रिपोर्ट- विक्रम कुमार झा
पूर्णिया. ठाडी व्रत का मेला माघ महीने के शुक्ल पक्ष के श्रीपंचमी तिथि के बाद आने वाले रविवार को ही होता है. जिसमें पूर्णिया जिला सहित अन्य जिले के लोग स्थान व्रत के मेले की महिमा को देखने आते हैं. व्रत का मेला तीन दिवसीय होता है. इस पर्व को भी छठ पर्व के ही तर्ज पर लोग मनाते हैं.
खासतौर पर सीमांचल के लोग ठाडी व्रत के मेले को सुख समृद्धि धन्य धान एवं यश कीर्ति के लिए मनाते हैं. तो कई लोग संतान, ऐश्वर्य की प्राप्ति के लिए भी इस पर्व को मनाते हैं.
5 दिन पूर्व से ही आने लगते हैं मेहमान
बता दें इस मेले की शुरुआत होते ही पूर्णिया जिला के मजरा पंचायत के मां कामाख्या मंदिर के आसपास के लगभग 5 किलोमीटर दूरी तक के गांव में रहने वाले सभी लोगों के घर में मेहमान नवाजी शुरू हो जाती है. जिसको लेकर घरवाले काफी उत्साहित नजर आते हैं.
मंदिर परिसर में मेले का भव्य आयोजन होता है. छठ पर्व की तरह नहाए खाए के साथ थारी व्रत महोत्सव शुरू होता है. मंदिर की परिक्रमा कर स्वस्थ तन समृद्धि की कामना करते हुए माता कामाख्या मंदिर के शरण में जा कर पूजा को समाप्त करते हैं.
पंचायत के ग्रामीणों का भी भरपूर सहयोग मिलता
जानकारी देते हुए मां कामाख्या मंदिर कमेटी के सदस्य संतोष मिश्रा बताते हैं कि इस भव्य आयोजन को लेकर मजरा पंचायत के ग्रामीणों का भी भरपूर सहयोग मिलता है. तो वहीं प्रशासनिक सहयोग भी भरपूर मिल जाता है. साथ ही मंदिर परिसर में इस भव्य मेले के आयोजन की तैयारी को लेकर लगभग 15 दिन पूर्व से ही सारी विधि व्यवस्था है. दुरुस्त करने की तैयारी में लग जाते हैं. आने जाने वाले दर्शकों एवं श्रद्धालुओं को किसी भी तरह की कोई समस्याएं ना हो इसके लिए मंदिर कमेटी के सदस्य हर वक्त तैयार रहते हैं.
लाखों की संख्या में जुटती है भीड़
इस भव्य मेले में आए लखों लोगों की भीड़ से एकमात्र सड़क जो NH31 से होकर कामाख्या स्थान मजरा होते हुए अन्य सड़कों को जोड़ती है. उस सड़क पर भी इस मेले के आयोजन को लेकर काफी भीड़ देखने को मिली. तो वहीं घंटों सड़क जाम रही.
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