सीतामढ़ी के रीगा चीनी मिल (Riga Sugar Mill) के बंद हो जाने की वजह से उत्तर बिहार के तकरीबन चालीस हजार से ज्यादा किसानों की हालत बद से बदत्तर हो गयी है. रीगा चीनी मिल को गन्ना (Sugar Cane) आपूर्ति करने के उद्देश्य से किसानों ने कड़ी मेहनत करके गन्ने की पैदावार की थी लेकिन चीनी मिल अचानक से बंद हो गया जिसके कारण किसान परेशान हैं.
बिहार में फिलहाल 11 चीनी मिलें संचालित थीं लेकिन रीगा चीनी मिल के बंद हो जाने की वजह से चालू चीनी मिलों की संख्या अब घटकर 10 पर सिमट गई हैं. चुनाव से ठीक पहले बिहार मे कृषि संसाधनों को बढ़ाने और नये उद्योगों को लगाने का सरकार के तरफ से वादा किया गया था लेकिन चुनाव के बाद की यह तस्वीर है. सीतामढ़ी के रीगा चीनी मिल के बंद हो जाने की वजह से सीतामढ़ी, शिवहर, मुजफ्फपुर समते कई इलाको के तकरीबन चालीस हजार किसानों का एक मात्र नकदी क्रौप फसल सरकारी उदासीनता की भेंट चढ़ गया है.
गौरतलब है कि लगातार सीतामढ़ी का रीगा चीनी मिल अपनी आर्थिक बदहाली का हवाला देकर सरकार से मदद की गुहार लगा रहा था. पिछले कुछ सालों से चीनी मिलों की आर्थिक हालत ठीक नहीं थी. मिल प्रबंधक ने सरकार से मदद की आस लगाये कई बार सीएम नीतीश कुमार से भी मिलने की कोशिश की लेकिन सीएम द्वारा चीनी मिल को सरकारी मदद देने की बात तो दूर रही, मिल प्रबंधक से मिलना तक मुनासिब नहीं समझे.
सीतामढ़ी के रीगा चीनी मिल पर किसानों का तकरीबन 100 करोड़ रुपय़ा पहले से बकाया है. इतना ही यहां काम करने वाले सात सौ कर्मचारियों का विभिन्न मदों का 25 से 30 करोड़ रुपया भी चीनी मिल पर बकाया है. चीनी मिल के बंद हो जाने की वजह से अब किसानों के बकाये का भुगतान हो सकेगा कहना मुश्किल है. इतना ही नहीं किसानों के खेतों मे 100 करोड़ का गन्ना भी खड़ा है जिसे किसान औने पौने दामों में बिचौलियों के हाथों बेचने को विवश हैं. किसानो में हाहाकार की स्थिति है. रीगा चीनी मिल के आसपास सैकड़ों दुकानदारो की रोजी रोटी चीनी मिल के कारण चलती थी लेकिन अब उनकी आमदनी खत्म हो गयी है.
700 कर्मचारियों का भविष्य समाप्त हो गया है. स्थानीय़ लोग चीनी मिल को चालू कराने को लेकर लगातार आंदोलन का भी रास्ता आपना रहे हैं लेकिन इस पर भी सरकार किसी तरह की कोई नोटिस नहीं ले रही है. बिहार के उप-मुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद ने कहा है कि रीगा के चीनी मिल के बंद होने की खबर उनको है वे जल्द ही इस मामले में पहल करेंगे.
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FIRST PUBLISHED : January 28, 2021, 12:36 IST