COVID-19 वैक्सीन के बाद भी अर्थव्यवस्था पर खतरा अभी टला नहीं, बनी रहेंगी ये चुनौतियां

भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर एक्सपर्ट की राय
कोरोना की वैक्सीन आने के बाद आर्थिक स्थिति में सुधार आने की उम्मीद है. लेकिन एक्सपर्ट का कहना है कि इसका ये मतलब नहीं कि अर्थव्यवस्था को कोरोना से पहले की स्थिति से जुझना नहीं पड़ेगा.
- News18Hindi
- Last Updated: December 11, 2020, 4:19 PM IST
नई दिल्ली. भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPS) सहित कई विशेषज्ञों का मानना है कि भारतीय अर्थव्यवस्था इस समय उम्मीद से बेहतर काम कर रही है. दिसंबर माह में एमपीसी की बैठक में कहा गया था कि अर्थव्यवस्था संकुचन की स्थिति से बाहर आ चुकी है और वित्तीय वर्ष 2020-21 में 7.5 फीसदी तक ही गिरावट हो सकती है. जो कि सितंबर माह में एमपीसी द्वारा लगाए अनुमार से बेहतर है. फिच (Fitch) की नवीनतम रेटिंग्स के अनुसार अर्थव्यवस्था में 9.4% तक के संकुचन का अनुमान है. जो पहले 10.50 फीसदी रहने का अनुमान था. एक्सपर्ट की मानें तो कोविड-19 की वैक्सीन आने की शुरूआत के बाद आर्थिक स्थिति मजबूत हो सकती है. हालांकि, इसका मतलब यह नहीं है कि अर्थव्यवस्था को कोविड की चुनौतियों से नहीं जूझना पड़ेगा. जिसमें से कुछ कोविड से पहले की भी हैं.
सुधार के लिए निवेश में करनी होगी वृद्धि
एक्सपर्ट की मानें तो निवेश प्रक्रिया में सुधार के बिना वृद्धि को बनाए रखना मुश्किल है. भारतीय अर्थव्यवस्था आर्थिक गतिविधियों में बाधा आने से पहले ही निवेश की समस्या का सामना कर रही थी. ग्रोस फिक्स्ड कैपिटल फॉर्मेशन (Gross fixed capital formation) लगातार तीन महीने से सिकुड़ रही थी.
ये भी पढ़ें : भारत बांग्लादेश के बीच 1965 में बंद हुई ट्रेन 55 साल बाद फिर दौड़ेगी पटरी पर, PM मोदी करेंगे उद्घाटनग्रामीण अर्थव्यवस्था पर महंगाई की मार
लॉकडाउन के बाद से एक बहुत बड़ा रिवर्स माइग्रेशन शुरू हुआ. जिसका सीधा असर आय और रोजगार पर पड़ा. लॉकडाउन के दौरान लोग शहर से गांव की तरफ पलायन कर गए. जिसके कारण रोजगार में हुए बदलाव का सटीक अनुमान लगाना मुश्किल है. हालांकि ग्रामीण रोजगार गारंटी कार्यक्रम और सार्वजनिक वितरण प्रणाली ने इस दौरान अच्छी उपलब्ध्ता हाँसिल की.
आर्थिक असमानता
महामारी का असर हर क्षेत्र पर अलग अलग रहा है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, अमीर इससे अधिक प्रभावित होने से बच गए हैं. HT द्वारा 2000 कंपनियों पर किए गए एक विश्लेषण के आधार पर पिछले साल की अपेक्षा इस साल सितंबर खत्म होने तक लाभ बड़ा पर सेल में कमी दर्ज की गई.
ये भी पढ़ें : आज देशभर में डॉक्टरों की रहेगी हड़ताल, खुली रहेंगी कोविड सेवाएं, जानें क्या-क्या रहेगा बंद
क्या कॉर्पोरेट की हालात और हुई खराब?
महामारी के दौरान सभी कंपनी ने अपने खर्चों में कटौती करने के बाद भी मुनाफे को बचाने में सक्षम नहीं रही. अगर देखा जाए तो भारतीय कंपनियों की हालात कोरोना महामारी के पहले से ही खराब थी. लॉकडाउन के दौरान भारत के कॉर्पोरेट क्षेत्र की आय में भारी गिरावट दर्ज की गई. अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय के ज़िको दासगुप्ता के एक शोध नोट के अनुसार, भारत की एक चौथाई गैर-वित्तीय कंपनियां दिसंबर 2019 तक इतनी कमाई नहीं कर पाई कि वो ब्याज का भुगतान भी कर पाए.
सुधार के लिए निवेश में करनी होगी वृद्धि
एक्सपर्ट की मानें तो निवेश प्रक्रिया में सुधार के बिना वृद्धि को बनाए रखना मुश्किल है. भारतीय अर्थव्यवस्था आर्थिक गतिविधियों में बाधा आने से पहले ही निवेश की समस्या का सामना कर रही थी. ग्रोस फिक्स्ड कैपिटल फॉर्मेशन (Gross fixed capital formation) लगातार तीन महीने से सिकुड़ रही थी.
ये भी पढ़ें : भारत बांग्लादेश के बीच 1965 में बंद हुई ट्रेन 55 साल बाद फिर दौड़ेगी पटरी पर, PM मोदी करेंगे उद्घाटनग्रामीण अर्थव्यवस्था पर महंगाई की मार
लॉकडाउन के बाद से एक बहुत बड़ा रिवर्स माइग्रेशन शुरू हुआ. जिसका सीधा असर आय और रोजगार पर पड़ा. लॉकडाउन के दौरान लोग शहर से गांव की तरफ पलायन कर गए. जिसके कारण रोजगार में हुए बदलाव का सटीक अनुमान लगाना मुश्किल है. हालांकि ग्रामीण रोजगार गारंटी कार्यक्रम और सार्वजनिक वितरण प्रणाली ने इस दौरान अच्छी उपलब्ध्ता हाँसिल की.
आर्थिक असमानता
महामारी का असर हर क्षेत्र पर अलग अलग रहा है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, अमीर इससे अधिक प्रभावित होने से बच गए हैं. HT द्वारा 2000 कंपनियों पर किए गए एक विश्लेषण के आधार पर पिछले साल की अपेक्षा इस साल सितंबर खत्म होने तक लाभ बड़ा पर सेल में कमी दर्ज की गई.
ये भी पढ़ें : आज देशभर में डॉक्टरों की रहेगी हड़ताल, खुली रहेंगी कोविड सेवाएं, जानें क्या-क्या रहेगा बंद
क्या कॉर्पोरेट की हालात और हुई खराब?
महामारी के दौरान सभी कंपनी ने अपने खर्चों में कटौती करने के बाद भी मुनाफे को बचाने में सक्षम नहीं रही. अगर देखा जाए तो भारतीय कंपनियों की हालात कोरोना महामारी के पहले से ही खराब थी. लॉकडाउन के दौरान भारत के कॉर्पोरेट क्षेत्र की आय में भारी गिरावट दर्ज की गई. अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय के ज़िको दासगुप्ता के एक शोध नोट के अनुसार, भारत की एक चौथाई गैर-वित्तीय कंपनियां दिसंबर 2019 तक इतनी कमाई नहीं कर पाई कि वो ब्याज का भुगतान भी कर पाए.