विक्रम झा/पूर्णिया. मिशन 60 का पूर्णिया के इस सरकारी अस्पताल में कोई बदलाव नहीं दिख रहा है. यहां न तो उचित इलाज और न ही सुविधा. बात हो रही है पूर्णिया के सदर अस्पताल की. जहां का हाल बेहाल है. यहां एक पिता और व्यवस्था दोनों लाचार दिखे. यहां पर 3 वर्षीय बच्ची को न तो उचित इलाज मिली और न ही एंबुलेंस.
पूर्णिया जिला के बुढ़िया गोला निवासी देव सुंदर यादव ने बताया की वह अपने 3 वर्षीय मासूम पुत्री जो गर्म पानी में गंभीर रूप से जल गई थी. उसको लेकर पूर्णिया के सबसे बड़े अस्पताल राजकीय मेडिकल कॉलेज पहुंचे तो, कुछ देर डॉक्टरों के द्वारा हल्की-फुल्की इलाज कर डॉक्टर नहीं होने का बहाना बनाते हुए बच्ची को कहीं और निजी अस्पताल में चले को कहा. यह सुनकर हैरान होकर मासूम बच्ची के पिता डॉक्टर से कई दफा मिन्नते की, लेकिन डॉक्टरों ने एक भी नहीं सुनी. साथी बच्ची के पिता ने एंबुलेंस की भी मांग की. अस्पताल के द्वारा एंबुलेंस की व्यवस्थाएं नहीं दी गई. बच्ची के पिता को दूसरे अन्य निजी अस्पताल में ले जाने की सलाह दे दी गई. इसके बाद बिना एंबुलेंस के ही अपने मासूम बच्ची को हाथों में टांग कर ही अस्पताल परिसर में घूमने लगे. जिसके बाद एक समाजसेवी के द्वारा उसे गाड़ी से अन्य निजी अस्पताल ले जाया गया.
परिजन ने कहा, क्या फायदा है इतने बड़े सरकारी अस्पताल का
वही मासूम बच्ची के पिता एवं साथ में मौजूद परिजनों ने जिला का सबसे बड़ा अस्पताल राजकीय मेडिकल कॉलेज है. जहां लोग आता और उम्मीदों के साथ इलाज कराने आते हैं. जब यहां के डॉक्टर ही मरीजों को बाहर जाने की सलाह देने लगे और निजी अस्पताल में इलाज के लिए भेजने लगे तो लोग सदर अस्पताल में इलाज कराने क्यों आएंगे.
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