी नजर रहेगी. हालांकि कयास ये भी लगाए जा रहे हैं कि अगर तेजस्वी यादव पटना नहीं आ पाए तो एक-दो दिनों के लिए बैठक की तारीख बढ़ाई भी जा सकती है.
इनपुट- अमित कुमार सिंह
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