रिपोर्ट:-अंजलि सिंह राजपूत,लखनऊ
आज आपको मिलवाते हैं लखनऊ के एक ऐसे सामाजिक कार्यकर्ता रिद्धि किशोर गौड़ से जो पिछले 20 सालों से लगातार गोमती नदी को बचाने की अलख जगा रहे हैं.लखनऊ की जीवन रेखा गोमती नदी की सफाई को लेकर कुड़ियाघाट पर उन्होंने आरती और दीपदान की शुरुआत की है.ताकि लोग यहां पर आए और दीपदान करें.लोगों में गोमती के प्रति उनकी आस्था बढ़े और संकल्प लें कि गोमती को गंदा नहीं करेंगे, इसमें मूर्तियां विसर्जित नहीं करेंगे और इसमें अन्य कोई भी गंदा सामान लाकर नहीं डालेंगे.उनकी इस मुहिम से लोगों में काफी जागरूकता भी आई है.
पूजा के सामान के लिए अलग कुंड
रिद्धि किशोर गौड़ नेबताया कि कुडियाघाट पर पक्का कुंड बन गया है जिसमें लोग पूजा से जुड़े सभी सामान को रखकर चले जाते हैं.इसके बाद उसको मिट्टीमें दबा देते हैं.जिससे नदी गंदी होने से बच जाती है.
सरकार ध्यान दे तो 1 साल में ही साफ हो सकती है गोमती
वह कहते हैं कि गोमती नदी को बचाने के लिए देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई और लालजी टंडन के अलावा किसी ने भी पूरी ईमानदारी से काम नहीं किया.2001 से लेकर आज तक किसी ने कोई काम नहीं किया लेकिन गोमती नदी की सफाई के नाम पर 35 सौ करोड़ पर खर्च हो चुके हैं लेकिन सफाई आज भी नजर नहीं आती है.सरकार चाहे तो 200 से 300 करोड़ में ही गोमती नदी को साफ कर सकती है लेकिन कोई करना ही नहीं चाहता.
हर गुरुवार और रविवार को चलाते हैं अभियान
उन्होंने बताया कि उनकी टीम हर गुरुवार और रविवार को यहां पर आकर साफ सफाई करती है.साथ ही लोगों को जागरूक भी करते हैं.वह और उनकी टीम नदी से जलकुंभी निकाल कर,कीचड़ साफ करती हैं.लेकिन सरकार को भी इसे महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी.उन्होंने सरकार से निवेदन करते हुए कहा कि अगर गोमती नदी को शारदा नहर से लिंक करा कर शहर के नालों को सीधे इसमें गिरने से रोका जाए तो काफी हद तक गोमती साफ हो जाएगी.
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