सारण जहरीली शराब कांड में जांच के दौरान राज्य सरकार से नहीं मिली मदद
रिपोर्ट : संतोष कुमार गुप्ता
छपरा. पिछले साल दिसंबर में छपरा में जहरीली शराब से हुई मौतों पर अब मानवाधिकार आयोग की रिपोर्ट सार्वजनिक हुई है. इस रिपोर्ट के बाद सांसद राजीव प्रताप रूडी ने इस हादसे के लिए बिहार सरकार को दोषी ठहराया है.
सांसद राजीव प्रताप रूडी ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि प्रशासनिक चूक से छपरा में बड़ी संख्या में लोगों की मौत हुई थी. लेकिन तब जिला प्रशासन ने सिर्फ 42 लोगों की मौत का दावा किया था. लेकिन अब मानवाधिकार आयोग की रिपोर्ट सामने है और इस रिपोर्ट के अनुसार 77 लोगों की मौत हुई थी. आयोग ने कहा है कि कई मृतकों के शव लोगों ने जला दिए थे. इसके पूर्व मृतकों की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में भी जहरीली शराब से मौत की पुष्टि हो चुकी है। सांसद राजीव प्रताप रूडी ने अब मृतक के परिजनों के लिए मुआवजे की मांग की है।
गौरतलब है कि होम्योपैथिक दवा में केमिकल मिलाकर बनाई गई शराब के सेवन से छपरा में बड़ी संख्या में लोगों की मौत हुई थी. तत्कालीन एसपी संतोष कुमार ने इस मामले का मास्टरमाइंड एक होम्योपैथिक झोलाछाप डॉक्टर को बताया था, जिसकी निशानदेही पर भारी मात्रा में प्रतिबंधित दवाओं की बोतलें भी बरामद हुई थीं.
खास बात यह है कि मानवाधिकार की यह रिपोर्ट न्यूज18 की रिपोर्ट का समर्थन करती है. आयोग की रिपोर्ट में 77 लोगों की मौत की पुष्टि की गई है. जारी रिपोर्ट में स्थानीय प्रशासन से लेकर जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक और राज्य सरकार तक कठघरे में नजर आ रहे हैं. मानवाधिकार आयोग की रिपोर्ट में कुल 77 लोगों की मौत का उल्लेख किया गया है. जिसमें साफ-साफ लिखा गया है कि मरनेवालों में किसान, मजदूर, ड्राइवर, चाय बेचने वाले, फेरीवाले और बेरोजगार थे. रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि पीड़ितों में 75 फीसदी पिछड़ी जातियों से थे. रिपोर्ट के मुताबिक, जांच करने पहुंची टीम को राज्य सरकार से कोई सहयोग प्राप्त नहीं हुआ. रिपोर्ट में पटना उच्च न्यायालय की टिप्पणी का जिक्र किया गया है, जिसमें कोर्ट ने राज्य में पूर्ण शराबबंदी कानून को लागू करने में सरकार को विफल बताया था. रिपोर्ट में कहा गया है कि पूर्ण शराबबंदी कानून का राज्य में कार्यान्वयन पूरी तरह से उत्पाद आयुक्त की जिम्मेदारी है. इस मामले में डीएम से लेकर एसपी तक फेल ही साबित हुए हैं.
मानवारधिकार आयोग ने स्पष्ट तौर पर उल्लेखित किया है कि जहरीली शराब पीने से हुई मौतें पूरी तरह से मानवाधिकार का मामला है. शराब कांड में मरने वालों में ज्यादातर आर्थिक रूप से कमजोर थे और अधिकांश मृतक पीड़ित परिवार के एकमात्र कमाने वाले सदस्य थे. जिनके आश्रितों के रूप में उनकी पत्नियां और 2-3 नाबालिग बच्चे भी थे. उनके रहने की स्थिति ज्यादातर खराब थी. हालांकि मृतकों में से कुछ नियमित रूप से शराब का सेवन करते थे, तो कुछ कभी-कभार. परिवार के अधिकांश सदस्य यह जानते थे कि पीड़ित/मृत व्यक्ति आवश्यकता पड़ने पर आसानी से स्थानीय क्षेत्र से शराब प्राप्त करने में सक्षम थे. आयोग की रिपोर्ट में कहा गया है कि मामले में समाज के गरीब और कमजोर वर्ग के युवकों की मृत्यु हुई, जो लोक सेवकों की घोर विफलता के कारण मानवाधिकारों के घोर उल्लंघन मामला है.
मानवाधिकार आयोग ने रिपार्ट में उल्लेखित किया है कि सरकार और जिम्मेदार अधिकारी गरीब भोले-भाले लोगों को अवैध और नकली शराब के सेवन से रोककर उनके जीवन की रक्षा करें. गौरतलब है कि सारण और सीवान जिलों में शराब से मौत के मामले में मौके पर जांच करने के लिए राजीव जैन के नेतृत्व में एनएचआरसी की एक टीम ने दौरा किया था. जिनकी जांच में के बाद यह मामला सामने आया.
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Tags: MP Rajeev Pratap Rudy, NHRC, Poisonous liquor case
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