पटना. कोरोना के बढ़ता संक्रमण (Corona Infection) को लेकर बिहार और केंद्र सरकार दोनों परेशान है. सरकार आम जनमानस से घरों में रहने की अपील कर रही है तो इधर बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी (Sushil Kumar Modi) को इस बात की चिंता सता रही है कि कोरोना के इस दूसरी लहर का काफी बुरा असर बिहार की अर्थव्यवस्था राजकीय कोष पर पड़ेगा. सुशील मोदी के मुताबिक कोविड की दूसरी लहर के मुकाबले के लिए केंद्र और राज्य सरकारों को भारी वित्तीय बोझ उठाना होगा.
दरअसल सुशील मोदी यह दावा एसबीआई के मुख्य आर्थिक सलाहकार सौम्य कांति घोष के आंकलन के आधार पर कर रहे हैं. घोष के आंकलन रिपोर्ट की मानें तो कर्फ्यू, आंशिक लॉकडाउन और आवाजाही पर रोक से जहां राज्यों को 1 लाख 50 हजार करोड़ का आर्थिक नुकसान उठाना पड़ेगा वहीं बिहार को करीब 6 हजार 222 करोड़ रुपए की क्षति होगी. बिहार के 18 से 44 वर्ष के 5 करोड़ 47 लाख नागरिकों के दो डोज मुफ्त टीकाकरण यानी 11 करोड़ टीके पर परिवहन व अन्य रख रखाव आदि के खर्चे मिलाकर अनुमानतः 4,500 करोड़ रुपये व्यय होंगे क्योंकि टीका निर्माता कम्पनियों ने एक डोज की कीमत 400 रुपये निर्धारित की है.
सुशील कुमार मोदी ने बताया कि एसबीआई के मुख्य आर्थिक सलाहकार के आंकलन के अनुसार महाराष्ट्र को सर्वाधिक 82 हजार करोड़, मध्यप्रदेश को 21 हजार करोड़ व राजस्थान को 17,237 करोड़ का आर्थिक नुकसान कोरोना संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए लगाई गई विभिन्न पाबन्दियों को लेकर उठाना पड़ेगा.
घोष की रिपोर्ट के अनुसार 1 से 12 अप्रैल के बीच पश्चिमी रेलवे से 3 लाख 23 हजार श्रमिक बिहार, यूपी लौट कर आये जबकि सेंट्रल रेलवे के मुताबिक 4 लाख 70 हजार श्रमिक लौटे कोविड के दूसरे चरण का गम्भीर असर आर्थिक गतिविधियों पर पड़ना लाजिमी है.
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FIRST PUBLISHED : April 25, 2021, 13:48 IST