छपरा में साॅलिड वेस्ट मैनेजमेंट सिस्टम कारगर नहीं हो रहा है साबित
रिपोर्ट: विशाल कुमार
छपरा. शहर में कचरे का निष्पादन करने के मामले में छपरा नगर निगम निष्क्रिय नजर आ रहा है. स्वच्छता सर्वेक्षण के ताजा रिपोर्ट में भले ही छपरा नगर निगम को ज्यादा अंक मिला हो, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और हीं बयां कर रहा है. यहां घर-घर जाकर गीला व सूखा कचरा कलेक्शन कर खाद बनाने की योजना जमीनी स्तर पर नहीं पहुंच सकी है. साॅलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्रोजेक्ट के तहत श्याम चक के पास कचरा निस्तारण प्लांट लगाया गया है. जहां कचरे से जैविक खाद बनाकर बाजार में बेचना था, लेकिन अभी तक सिर्फ ट्रायल में ही यहां कुछ किलो खाद बनी है.
प्रतिदिन शहर से निकलने वाले कचरे का निष्पादन नहीं हो रहा है. यहां खाद बनाने का काम महज दिखावा हीं साबित हो रहा है. कचरे से बिजली और सड़क बनाने का प्लान था, लेकिन यहां कचरे का निस्तारण भी नहीं हो रहा है.
सड़क के किनारे कचरे को किया जा रहा है डंप
सफाई एजेंसी घर-घर जाकर कचरा का कलेक्शन नहीं कर रही है. वही कचरे को गंगा में और मेथवलिया फोरलेन के किनारे डंप कर उसमें आग लगा दिया जा रहा है. जिससे निकलने वाली जहरीली धुंआ पर्यावरण को दूषित कर रहा है. छपरा नगर निगम के सफाई एजेंसी घर-घर सूखा व गीला कचरा कभी कलेक्शन करती भी है तो वह उसे सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्रोजेक्ट के तहत श्यामचक के पास बना कचरा निस्तारण प्लांट में ले जाकर अलग-अलग रखने के बजाए उसे सड़क किनारे डंप कर रही है. जबकि एजनीटी का स्पष्ट आदेश है कि कचरे को सड़क व एनएच के किनारे या गंगा किनारे डंप नहीं करना है. इसके बाद भी फोरलेन के पास कचरे को फेंका जा रहा है.
चार साल पहले लगा था कचरा निस्तारण प्लांट
छपरा में कचरे से खाद बनाने के लिए मुजफ्फरपुर माॅडल को नगर निगम प्रशासन ने अपनाया है. यहां के 45 वार्डो के कचरे के निस्तारण के लिए साॅलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्रोजेक्ट के तहत स्क्रीनिग मशीन लगाई गई है. नगर निगम ने कचरा से खाद बनाने में स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को भी जोड़ा था. उनका काम घर की रसोई से आए सूखा व गीला कचरा को इकट्ठा कर उसे सूखाना था. सूखने के बाद सबसे पहले वैज्ञानिक तरीके से ट्रायल में लगे कर्मचारी द्वारा पालीथिन को कचरे से अलग कर खाद बनाना था, लेकिन करीब चार साल से अधिक समय बीत गया है, लेकिन नगर निगम प्रशासन अभी तक नियमित रूप से खाद नहीं बना सका है. वही इस प्लांट के लगाए जाने से किसानों को भी उम्मीद थी कि आसानी से जैविक खाद मिलेगा. किसानों के सोच पर भी नगर निगम ने पानी फेर दिया है.
छपरा नगर निगम से प्रतिदिन निकलता है 87.7 टन कचरा
छपरा निगम क्षेत्र से प्रतिदिन करीब 87.7 टन कचरा निकलता है. जबकि श्याम चक में छोटा प्लांट है. उसमें कचरे को रखने एवं प्रोसेसिग में दिक्कत हो रही है. जब तक साॅलिड वेस्ट मैनेजमेंट सिस्टम को लेकर बड़ा प्लांट लगाने के लिए 10 एकड़ जमीन नहीं मिल जाती है, तब तक कचरा का सही तरीके से निष्पादन नहीं हो सकेगा. इस मामले में नगर आयुक्त संजय उपाध्याय ने बताया कि यह प्रक्रिया पुरानी है और नए प्रक्रिया के तहत जमीन का अधिग्रहण किया जा रहा है. जहां कचरा प्रसंस्करण का प्लांट बनेगा. यह पूरी तरह से ऑटोमेटिक होगा. उन्होंने बताया कि कि श्यामचक वाला जो प्लांट है वह मैनुअल है और उसमें खाद बनाने की प्रक्रिया काफी जटिल थी.
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Tags: Chapra news, Plastic waste
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