अमेरिका में खुदरा महंगाई अभी 40 सालों के उच्चतम स्तर पर है.
नई दिल्ली. महंगाई से त्रस्त अमेरिका को भी आखिरकार अपनी नीतिगत ब्याज दरों में बड़ी बढ़ोतरी करनी पड़ी. अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व ने बुधवार देर रात ब्याज दरों में 0.50 फीसदी की वृद्धि कर दी है. यह पिछले 22 साल में सबसे बड़ी बढ़ोतरी है.
दरअसल, अमेरिका में खुदरा महंगाई दर 40 साल के उच्चतम स्तर पर है और केंद्रीय बैंक पर ब्याज दरें बढ़ाने का दबाव भी काफी था. फेड रिजर्व के मुखिया जेरोम पॉवेल ने कहा, हमारा लक्ष्य बड़ी संख्या में रोजगार सृजन के साथ महंगाई दर को 2 फीसदी से नीचे बनाए रखना है. इसके लिए ब्याज दरों में बढ़ोतरी करना जरूरी हो गया था. अब ब्याज दर 0.75 फीसदी से 1 फीसदी की रेंज में आ गई हैं. यह 2020 में कोरोना महामारी के बाद सबसे अधिक ब्याज दर है.
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आगे भी बढ़ाएंगे ब्याज दर
पॉवेल ने कहा कि महंगाई दर को पूरी तरह काबू में लाने के लिए आगे ब्याज दरों में और बढ़ोतरी करनी होगी. संभव है कि अगले कुछ महीने में ब्याज दर 0.50 फीसदी दोबारा बढ़ाई जाए. हालांकि, हम एकसाथ 0.75 फीसदी या उससे ज्यादा की ब्याज दर बढ़ाने के पक्ष में नहीं हैं. हालिया बढ़ोतरी के बाद होम और मॉर्गेज लोन, ऑटो लोन और क्रेडिट कार्ड पर ब्याज दरों में भी इजाफा हो जाएगा.
2.4 फीसदी तक बढ़ाई जा सकती है ब्याज दर
बैठक के बाद जेरोम पॉवेल ने कहा, फेड रिजर्व कुछ ऐसा करना चाहता है, जिससे हमारी विकास दर की रफ्तार में बाधा न आए. लिहाजा ब्याज दरों को एक ऐसे स्तर पर लाने का प्रयास है, जहां महंगाई पर काबू पाने के साथ अर्थव्यवस्था की प्रगति में भी स्थिरता लाई जा सके. हमारा मानना है कि 2.4 फीसदी की ब्याज दर इस काम के लिए सबसे मुफीद है, जिसे इस साल के अंत तक हासिल करने की तैयारी है.
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दरअसल, ब्याज दरें बढ़ने से कर्ज महंगा होगा और लोगों की खर्च करने की क्षमता भी प्रभावित होगी. इसका सीधा असर विकास दर पर पड़ेगा, जो पहले ही कोरोना महामारी की वजह से दबाव में है.
बांड खरीद घटाने की तैयारी
फेड रिजर्व ने कहा, हम जल्द ही इपनी बैलेंस शीट को भी घटाएंगे जिस पर 90 खरब डॉलर का बोझ है. महामारी की वजह से फेड की बांड और ट्रेजरी होल्डिंग दोगुनी हो गई है. इससे छुटकारा पाने के लिए हर महीने 95 अरब डॉलर की बांड खरीद घटाई जाएगी. इससे पहले फेड रिजर्व ने लंबी अवधि के लिए मिलने वाले उधार की ब्याज दरों को घटाने के लिए खरबों डॉलर के बांड खरीद लिए थे.
महंगाई और बढ़ने का जोखिम बरकरार
फेड रिजर्व के अधिकारियों का कहना है कि हमारी कोशिश अभी पूरी नहीं हुई है और महंगाई बढ़ने का जोखिम भी बरकरार है. चीन में दोबारा कोविड-19 संक्रमण बढ़ने और रूस-यूक्रेन युद्ध से उपजे संकटों के कारण आने वाले दिनों में महंगाई और भड़क सकती है.
अमेरिका के अलावा ऑस्ट्रेलिया, जापान, इंग्लैंड और भारत के केंद्रीय बैंकों ने भी अपनी-अपनी ब्याज दरों में बड़ी बढ़ोतरी की है. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने बुधवार को रेपो रेट में 0.40 फीसदी का जबरदस्त इजाफा किया, जिसका सीधा असर कर्ज लेने वाले उपभोक्ताओं पर पड़ेगा.
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