छपरा. समय के साथ समाज में भी बदलाव आता है. इसी क्रम में कई रुढ़ियां छोड़ दी जाती हैं और कई परंपराओं में परिवर्तन हो जाता है. ताजा मामला सारण जिले के साहेबगंज सोनार पट्टी का है. यहां की निवासी राजनंदनी गुप्ता ने अपनी मां के देहांत के बाद उनकी अंतिम इच्छा के अनुसार मुखाग्नि दी. राजनंदनी स्नातक प्रथम वर्ष की छात्रा है और वह अपनी माता-पिता की इकलौती संतान है. राजनंदनी के इस साहसिक कार्य की पूरे जिला में चर्चा है.
राजनंदनी ने बताया कि माता (मिला गुप्ता) विगत दो वर्षो से बीमार थीं. लंबे समय से मानसिक रूप से बीमार चल रही माता ने अपने मृत्यु के बाद पुत्री के हाथों ही मुखाग्नि देने की बात कही थी. अपनी मां की इच्छा को उन्होंने पूरा करते हुए मुखाग्नि दी. इसके साथ ही वह परिवार में पुरुष की जिम्मेदारी निभाने के लिए राजनंदनी मां के मृत्यु के बाद किये जाने वाले सभी संस्कार भी कर रही है.
बता दें कि समाज में एक अलग संदेश देने वाली राजनंदनी के पिता मनोज गुप्ता की मौत छः वर्ष पूर्व हो गई थी. पिता की मौत से तीन वर्ष पहले एक बहन की भी मौत हो चुकी है. उसके परिवार में अब सिर्फ मां ही बची थी. मां की मौत के बाद राजनंदनी अपने रिश्तेदारों के साथ रहेगी.
राजनंदिनी के इस साहसिक कदम के लिए समाज के लोग सराहना कर रहे हैं. समाज में आज भी बेटियों को उपेक्षा की नजर से देखा जाता है, लेकिन राजनंदनी ने अपनी मां की सेवा न सिर्फ जीते जिंदगी की बल्कि मरने के बाद भी उनके अंतिम इच्छा को पूरा करने के लिए श्मशान घाट गई और माता के शव को मुखाग्नि दी.
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