रिपोर्ट: आशीष कुमार
पश्चिम चम्पारण. बिहार में शराबबंदी है. बावजूद इसके हर दिन शराब के नशे में हजारों हजार लोग पुलिस और उत्पाद विभाग की गिरफ्त में आते हैं. आम आदमी तो छोड़िए, जिन सरकारी कर्मियों को शराबबंदी को सफल बनाने के लिए हर साल शपथ दिलाई जाती है, उनमें से भी कई लोग शराबबंदी को फेल करने में जुटे रहते हैं. ऐसा ही एक मामला पश्चिम चम्पारण जिले के शिकारपुर में आया. जिस सरकारी सेवक को पहली बार शराब पीने के आरोप में 2000 रुपया जुर्माना लगाकर छोड़ दिया गया था, वह महज 1 सप्ताह बाद ही दोबारा शराब के नशे में पकड़ा गया.
पहले दिखाई हेकड़ी, फिर लगा गिड़गिड़ाने
नरकटियागंज अनुमंडलीय अस्पताल के बीसीजी टेक्नीशियन मदन को पुलिस ने पहली बार 17 नवंबर को शराब के नशे में अस्पताल से गिरफ्तार किया था. उस दौरान भी वह नशे की हालत में अस्पताल अध्यक्ष के साथ दुर्व्यवहार कर रहा था. तब जुर्माना चुकाकर वह छूट गया.
इसके एक सप्ताह बाद ही फिर से पुलिस ने उसे नशे की हालत में ही गिरफ्तार किया. गिरफ्तारी के बाद नशे में धुत्त मदन पुलिस वालों के समक्ष खुद को कभी सरकारी अधिकारी बताता रहा, तो कभी उनके पैरों पर गिरकर अपनी रिहाई की भीख मांगता नजर आया. थाने में लैब टेक्नीशियन की इस हरकत को देख पहले तो पुलिसकर्मी हक्का-बक्का रह गए फिर माहौल थोड़ा हंसी-मजाक वाला भी हो गया.
इस दौरान वह कभी पुलिसकर्मी के पांव पकड़कर छोड़ देने की मिन्नत मांगता था, तो कभी खुद को सरकारी सेवा का बड़ा अधिकारी बताता था.
लैब टेक्नीशियन की करतूत निंदनीय-सिविल सर्जन
वहीं दूसरी ओर, इस घटना के बाद सिविल सर्जन डॉ. वीरेंद्र कुमार चौधरी का कहना है कि लैब टेक्निशियन ने जो किया है वह काफी निंदनीय है. शिकारपुर पुलिस नई गाइडलाइन के अनुसार अपना काम कर रही है. पुलिस की कार्रवाई पूरी होने के बाद कानूनी प्रक्रिया के तहत लैब टेक्निशियन के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.
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