रूपेश हत्याकांड: बेउर जेल में बंद अपराधियों तक पहुंची SIT, 6 दिन बाद भी हाथ खाली

रूपेश सिंह हत्याकांड में 6 दिन बाद भी एसआईटी के हाथ खाली हैं.
Indigo Manager Rupesh Kumar Singh Murder case: घटना के 6 दिन बाद भी पुलिस के हाथ खाली हैं. आने वाले दिनों में एसआईटी रूपेश के करीबी पहुंच वाले लोगों से लेकर वीवीआईपी से भी पुलिस पूछताछ कर सकती है. हालत यह है कि कोई भी पुलिस अधिकारी इस हाई प्रोफाइल मर्डर केस में कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है.
- Last Updated: January 18, 2021, 4:52 PM IST
पटना. इंडिगो मैनेजर रूपेश कुमार सिंह हत्याकांड की कड़ियां जोड़ने के लिए एसआईटी रविवार को बेउर जेल गई थी. एसआईटी ने जेल में बंद कुख्यातों को हत्या में शामिल संदिग्ध शूटरों की तस्वीर दिखाई है. शूटरों की कद काठी से पुलिस उनकी पहचान करने में जुटी है. चौंकाने वाली बात है कि रूपेश सिंह हत्याकांड में पुलिस की करीब 20 टीम लगी हैं लेकिन 120 घंटे से ज्यादा गुजर जाने के बाद भी पुलिस किसी ठोस कारण पर नहीं पहुंच सकी है और ना ही शूटरों की सही पहचान कर सकी है. पुलिस 10 शूटरों को हिरासत में लेकर पूछताछ करने में जुटी है.
पटना से बाहर 6 टीम दे रहीं दबिश
जिन शूटरों पर पुलिस का शक है, वे पटना में नहीं हैं. पटना से बाहर छह टीम दबिश दे रही है. रूपेश की हत्या 12 जनवरी की शाम को शास्त्रीनगर थाना इलाके में स्थित उनके ही अपार्टमेंट कुसुम विलास के गेट पर कार में गोलियों की बौछार कर हत्या कर दी गई थी. एसआईटी व एसटीएफ कारणों की गुत्थी में उलझ
कर रह गई है. पुलिस टेंडर में पैसे के लेनदेन, पुरानी रंजिश, उनकी बढ़ती लोकप्रियता, इंडिगो से कई को नौकरी से निकाल देने व अन्य कारणों पर फोकस किए हुई थी. हालांकि पुलिस की अलग-अलग टीमों ने करीब 200 लोगों से पूछताछ की है. आने वाले दिनों में एसआईटी रूपेश के करीबी पहुंच वाले लोगों से लेकर वीवीआईपी से भी पुलिस पूछताछ कर सकती है. हालत यह है कि कोई भी पुलिस अधिकारी इस हाई प्रोफाइल मर्डर केस में कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है.दीगर बात है कि पुलिस यह मान रही है कि रूपेश की हत्या कॉन्ट्रैक्ट किलर ने की है. दूसरे जिलों में तैनात तेज-तर्रार दो दर्जन अधिकारियों को भी लगाया गया है. रूपेश हत्याकांड की गुत्थी सुलझाने से लेकर शूटरों की गिरफ्तारी के लिए दूसरे जिलों से उन इंस्पेक्टरो, एसआई व एएसआई को बुलाया गया जो एक-दो साल पहले पटना में तैनात थे. इन पुलिस अधिकारियों ने पटना में तैनाती के दौरान कई बड़ी वारदातों को क्रैक किया था. इन सभी को भी एसआईटी के साथ काम करने को कहा गया है. इसके अलावा पटना पुलिस, एसटीएफ, सीआईडी छपरा, गोपालगंज, सिवान, बेगूसराय से लेकर अन्य जिलों की पुलिस के भी संपर्क में है.
मोबाइल की सीडीआर खंगाली
रूपेश के मोबाइल की सीडीआर खंगाली गई. कार में ही रूपेश का मोबाइल पुलिस को मिला था. पत्नी और बेटी से मोबाइल का पासवर्ड पूछकर इसे खोला गया. गोवा जाने से लेकर पटना लौटने व घटना से पहले तक रूपेश ने जिन-जिन लोगों से बातचीत की. सभी नंबरों को खंगाला गया. उनके WhatsApp कॉल
कोभी देखा गया. WhatsApp चैट को भी पुलिस ने देखा. इसके बाद 50 से ज्यादा मोबाइल नंबरों की डिटेल खंगाल चुकी है. सूत्रों के अनुसार, लाइनर से शूटर संपर्क में जरूर थे, पर वे इंटरनेट कॉल का इस्तेमाल किया या फिर फोन का उपयोग किया ही नहीं.
अभी भी रूपेश हत्याकांड में सबसे बड़ा सवाल यही है कि आखिर वह शख्स कौन है जिसने इतनी बड़ी साजिश रच डाली? साजिश करने वाला का क्या मकसद था? उनकी हत्या से किसको फायदा होने वाला था या किसका रूपेश ने नुकसान किया? छह दिन बाद भी एक भी शूटर को पुलिस क्यों नहीं पकड़ सकी? आखिर शूटर कहां भाग गए जो इतनी बड़ी पुलिस टीम के रडार पर नहीं आ रहे?
पटना से बाहर 6 टीम दे रहीं दबिश
जिन शूटरों पर पुलिस का शक है, वे पटना में नहीं हैं. पटना से बाहर छह टीम दबिश दे रही है. रूपेश की हत्या 12 जनवरी की शाम को शास्त्रीनगर थाना इलाके में स्थित उनके ही अपार्टमेंट कुसुम विलास के गेट पर कार में गोलियों की बौछार कर हत्या कर दी गई थी. एसआईटी व एसटीएफ कारणों की गुत्थी में उलझ
कर रह गई है. पुलिस टेंडर में पैसे के लेनदेन, पुरानी रंजिश, उनकी बढ़ती लोकप्रियता, इंडिगो से कई को नौकरी से निकाल देने व अन्य कारणों पर फोकस किए हुई थी. हालांकि पुलिस की अलग-अलग टीमों ने करीब 200 लोगों से पूछताछ की है. आने वाले दिनों में एसआईटी रूपेश के करीबी पहुंच वाले लोगों से लेकर वीवीआईपी से भी पुलिस पूछताछ कर सकती है. हालत यह है कि कोई भी पुलिस अधिकारी इस हाई प्रोफाइल मर्डर केस में कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है.दीगर बात है कि पुलिस यह मान रही है कि रूपेश की हत्या कॉन्ट्रैक्ट किलर ने की है. दूसरे जिलों में तैनात तेज-तर्रार दो दर्जन अधिकारियों को भी लगाया गया है. रूपेश हत्याकांड की गुत्थी सुलझाने से लेकर शूटरों की गिरफ्तारी के लिए दूसरे जिलों से उन इंस्पेक्टरो, एसआई व एएसआई को बुलाया गया जो एक-दो साल पहले पटना में तैनात थे. इन पुलिस अधिकारियों ने पटना में तैनाती के दौरान कई बड़ी वारदातों को क्रैक किया था. इन सभी को भी एसआईटी के साथ काम करने को कहा गया है. इसके अलावा पटना पुलिस, एसटीएफ, सीआईडी छपरा, गोपालगंज, सिवान, बेगूसराय से लेकर अन्य जिलों की पुलिस के भी संपर्क में है.
मोबाइल की सीडीआर खंगाली
रूपेश के मोबाइल की सीडीआर खंगाली गई. कार में ही रूपेश का मोबाइल पुलिस को मिला था. पत्नी और बेटी से मोबाइल का पासवर्ड पूछकर इसे खोला गया. गोवा जाने से लेकर पटना लौटने व घटना से पहले तक रूपेश ने जिन-जिन लोगों से बातचीत की. सभी नंबरों को खंगाला गया. उनके WhatsApp कॉल
कोभी देखा गया. WhatsApp चैट को भी पुलिस ने देखा. इसके बाद 50 से ज्यादा मोबाइल नंबरों की डिटेल खंगाल चुकी है. सूत्रों के अनुसार, लाइनर से शूटर संपर्क में जरूर थे, पर वे इंटरनेट कॉल का इस्तेमाल किया या फिर फोन का उपयोग किया ही नहीं.
अभी भी रूपेश हत्याकांड में सबसे बड़ा सवाल यही है कि आखिर वह शख्स कौन है जिसने इतनी बड़ी साजिश रच डाली? साजिश करने वाला का क्या मकसद था? उनकी हत्या से किसको फायदा होने वाला था या किसका रूपेश ने नुकसान किया? छह दिन बाद भी एक भी शूटर को पुलिस क्यों नहीं पकड़ सकी? आखिर शूटर कहां भाग गए जो इतनी बड़ी पुलिस टीम के रडार पर नहीं आ रहे?