बिहार: छपरा के किसान का कमाल, सब्जी बाजार के कचरे से बनाया खाद, अब कमा रहा मुनाफा

बिहार के किसान ने सब्जी बाजार के कचरे से खाद बनाया है.
बिहार के छपरा के एक किसान ने सब्जी बाजार के कचड़े से खाद बनाया है. इसके साथ अब किसान दूसरों को भी ऑर्गेनिक खाद (Organic Manure) का इस्तेमाल करने को प्रेरित कर रहा है.
- News18 Bihar
- Last Updated: January 12, 2021, 9:03 PM IST
छपरा. बिहार के छपरा के एक किसान ने सब्जी बाजार के कचड़े से खाद तैयार कर उन्नत खेती की मिसाल पेश की है. शहर से सटे दौलतगंज मोहल्ले के किसान जयप्रकाश महतो के इस पहल की लोग काफी तारीफ कर रहे है. जयप्रकाश को देख अब आसपास के किसान भी रसायनिक खाद के बजाय जैविक खाद (Organic Manure) के जरिए खेती करने की ओर अग्रसर हो रहे है. दरअसल, जयप्रकाश जिस मोहल्ले में रहते है उसके पास ही सब्जी बाजार है. हर रोज दुकानदार भारी मात्रा में सब्जियों का कचड़ा छोड़ कर घर जाते थे. इस कचड़े को नगर निगम द्वारा डंप कर दिया जाता था. इस बीच जयप्रकाश ने जन विकाससमिति से जैविक खाद बनाने की ट्रेनिंग ली जिसमें उसे बताया गया कि सड़ी गली सब्जियों और पत्तियों को भी जैविक खाद निर्माण में उपयोग किया जा सकता है.
इसके बाद जयप्रकाश ने गुदरी बाजार स्थित सब्जी मार्केट के कचड़े को एकत्र कर गाड़ी से वर्मी कंपोस्ट बनाने के प्रोजेक्ट को शुरू किया. इस खाद के निर्माण के साथ ही खेत में जयप्रकाश ने आलू सरसों तथा मूली की खेती लगभग 10 कट्ठा में किया. प्रशिक्षण विधि के अनुसार बिना सरकारी सहयोग से खुद बनाए गए जैविक वर्मी कंपोस्ट खाद से खेती किया.
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खेती से मुनाफा कमा रहा किसान
इस साल जयप्रकाश ने खेती से लगभग 25 क्विंटल मुली की बिक्री की. किसान का दावा है कि जैविक खाद से उपजे एक मुली का वजन 1.5 से 2 किलो तक पाया गया. इस प्रकार आगे भी इस गांव के किसान कूड़ा कचरा से वर्मी कंपोस्ट खाद बनाने का प्रशिक्षण लेकर खेती करने के इच्छुक है. लोगोंं का कहना है कबाड़ से जूगाड़ बनाकर जयप्रकाश ने किसानों को खेती के लिए एक नया रास्ता दिया है. अब इसके जरिए किसान रसायनिक खाद के बजाए जैविक खाद का इस्तेमाल करना बेहतर समझ रहे है.
इसके बाद जयप्रकाश ने गुदरी बाजार स्थित सब्जी मार्केट के कचड़े को एकत्र कर गाड़ी से वर्मी कंपोस्ट बनाने के प्रोजेक्ट को शुरू किया. इस खाद के निर्माण के साथ ही खेत में जयप्रकाश ने आलू सरसों तथा मूली की खेती लगभग 10 कट्ठा में किया. प्रशिक्षण विधि के अनुसार बिना सरकारी सहयोग से खुद बनाए गए जैविक वर्मी कंपोस्ट खाद से खेती किया.
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खेती से मुनाफा कमा रहा किसान
इस साल जयप्रकाश ने खेती से लगभग 25 क्विंटल मुली की बिक्री की. किसान का दावा है कि जैविक खाद से उपजे एक मुली का वजन 1.5 से 2 किलो तक पाया गया. इस प्रकार आगे भी इस गांव के किसान कूड़ा कचरा से वर्मी कंपोस्ट खाद बनाने का प्रशिक्षण लेकर खेती करने के इच्छुक है. लोगोंं का कहना है कबाड़ से जूगाड़ बनाकर जयप्रकाश ने किसानों को खेती के लिए एक नया रास्ता दिया है. अब इसके जरिए किसान रसायनिक खाद के बजाए जैविक खाद का इस्तेमाल करना बेहतर समझ रहे है.