20 हजार करोड़ का यह घोटाला भारत के सबसे बड़े घोटालों में से एक है.
नई दिल्ली. पिछले साल आई वेब सीरीज स्कैम 1992: द हर्षद मेहता स्टोरी की अपार सफलता के बाद निर्देशक हंसल मेहता अपनी नई वेब सीरिज लाने जा रहे हैं. इस वेब सीरिज का नाम आते ही लोगों को 2003 में हुए देश के सबसे बड़े घोटाले की याद आ जाएगी. इस वेब सीरिज का नाम है स्कैम 2003: द तेलगी स्टोरी. ये अब्दुल करीम तेलगी नाम के उस शख्स के ऊपर है जो कभी ट्रेन में मूंगफली, तो कभी फल व सब्जी बेचा करता था. लेकिन माफिया बनने के बाद उसने 20 हजार करोड़ का घोटाला किया. जिसे देश का सबसे बड़ा घोटाला कहा गया और इसे फर्जी स्टैम्प घोटाला के नाम से जाना गया. अब्दुल करीम तेलगी स्टैम्प पेपर घोटाले का मास्टर माइंड था. 20 हजार करोड़ का यह घोटाला भारत के सबसे बड़े घोटालों में से एक है.
2007 में उसे 30 साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई गई थी. वहीं, 202 करोड़ रुपये का जुर्माना भी लगाया गया था. 16 राज्यों में इसके तार फैले थे. 2001 में तेलगी को अजमेर से गिरफ्तार किया गया था. आइये जानते हैं अब्दुल करीम तेलगी की पूरी कहानी कि आखिर उसने कैसे इस धंधे को शुरू किया और अकूत संपत्ति जमा की.
ठेले पर फल बेचने से करोड़ों के फर्जीवाड़े तक
करीम का जन्म 1961 में कर्नाटक के खानपुर में हुआ था. पिता रेलवे में कर्मचारी थे, मगर वो बहुत जल्दी गुजर गए. परिवार की जिम्मेदारी उस पर आ गई. उसने स्टेशन पर ठेला लगाकर फल बेचे, सब्जी बेची. किसी तरह इंटरमीडिएट की पढ़ाई पूरी की. सउदी जाने का ट्रेंड चल रहा था सो वो भी निकल गया. पैसे कमाने की लत अब आदत बन चुकी थी. सात साल बाद लौटा तो पहुंचा मायानगरी के राज्य महाराष्ट्र.
फर्जी पासपोर्ट बनाने से शुरू हुआ था कारोबार
1980 का दशक था. उसने पहले फर्जी पासपोर्ट बनाने का काम शुरू किया. 1991 में उसको मुंबई पुलिस ने इसी फर्जीवाड़े में गिरफ्तार किया. मगर ये जेल दौरा उसके लिए फायदेमंद साबित हुआ. एक साथी कैदी ने उसे बताया कि हर्षद मेहता शेयर घोटाले के बाद बाजार में स्टैंप की कमी हो गई है. तेलगी को कथित तौर पर जानकारी मिली कि लोग पुराने शेयर ट्रांसफर सर्टिफिकेट से रेवेन्यू स्टांप निकाल रहे हैं और उन्हें इस्तेमाल कर रहे हैं.
100 से ज्यादा बैंक खाते
1992 से 2002 के बीच तेलगी पर अकेले महाराष्ट्र में 12 मामले दर्ज किए गए. 15 और मामले देश के अन्य राज्यों में दर्ज किए गए. मगर उसकी सरकार, अधिकारियों और सिस्टम में ऐसी पैठ थी कि उसका धंधा चलता रहा. 2001 में जाकर कहीं उसकी गिरफ्तारी हो सकी. पूछताछ में उसने कई पुलिस अधिकारी और नेताओं के नाम लिए थे. जांच में सबसे दिलचस्प रूप से एक असिस्टेंट पुलिस इंस्पेक्टर दिलीप कामथ का नाम आया. मात्र 9000 रुपये सैलरी वाले इस शख्स की देशभर में 36 प्रॉपर्टीज हैं. 100 से ज्यादा बैंक खाते हैं जो 18 देशों में खोले गए हैं.
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