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Purnia News: NCC कैडेट्स को दी गई 'फाइलेरिया' की जानकारी, जानें कैसे होती है ये बीमारी

NCC कैडेट्स को परीक्षा के बाद दी गई फाइलेरिया जैसी गंभीर बीमारी की जानकारी.

NCC कैडेट्स को परीक्षा के बाद दी गई फाइलेरिया जैसी गंभीर बीमारी की जानकारी.

आर्मी की परीक्षा के लिए 10 कॉलेज की 85 महिलाएं और 129 पुरुष एनसीसी कैडेट्स उपस्थित हुए थे. इस दौरान सभी कैडेट्स को बताय ...अधिक पढ़ें

रिपोर्ट- विक्रम कुमार झा

Purnia: आपने एक कहावत सुनी होगी, एक पंथ दो काज. पूर्णिया के भोला पासवान शास्त्री कृषि कॉलेज में आर्मी परीक्षा देने आए एनसीसी कैडेट्स को फाइलेरियाएक संक्रामक बीमारी के बारे में जानकारी दी गई. सुरक्षा के लिए स्वास्थ्य विभाग की ओर से कॉलेज में आर्मी परीक्षा के लिए उपस्थित एनसीसी कैडेट्स के बीच जागरूकता अभियान चलाया गया. कार्यक्रम में कर्नल रंजीत सिंह के साथ सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफार) जिला समन्वयक ज्योति प्रिया, निरंजन पंडित और अमन कुमार उपस्थित रहे.

10 कॉलेज के 214 एनसीसी कैडेट्स रहे उपस्थित

परीक्षा के लिए 10 कॉलेज की 85 महिलाएं और 129 पुरुष एनसीसी कैडेट्स उपस्थित रहे. इसमें फारबिसगंज कॉलेज अररिया, केबी झा कॉलेज कटिहार, एमजेएम कॉलेज कटिहार, डीएस कॉलेज कटिहार, जीएलएम कॉलेज बनमनखी, जीबी कॉलेज नवगछिया, गवर्नमेंट पॉलिटेक्निक कॉलेज बहादुरगंज, भोला पासवान शास्त्री कृषि कॉलेज पूर्णिया, पूर्णिया कॉलेज पूर्णिया और महिला कॉलेज पूर्णिया के कैडेट्स शामिल रहे.

क्यूलेक्स मादा मच्छर के काटने से होता है फाइलेरिया

एनसीसी कैडेट्स को बताया गया कि फाइलेरिया बीमारी संक्रमित क्यूलेक्स मादा मच्छर की ओर से सामान्य व्यक्ति को काटने से होने वाला एक संक्रामक रोग है, जिसे आम भाषा में हाथीपांव भी कहा जाता है. फाइलेरिया से ग्रसित व्यक्ति के पैरों व हाथों में सूजन हो जाता है. कुछ फाइलेरिया ग्रसित लोगों के अंडकोश में भी सूजन हो जाती है. किसी भी उम्र में फाइलेरिया से संक्रमित हो सकते हैं. किसी भी व्यक्ति को संक्रमण होने के पश्चात 05 से 15 साल का समय लग सकता है. इसके शुरुआत में ही अगर संक्रमित व्यक्ति की ओर से एमडीए की दवा का सेवन किया गया, तो वह इस बीमारी से सुरक्षित हो सकते हैं.

स्वास्थ्य विभाग हर साल चला रहा कार्यक्रम

कैडेट्स को बताया गया कि फाइलेरिया जैसी संक्रामक बीमारियों से सुरक्षा के लिए सभी लोगों को स्वास्थ्य विभाग की ओर से घर-घर जाकर दवाइयां खिलाई जाती हैं. जिसे सर्वजन दवा सेवन कार्यक्रम (एमडीए) कार्यक्रम कहा जाता है. इस कार्यक्रम की ओर से क्षेत्र की आशा कर्मियों और आंगनबाड़ी सेविकाओं द्वारा लोगों को घर-घर जाकर दवा खिलाई जाती है.

एमडीए कार्यक्रम के दौरान स्वास्थ्य कर्मियों की ओर से़ लोगों को डीईसी, अल्बेंडाजोल और आइवरर्मेक्टिन की दवाइयां खिलाई जाती हैं. सभी दवाइयां 02 साल से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती महिलाओं और गंभीर बीमारियों से ग्रसित बच्चों के अलावा अन्य सभी लोगों को उम्र के अनुसार निश्चित मात्रा में खिलाई जाती हैं. सभी लोगों को डी.ई.सी. और एल्बेंडाजोल की गोलियां उम्र के अनुसार और आइवरमेक्टिन  की गोलियां ऊंचाई के आधार पर खिलाई जाती है.

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