बगहा. बिहार के ग्रामीण क्षेत्रों कोरोनारोधी टीकाकरण की गति तेज करने के लिए प्राइवेट लोगों को काम सौंप दिया गया है. उन्हें प्रतिदिन 100 लोगों के टीकाकरण का टारगेट दिया गया है. टारगेट पूरा करने के चक्कर में कई तरह की गड़बड़ियां सामने आ रही है. ताजा मामला 15 से कम उम्र के बच्चों के टीकाकरण का है.
यह मामला बिहार के बगहा के रामनगर स्वास्थ्य विभाग में सामने आया. टारगेट पूरा करने के चक्कर में कम उम्र के बच्चे को कोरोनारोधी टीका दे दिया गया है. रामनगर प्रखंड के महुईडीह में काजल कुमारी की उम्र 15 साल से कम है, लेकिन उसे कोरोनारोधी टीका लगा दिया गया. टीका लगने के करीब दो घंटे बाद उसकी तबीयत खराब हो गई. काजल को बुखार हो गया और उल्टी की शिकायत हुई. तब काजल के आधार कार्ड की जांच कराई गई. उसके आधार कार्ड में जन्म का वर्ष 2008 दर्ज है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग की टीम ने 2007 दर्ज कर वैक्सीन लगा दी है. प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉक्टर चन्द्रभूषण ने बताया कि किशोरी की उम्र 15 वर्ष है. टीकाकरण बिल्कुल सुरक्षित है. मेडिकल टीम भेजकर उसकी भेजकर जांच कराई गई है. वह स्वस्थ्य है. किसी प्रकार की कोई परेशानी नहीं है.
दो और बच्चों को लगा दिया गया टीका
काजल कुमारी के अलावा इसी गांव के दो और बच्चों का भी टीकाकरण इसी तरह कर दिया गया है. कमलेश कुमार के आधार कार्ड में उसकी जन्मतिथि 1 जनवरी 2008 है. लेकिन उसे भी एंटी कोरोना वैक्सीन लगाई गई है. एक मामला भागवती कुमारी का भी है. आधार कार्ड में भागवती की जन्मतिथि भी 1 जनवरी 2008 है, लेकिन उसका भी टीकाकरण हो गया. फिलहाल स्वास्थ विभाग इन मामलों की लीपापोती करने में जुटा हुआ है. बगहा के एसडीएम दीपक मिश्रा ने कहा कि कोरोनारोधी टीके को लेकर जो शिकायतें मिली हैं, उसके आधार पर जांच कर प्रतिवेदन की मांग की गई है. जांच रिपोर्ट आने के बाद कार्रवाई की जाएगी.
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