बेतिया. इस साल जब गणतंत्र दिवस के दिन देश के लोग संविधान पालन की प्रतिज्ञा के साथ तिरंगा फहरा रहे थे, उस वक्त बिहार के बेतिया में झूठी शान बचाए रखने के लिए पिता और भाई चाकू लहरा रहे थे. इन पिता और भाइयों ने चाकू से गोदकर रेणु उर्फ सुग्गी की हत्या कर दी. हत्या के आरोप में पिता प्रेम राम गिरफ्तार कर लिया गया है, जबकि दो भाई अनिल राम और बिट्टू राम फरार हैं.
हत्या की यह वारदात बिहार के पश्चिम चंपारण में हुई है. यहां के श्रीनगर थाना क्षेत्र के कोहड़ा बेगही भवानीपुर गांव की रेणु एक युवक के प्रेम में थी. पिता और भाइयों ने घर की इज्जात बचाए रखने के नाम पर रेणु की शादी कहीं और कर दी. लेकिन रेणु अपना प्रेम पाने के लिए ससुराल से दो बार भागी. पहली दफे जब फरार हुई तो परिजनों से उसे बहला-फुसला लिया. लेकिन कुछ दिन बाद फिर रेणु अपने प्रेमी के पास चली गई. फरार हो गई. कर बुझाकर लौटा दिया. लेकिन, जब दूसरी बार ससुराल से भागी तो पिता और भाइयों ने उसकी हत्या कर दी. मामले को छुपाने के लिए इनलोगों ने रेणु का चेहरा तेजाब से जलाकर उसकी लाश सनसरैया बड़ी नहर में फेंक दी. 26 जनवरी को ही विवाहिता की लाश पुलिस ने बरामद कर ली थी. मौका-ए-वारदात से मिले झोले में पड़े सेलफोन से विवाहिता की पहचान हुई थी.
सेलफोन के आधार पर पुलिस ने रेणु के परिजनों को खोज निकाला. फिर हिरासत में लिए गए पिता से कड़ाई से की गई पूछताछ में उसने सचाई कबूल ली. पिता ने स्वीकार किया कि घर-परिवार की इज्जत बचाए रखने के लिए उन्होंने रेणु की हत्या की है. इस हत्या में रेणु के सगे भाई अनिल राम और चचरे भाई बिट्टू ने मदद की थी. पुलिस ने पिता प्रेम राम को गिरफ्तार कर लिया है, जबकि दोनों भाई फरार हैं.
पता चला कि प्रेम राम की बेटी रेणु उर्फ सुग्गी (23) गांव के ही दूसरी जाति के एक लड़के से प्रेम करती थी. जब इनकी प्रेम कहानी आम हुई तो पिता और भाइयों ने रेणु को समझाया. फिर भी वह नहीं मानी तो आनन-फानन में उसकी शादी नेपाल के पलटा गांव के रहनेवाले छोटू राम से कर दी गई. लेकिन रेणु महज 15 दिनों तक ससुराल में रहने के बाद भागकर प्रेमी के पास आ गई. वे लोग बेतिया के संतघाट में एक लॉज में आकर रहने लगे. महज दो-तीन दिनों मे हीं लॉज के संचालक को संदेह हुआ तो उसने इन दोनों को लॉज से निकाल दिया. तब प्रेमी रेणु को लेकर अपने घर आया. लेकिन प्रेमी के घरवाले भी गैरजाति की लड़की को रखने के लिए तैयार नहीं हुए. ऐसे में रेणु को अपने माता-पिता के घर हीं लौटना पड़ा. एक सप्ताह बाद रेणु के पिता ने समझा-बुझाकर उसे उसके ससुराल पहुंचा दिया.
बीते 26 जनवरी की शाम में रेणु फिर से ससुराल से भाग निकली और बेतिया बस स्टैंड पर पहुंची. उसे अकेला देख कुछ मनचले उसके पीछे पड़ गए. बस स्टैंड में अकेली लड़की को इस हाल में देख एक महिला ने उसे शरण दी और रेणु के पिता को मोबाइल से सूचना दी. सूचना मिलते ही पिता प्रेम राम, भाई अनिल राम व चचेरा भाई बिट्टू राम पहुंचे. घर ले जाने के बजाय सनसरैया नहर के पास ले गए. चाकू मारकर हत्या की और शव को नहर में फेंक दिया. शव के पास ही उन्होंने वह झोला फेंक दिया था, जिससे मिले सेलफोन ने इनकी करतूत उजागर कर दी.
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