सूरजभान सिंह बने कार्यकारी अध्यक्ष.
पटना. एलजेपी की राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक में सूरजभान सिंह (Suraj Bhan Singh) को कार्यकारी अध्यक्ष चुना गया है. माना जा रहा है कि पांच दिन के भीतर राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव होगा. फिलहाल, सूरजभान सिंह की अध्यक्षता में बैठक होगी. एक-दो दिन में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक हो सकती है. संसदीय दल के नेता के बाद अब चिराग पासवान को एलजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद से भी हटाया दिया गया है. सूरज भान को कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया. अगले दो-तीन दिनों में पटना में मीटिंग कर पशुपति पारस को एलजेपी का नया अध्यक्ष बनाया जा सकता है. इधर, लोजपा के भीतर मचे घमासान के बीच चिराग खेमा पार्टी और पावर बचाने की जद्दोजहद में जुट गया है. चिराग पासवान (Chiarg Paswan) के दिल्ली स्थित आवास पर सोमवार की देर रात तक बैठकों का दौर जारी रहा जो मंगलवार को भी चल रहा है.
इस बैठक में चिराग पासवान सहित पार्टी के कई नेता मौजूद हैं. बिहार से भी पार्टी के कुछ नेता सोमवार को दिल्ली रवाना हुए थे, वो भी इस बैठक में मौजूद थे. पार्टी में टूट के बाद अब एलजेपी (LJP) का क्या होगा, इसे लेकर बैठक में पार्टी के नेता और कार्यकर्ताओं से राय ली गई. साथ ही यह भी जानने की कोशिश हुई कि आखिर पार्टी को कैसे बचाया जाए?
कानूनी पहलुओं पर चर्चा कर रहे हैं चिराग
लोकसभा में संसदीय दल का नेता का पद छीने जाने के बाद अब संकट लोजपा पार्टी पर है, ऐसे में चिराग पासवान पार्टी बचाने के लिए कानूनी पहलुओं पर भी चर्चा कर रहे हैं. खबर यह है कि सोमवार की देर रात तक चिराग पासवान अपने आवास पर वकीलों से भी बात करते रहे और इस मामले में कानूनी पहलू क्या हो सकता है इस पर भी चर्चा की. पार्टी सूत्रों की मानें तो चिराग पासवान पार्टी के कार्यकर्ताओं का भी मन टटोलने में लगे हैं. खबर तो यहां तक है कि खुद चिराग पासवान ने पार्टी के कई नेताओं से फोन पर बात की और उन्हें जमीनी कार्यकर्ताओं से बात करने का टास्क दिया.
अटकले जोरों पर
बिहार में जारी सियासी उथल-पुथल के बीच कांग्रेस ने अपने विधायकों के टूटने की खबर का खंडन किया है. रविवार की रात लोजपा में हुई टूट के बाद से ये कयास लगाए जा रहे हैं कि बिहार में कांग्रेस के विधायक भी बहुत जल्द अपना पहला बदल सकते हैं. विभिन्न मीडिया रिपोर्ट्स और जेडीयू के सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक कांग्रेस के तकरीबन 10 विधायक जेडीयू के लगातार संपर्क में हैं, जो कभी भी टूट सकते हैं. लेकिन, दलबदल कानून के प्रावधानों के तहत विधायकों के टूटने के लिए 13 की संख्या होना अनिवार्य है. इसके लिए जेडीयू की तरफ से अब 'ऑपरेशन कांग्रेस' चलाया जा रहा है.
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