मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जांच का अपडेट एसएसपी से खुद फोन पर लेते थे.
पटना. पटना के पॉश इलाके में इंडिगो के स्टेशन मैनेजर रूपेश सिंह की 12 जनवरी को शाम 6.58 बजे उनके घर के नीचे अपराधियों ने गोलियों से भून दिया था. गाड़ी की ड्राइविंग सीट पर बैठे खून से लथपथ रूपेश को सीट बेल्ट काटकर जब तक अस्पताल पहुंचाया जाता, उन्होंने दम तोड़ दिया. वीआईपी इलाका और शाम का वक्त था, ऐसे में तत्काल शास्त्रीनगर पुलिस स्टेशन के थाना प्रभारी पहुंचे. बाद में पटना के एसएसपी उपेन्द्र कुमार शर्मा मौके पर पहुंचे. रूपेश सिंह के सत्ता से लेकर विपक्ष तक के नेताओं और छोटे अधिकारियों से लेकर ऊंचे ओहदे पर बैठे आईएएस-आईपीएसस से अच्छे तालुकात थे. ऐसे में पटना पुलिस पर जल्द से जल्द हत्यारों को पकड़ने का दबाब था. लिहाजा पुलिस ने तुरंत जाल बिछाया और अपराधियो की तालाश शुरू कर दी.
हत्या के कुछ ही वक्त बाद, इस मामले की जांच के लिये एसआईटी गठित की गई. पटना पुलिस भी इस मामले की जांच करती रही. जांच के दौरान ना तो रूपेश की किसी से लेनदेन की बात सामने आई और ना ही किसी से विवाद. ऐसे में रूपेश हत्याकांड ब्लाइंड केस हो गया था. हत्याकांड हाईप्रोफाइल था लिहाजा बड़े अधिकारिंयो का दबाब भी बढ़ा. ऐसे में पुलिस के लिए चुनौती और बड़ी हो गई. इंजीनियरिंग प्रोफेशन से आईपीएस बने उपेन्द्र कुमार शर्मा ने भी ठान लिया और जांच में जुटे रहे.
रूपेश की हत्या के बाद सात दिनों तक एसएसपी की आंखों से नींद गायब थी. आठवें दिन जब सोए तो सिर्फ चंद घंटे. एसएसपी जांच के दौरान रात-रातभर साक्ष्य इकट्ठा करते रहे. अपराधियों की तलाश और हर एंगल का एनालिसिस खुद अपने ऑफिस के स्पेशल सेल में बैठकर करते रहे. इस दौरान उपेन्द्र सुबह तीन से चार बजे के करीब घर पहुंचते थे और सात बजे सुबह फिर जांच में निकलने का वक्त हो जाता था. सात दिनो तक तो परिवारवालों को पता भी नही चला कि वह कब आवास पर पहुंचे और फिर कब घर से निकल गए.
आरोपी वारदात को अंजाम देने के बाद पटना से बाहर निकल गया था और गोली चलने की वजह साफ नहीं थी. हत्यारों की तलाश में तकरीबन 100 किलोमीटर तक पटना पुलिस पैदल चली और तब जाकर मौत की उलझी गुत्थी सुलझ पाई.
रूपेश की हत्या के बाद यह वारदात टीवी और अखबार में जबरदस्त सुर्खियां बनीं. राजधानी में गोली चलने की वारदात के बाद पटना पुलिस पर उंगलियां उठ रही थीं. रूपेश के परिजन और उनके जानने वाले करीबी सरकार में भी शामील है, ऐसे में सरकार की किरकीरी हो रही थी. जांच का अपडेट एसएसपी से खुद फोन पर मुख्यमंत्री एक-एक अपडेट लेते थे. 22वें दिन इस हत्याकांड से पर्दा उठा.
पुलिस ने एक-एक साक्ष्य इकट्ठा करने के बाद 22वें दिन रूपेश हत्याकांड का खुलासा किया. जांच के दौरान पुलिस ने 50 से अधिक लोगो से पूछताछ की और तकरीबन 200 कैमरे खंगाले गए. पुलिस ने 4 हजार से अधिक सीडीआर भी खंगाल लिया था. पुलिस ने सीसीटीवी खंगालना शुरू किया तो पता चला कि एक ही आदमी कई बार रूपेश की गाड़ी के आसपास दिख रहा है. पुलिस की जांच आगे बढ़ी. हांलाकि अपराध में शामिल तीन अपराधी अभी भी फरार हैं. पुलिस उन्हें पकड़ने के लिए लगातार दबाव बना रही है.
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