रिपोर्ट: सच्चिदानंद
पटना. अक्सर कामकाजी महिलाओं के लिए अपने बच्चों की देखभाल करना एक बड़ी चुनौती लगती है. बच्चों को पालने के लिए कई महिलाएं तो नौकरी तक छोड़ देती हैं, लेकिन अब कामकाजी मां को नौकरी के साथ-साथ अपने बच्चों को पालने में कोई दिक्कत नहीं होगी.
क्योंकि महिला विकास निगम की ओर से बिहार के 38 जिलों के डीएम कार्यालय और पुलिस लाइन में पालनाघर खुलने वाला है. जहां कामकाजी महिलाएं अपने बच्चों को रख ड्यूटी कर सकती हैं. फिलहाल यह पटना के पुलिस मुख्यालय, सचिवालय समेत कई दफ्तरों में चल रहा है.
क्या है पालनाघर?
महिला विकास निगम की एक अधिकारी बताती हैं कि पालनाघर एक जगह है, जहां सरकारी दफ्तरों में काम करने वाली महिलाएं अपने बच्चों को रख कर ड्यूटी कर सकती हैं. इस पालनाघर में 6 महीने से लेकर 5 साल के बच्चों को रख सकते हैं. यहां बच्चों के खेलने से लेकर पढ़ने, खाने-पीने, सोने समेत सारी सुविधा उपलब्ध होती है.
बच्चों की देखभाल करने के लिए पालना घर में महिला कर्मचारियों की तैनाती होती है. फिलहाल राजधानी के विकास भवन में एक और पुराना सचिवालय में दो पालनाघर मौजूद है. इसके अलावा पंचायती राज, समाज कल्याण, कारा विभाग, सरदार पटेल भवन में पालनाघर खोला गया है. पंचायती राज के आसपास शिक्षा और खनन विभाग की महिला कर्मी अपने बच्चों को पालनाघर में रखती हैं.
सभी जिलों में खुलेंगे पालना घर
महिला एवं बाल विकास निगम द्वारा अब राज्य के सभी जिलों के समाहरणालय परिसर और पुलिस लाइन में पालनाघर खोले जाएंगे. इसके लिए सभी डीएम और एसपी को निगम की अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक हरजोत कौर बम्हरा द्वारा पत्र भेजा गया है. साथ ही कामकाजी महिलाओं की जानकारी मांगी गयी है. जैसे-जैसे जिन जिलों से मांग आ रही है, उन जिलों में इसे खोला जा रहा है. पालना घर में बच्चों को रखने के लिए कोई चार्ज नहीं लिया जाता है.
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