पूर्णिया में चल रहा है 'पॉल्यूशन फ्री सर्टिफिकेट' का गोरखधंधा, लोगों की शिकायत के बाद विभाग ने कही ये बात
News18 Bihar Updated: October 23, 2019, 7:20 PM IST

पोल्यूशन की जांच नहीं होती बल्कि सीधा पैसा लेकर सर्टिफिकेट थमाया जाता है.
पूर्णिया जिले (Purnia District) में वाहनों का प्रदूषण जांचे (Pollution Investigation) बिना केन्द्र सिर्फ पोल्यूशन फ्री सर्टिफिकेट (Pollution Free Certificate) देकर पैसा वसूल कर रहे हैं. इस मामले पर डीटीओ (DTO) ने लोगों की शिकायतों की जांच कराने की बात कही है.
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- Last Updated: October 23, 2019, 7:20 PM IST
पूर्णिया. बिहार के पूर्णिया जिले (Purnia District) में वाहनों की धुंआ प्रदूषण जांच (Smoke Pollution Investigation) का ठेका लिए तमाम जांच केन्द्र चलते तो हैं, लेकिन यहां सिर्फ खानापूर्ति होती है. जबकि लोगों की शिकायत रहती है कि ऐसे जांच केन्द्र सिर्फ पोल्यूशन फ्री सर्टिफिकेट (Pollution Free Certificate) देने के नाम पर वाहनों का नंबर रशीद पर चढ़ाकर पैसा वसूल लेते हैं और कोई जांच नहीं करते. जबकि इस मामले पर डीटीओ (DTO) ने लोगों की शिकायतों की पड़ताल कराने की बात कही है. वहीं जांच केन्द्र चलाने वाले लोग खुद को पूरी तरह सही ठहरा रहे हैं.
सर्टिफिकेट से रहते हैं टेंशन फ्री
पूर्णिया के दुपहिया और चरपहिया चालक या मालिक आए दिन जो पोल्यूशन फ्री सर्टिफिकेट लेते हैं उनका तजुर्बा और शिकायत यह है कि धुंआ जांच केन्द्र चलाने वाले सिर्फ उनसे फीस का पैसा लेकर सर्टिफिकेट बना देते हैं. इससे कानूनी तौर तो उन्हे टेंशन फ्री होने का मौका मिल जाता है, लेकिन गाड़ी असल में धुंआ उगल रही है या सैलेंसर से पोल्यूटेड धुंआ छूट रहा है, उन्हें खुद पता नहीं होता. एक दुपहिया चालक सुमन चौधरी ने अपने साथ हुए सलूक को नागवार मानते हुए धुंआ जाच केन्द्रों के कामकाज पर सवाल खड़े किए हैं.
शहर में चलते हैं इतने सेंटरइधर जिला परिवहन पदाधिकारी विकास कुमार कहते हैं कि उनकी जानकारी में जिले में चल रहे कुल 12 जांच के सेंटर ठीक ठाक काम कर रहे है. अगर किसी की कोई शिकायत आयी है तो मामले में कार्रवाई की जाएगी. डीटीओ ने बताया कि जिले में अभी कुल 12 धुंआ जांच केन्द्र हैं. जबकि आने वाले दिनों में 15 से 20 और जांच केन्द्र खुलने वाले हैं. ऐसे सेंटरों को ऑनलाइन सिस्टम से जोड़ा गया है जिससे धुंआ जांच की सच्चाई पता चल सकेगी. डीटीओ के दावे के मुताबिक, केन्द्र चलाने वाले भी अपनी बात कह रहे हैं और अपनी गलती मानने को तैयार नही हैं, लेकिन हमने जांच में पाया है कि पोल्यूशन की जांच नहीं होती बल्कि सीधा पैसा लेकर सर्टिफिकेट थमाया जाता है. हालांकि नागरिकों द्वारा सही जांच करने की मांग उठा कर अपनी सजगता का परिचय दिया है.
कैसे होता है वाहनों का पोल्यूशन टेस्ट
>>पाल्यूशन इग्नीशन सिस्टम नामक मशीन के तहत वाहनों का धुंआ जांचा जाता हैं.>>इसे आनलाइन रखने का निर्देश और व्यवस्था है, हालांकि सेंटर चलाने वाले इसकी अनदेखी करते हैं.
>>धुंएं के कई प्रकार चिन्हित हैं. जबकि प्रदूषण की मात्रा और मानक भी तय हैं.
>>बीएस 3 सर्टिफिकेट छह महीने के लिए पोल्यूशन फ्री होने का प्रमाण देता है.
>>बीएस 4 एक साल के लिए पोल्यूशन फ्री होने का प्रमाण देता है.
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सर्टिफिकेट से रहते हैं टेंशन फ्री
पूर्णिया के दुपहिया और चरपहिया चालक या मालिक आए दिन जो पोल्यूशन फ्री सर्टिफिकेट लेते हैं उनका तजुर्बा और शिकायत यह है कि धुंआ जांच केन्द्र चलाने वाले सिर्फ उनसे फीस का पैसा लेकर सर्टिफिकेट बना देते हैं. इससे कानूनी तौर तो उन्हे टेंशन फ्री होने का मौका मिल जाता है, लेकिन गाड़ी असल में धुंआ उगल रही है या सैलेंसर से पोल्यूटेड धुंआ छूट रहा है, उन्हें खुद पता नहीं होता. एक दुपहिया चालक सुमन चौधरी ने अपने साथ हुए सलूक को नागवार मानते हुए धुंआ जाच केन्द्रों के कामकाज पर सवाल खड़े किए हैं.
शहर में चलते हैं इतने सेंटरइधर जिला परिवहन पदाधिकारी विकास कुमार कहते हैं कि उनकी जानकारी में जिले में चल रहे कुल 12 जांच के सेंटर ठीक ठाक काम कर रहे है. अगर किसी की कोई शिकायत आयी है तो मामले में कार्रवाई की जाएगी. डीटीओ ने बताया कि जिले में अभी कुल 12 धुंआ जांच केन्द्र हैं. जबकि आने वाले दिनों में 15 से 20 और जांच केन्द्र खुलने वाले हैं. ऐसे सेंटरों को ऑनलाइन सिस्टम से जोड़ा गया है जिससे धुंआ जांच की सच्चाई पता चल सकेगी. डीटीओ के दावे के मुताबिक, केन्द्र चलाने वाले भी अपनी बात कह रहे हैं और अपनी गलती मानने को तैयार नही हैं, लेकिन हमने जांच में पाया है कि पोल्यूशन की जांच नहीं होती बल्कि सीधा पैसा लेकर सर्टिफिकेट थमाया जाता है. हालांकि नागरिकों द्वारा सही जांच करने की मांग उठा कर अपनी सजगता का परिचय दिया है.
कैसे होता है वाहनों का पोल्यूशन टेस्ट
>>पाल्यूशन इग्नीशन सिस्टम नामक मशीन के तहत वाहनों का धुंआ जांचा जाता हैं.
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>>धुंएं के कई प्रकार चिन्हित हैं. जबकि प्रदूषण की मात्रा और मानक भी तय हैं.
>>बीएस 3 सर्टिफिकेट छह महीने के लिए पोल्यूशन फ्री होने का प्रमाण देता है.
>>बीएस 4 एक साल के लिए पोल्यूशन फ्री होने का प्रमाण देता है.
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First published: October 23, 2019, 6:56 PM IST
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