जज्बा: ईंट नहीं मिली तो प्लास्टिक की बोतलों से बना डाला शौचालय
पहाड़ी इलाका होने के कारण ईंटें ऊपर पहुंचाने में अक्सर लोग आनाकानी करते. बिना ईंटों के शौचालय कैसे बने, लिहाजा ये जरूरत नहीं, शौक की चीज बनी हुई थी.
- News18 Bihar
- Last Updated: October 3, 2018, 1:43 PM IST
स्वच्छ भारत मिशन अब राजनेताओं से होते हुए आम आदमी का सपना बन गया है. बगहा ने इसी ख्वाब को पूरा करते हुए एक युवक ने मिसाल कायम कर दी. पहाड़ी इलाके में ईंट की किल्लत को देखते हुए उसने प्लास्टिक की खाली बोतलों से ही शौचालय की दीवार बना दी. इसे देखने और सीखने के लिए दूर-दूर से लोग आ रहे हैं.
घर-घर में शौचालय बनवाने का सपना वाल्मीकिनगर के अजय झा ने इतनी शिद्दत से देखा कि उसकी कोशिशों ने नजीर कायम कर दी. बगहा के पहाड़ी इलाके में ईंट की तंगी रहती है. ऐसे में सरकार से मिलने वाली सहयोग राशि भी किसी काम की नहीं रहती. इसे देखते हुए अजय ने एक पहल की.
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उसने बेकार पड़ी प्लास्टिक की बोतलें इकट्ठा कीं. उनमें बालू भरकर ईंट की तरह उनका इस्तेमाल दीवार बनाने में किया. पहले तो लोगों ने मजाक बनाया लेकिन फिर जज्बा देखकर वे भी अजय के साथ हो लिए और शौचालय बनकर तैयार हो गया. ये टिकाऊ तो है ही, पूरी तरह से इको-फ्रेंडली भी है.अजय ने प्लास्टिक की बोतलों से बगहा दो प्रखंड के चंपापुर गांव में यह शौचालय बनाया है. इसकी लागत 12 हजार से भी कम है. अब अजय दूसरे इलाकों में भी इसी तरह के शौचालय के निर्माण पर जोर दे रहे हैं. वे जागरुकता फैला रहे हैं ताकि ऊंचे स्थानों पर रहने वाले लोग ईंटों की कमी को शौचालय बनवाने में आड़े न आने दें. (रिपोर्ट- मुन्ना)
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घर-घर में शौचालय बनवाने का सपना वाल्मीकिनगर के अजय झा ने इतनी शिद्दत से देखा कि उसकी कोशिशों ने नजीर कायम कर दी. बगहा के पहाड़ी इलाके में ईंट की तंगी रहती है. ऐसे में सरकार से मिलने वाली सहयोग राशि भी किसी काम की नहीं रहती. इसे देखते हुए अजय ने एक पहल की.
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