10 साल की उम्र में ही भिखारी ठाकुर मंडली में शामिल हो गए थे रामचंद्र मांझी, 94 वर्ष में मिला पद्मश्री सम्मान

लौंडा नाच के प्रसिद्ध कलाकार बिहार के रामचंद्र मांझी को पद्म श्री सम्मान मिलेगा.
Padma Award: लौंडा नाच के प्रसिद्ध कलाकार रामचंद्र मांझी (Ramchandra Manjhi) सारण जिले के नगरा, तुजारपुर के रहने वाले हैं. रामचंद्र मांझी को संगीत नाटक अकादमी अवार्ड 2017 से नवाजा गया था.
- News18 Bihar
- Last Updated: January 26, 2021, 11:10 AM IST
छपरा. भोजपुरी के शेक्सपियर (Shakespeare of Bhojpuri) कहे जाने वाले लोक कलाकार भिखारी ठाकुर (Bhikhari Thakur) के शिष्य लोकमंच के कलाकार रामचंद्र मांझी (Ramchandra Manjhi) को इस बार पद्मश्री से नवाजा जाएगा. भिखारी ठाकुर के साथ कर चुके रामचंद्र मांझी लौंडा नाच के कलाकार रहे हैं. 94 वर्ष की उम्र में उन्हें भारत सरकार द्वारा पद्मश्री अवार्ड (Padma Shree) मिलने की सूचना प्राप्त होने पर समस्त लोककलाकारों, सारणवासियों सहित उनके परिजनों में हर्ष है.
लौंडा नाच के प्रसिद्ध कलाकार रामचंद्र मांझी सारण जिले के नगरा, तुजारपुर के रहने वाले हैं. रामचंद्र मांझी को संगीत नाटक अकादमी अवार्ड 2017 से नवाजा गया था. उन्हें राष्ट्रपति ने प्रशस्ति पत्र के साथ एक लाख रुपये की पुरस्कार राशि भेंट की थी. रामचंद्र मांझी 94 वर्ष के होने के बाद भी आज मंच पर जमकर थिरकते और अभिनय करते हैं.
रामचंद्र मांझी ने बताया कि उन्होंने भिखारी ठाकुर के नाच दल में 10 वर्ष की उम्र से ही काम करते रहे. वर्ष 1971 तक भिखारी ठाकुर के नेतृत्व में काम किया और उनके मरणोपरांत गौरीशंकर ठाकुर, शत्रुघ्न ठाकुर, दिनकर ठाकुर, रामदास राही और प्रभुनाथ ठाकुर के नेतृत्व में काम कर चुके हैं. इस पर उन्होंने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि उनके जैसे कलाकार को सरकार ने बड़ा सम्मान दिया है. वे आज भिखारी ठाकुर रंगमंडल के सबसे बुजुर्ग सदस्य हैं.
केंद्रीय संगीत नाटक अकादमी द्वारा इसके पूर्व रामचंद्र मांझी को लोक रंगमंच पुरस्कार हेतु चयनित किया था. यह अकादमी पुरस्कार 1954 से हर साल रंगमंच, नृत्य, लोक संगीत, ट्राइबल म्यूजिक सहित कई अन्य क्षेत्रों में दिया जाता है. जिसके लिए हर साल देश भर से कलाकारों का चयन होता है.लौंडा नाच बिहार की प्राचीन लोक नृत्यों में से एक है. इसमें लड़का, लड़की की तरह मेकअप और कपड़े पहन कर नृत्य करता है. किसी भी शुभ मौके पर लोग अपने यहां ऐसे आयोजन कराते हैं. हालांकि, आज समाज में लौंडा नाच हाशिए पर है. अब गिने-चुने ही लौंडा नाच मंडलियां बची हैं, जो इस विधा को जिंदा रखे हुए है, लेकिन उनका भी हाल खस्ता ही है.
नाच मंडली में अब बहुत कम ही कलाकार बचे हैं. बिहार में आज भी लोग लौंडा नाच का बेहद ही पसंद करते हैं. भिखारी ठाकुर रंगमंडल के संयोजक जैनेंद्र दोस्त द्वारा गठित रंगमंडल में आज भी कई आयोजनों में रामचंद्र मांझी अभिनय करते नजर आते हैं.
लौंडा नाच के प्रसिद्ध कलाकार रामचंद्र मांझी सारण जिले के नगरा, तुजारपुर के रहने वाले हैं. रामचंद्र मांझी को संगीत नाटक अकादमी अवार्ड 2017 से नवाजा गया था. उन्हें राष्ट्रपति ने प्रशस्ति पत्र के साथ एक लाख रुपये की पुरस्कार राशि भेंट की थी. रामचंद्र मांझी 94 वर्ष के होने के बाद भी आज मंच पर जमकर थिरकते और अभिनय करते हैं.
रामचंद्र मांझी ने बताया कि उन्होंने भिखारी ठाकुर के नाच दल में 10 वर्ष की उम्र से ही काम करते रहे. वर्ष 1971 तक भिखारी ठाकुर के नेतृत्व में काम किया और उनके मरणोपरांत गौरीशंकर ठाकुर, शत्रुघ्न ठाकुर, दिनकर ठाकुर, रामदास राही और प्रभुनाथ ठाकुर के नेतृत्व में काम कर चुके हैं. इस पर उन्होंने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि उनके जैसे कलाकार को सरकार ने बड़ा सम्मान दिया है. वे आज भिखारी ठाकुर रंगमंडल के सबसे बुजुर्ग सदस्य हैं.
केंद्रीय संगीत नाटक अकादमी द्वारा इसके पूर्व रामचंद्र मांझी को लोक रंगमंच पुरस्कार हेतु चयनित किया था. यह अकादमी पुरस्कार 1954 से हर साल रंगमंच, नृत्य, लोक संगीत, ट्राइबल म्यूजिक सहित कई अन्य क्षेत्रों में दिया जाता है. जिसके लिए हर साल देश भर से कलाकारों का चयन होता है.लौंडा नाच बिहार की प्राचीन लोक नृत्यों में से एक है. इसमें लड़का, लड़की की तरह मेकअप और कपड़े पहन कर नृत्य करता है. किसी भी शुभ मौके पर लोग अपने यहां ऐसे आयोजन कराते हैं. हालांकि, आज समाज में लौंडा नाच हाशिए पर है. अब गिने-चुने ही लौंडा नाच मंडलियां बची हैं, जो इस विधा को जिंदा रखे हुए है, लेकिन उनका भी हाल खस्ता ही है.
नाच मंडली में अब बहुत कम ही कलाकार बचे हैं. बिहार में आज भी लोग लौंडा नाच का बेहद ही पसंद करते हैं. भिखारी ठाकुर रंगमंडल के संयोजक जैनेंद्र दोस्त द्वारा गठित रंगमंडल में आज भी कई आयोजनों में रामचंद्र मांझी अभिनय करते नजर आते हैं.