इंटरनेशनल ब्रोकरेज हाउस और निवेशकों ने कहा डॉलर की मजबूती का युग समाप्त हो रहा है.
नई दिल्ली. इस साल महंगाई और ब्याज दरों में लगातार बढ़ोतरी से डॉलर तेजी से मजबूत हुआ. लेकिन अब डॉलर की रफ्तार धीमी होने लगी है. यही वजह है कि जो निवेशक पहले डॉलर पर दांव लगा रहे थे. अब उनका रूख बदल गया है. जेपी मॉर्गन एसेट मैनेजमेंट और मॉर्गन स्टेनली समेत बड़े ब्रोकरेज हाउस और निवेशकों का कहना है कि डॉलर की मजबूती का युग समाप्त हो रहा है.
इन इन्वेस्टर्स का मानना है कि कीमतों में गिरावट के कारण बाजार फेडरल रिजर्व के और कड़े होने पर दांव को कम करने के लिए प्रेरित हो रहे हैं. इससे यूरोप, जापान और उभरते बाजारों की मुद्राओं के लिए खरीदारी के अवसर बढ़ सकते हैं.
‘डॉलर में अब एकतरफा खरीदी नहीं होगी’
जेपी मॉर्गन एसेट में मेलबर्न के रणनीतिकार केरी क्रेग ने कहा, “बाजार अब फेड के ट्रेजेक्टरी की बेहतर समझ रखते हैं. अब डॉलर में सीधे एक तरफा खरीद नहीं होगी जिसे हमने इस साल देखा है. इससे यूरो और येन जैसी मुद्राओं के ठीक होने की गुंजाइश है.”
दुनिया में रिजर्व करेंसी ट्रेड कैसे किया जाए, इस पर बहस तेज हो रही है क्योंकि फेड अधिकारी लगातार मॉनेटरी पॉलिसी को लेकर तीखी टिप्पणी कर रहे हैं जबकि मुद्रास्फीति की दर धीमी हो रही है. इसलिए जानकार एक समान निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि अमेरिकी विशिष्टता घट रही है.
रिकॉर्ड हाई से 6% से ज्यादा गिरा डॉलर इंडेक्स
डॉलर में लंबी अवधि की गिरावट से करेंसी मार्केट पर व्यापक प्रभाव देखने को मिलेगा और यह आयातित मुद्रास्फीति के कारण यूरोपीय अर्थव्यवस्थाओं के तनाव को कम करेगा, सबसे गरीब देशों के लिए खाद्य खरीद की कीमत कम करेगा और अमेरिकी करेंसी में उधार लेने वाली सरकारों के लिए ऋण चुकौती के बोझ को कम करेगा.
ब्लूमबर्ग डॉलर स्पॉट इंडेक्स के अनुसार, अपने सितंबर के उच्च स्तर से डॉलर 6% से अधिक गिर गया है. साथ ही, पिछले एक महीने में अपने सभी ग्रुप-ऑफ-10 देशों की करेंसी के मुकाबले ग्रीनबैक कमजोर हो गया है.
डॉलर कमजोर हुआ तो सोना होगा महंगा
आमतौर पर डॉलर की सोने की कीमतों को कम और नियंत्रण में रखती है, जबकि डॉलर में कमजोरी आने से मांग में वृद्धि के चलते सोने की कीमतें बढ़ जाती हैं, क्योंकि डॉलर के कमजोर होने पर अधिक सोना खरीदा जा सकता है. जैसा कि डॉलर इंडेक्स नीचे जा रहा है इसलिए गोल्ड के भाव में तेजी आने की संभावना है.
रुपये की सुधरेगी चाल, कम होगी महंगाई
डॉलर की मजबूती रुपये में कमजोरी की सबसे बड़ी वजह होती है. दरअसल डॉलर दुनिया की सबसे बड़ी करेंसी है और जब इसकी मांग बढ़ने लगती है तो बाकी मुद्राओं में गिरावट आना शुरू हो जाती है. डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर होने से इसका सीधा असर आयात-निर्यात जैसी व्यापारिक गतिविधियों पर पड़ता है. क्योंकि दुनियाभर में सबसे ज्यादा कारोबारी भुगतान डॉलर में ही होता है.
इसलिए हर बार जरूरी सामान खरीदने और बेचने के दौरान भुगतान डॉलर में ही किया जाता है. अगर हम सामान बेचते हैं तो फायदे में रहते हैं लेकिन खरीदते हैं तो ज्यादा कीमत चुकानी पड़ती है. चूंकि भारत वस्तुओं और सेवाओं का निर्यात कम और आयात ज्यादा करता है इसलिए रुपये के मुकाबले डॉलर में भुगतान करना महंगा पड़ता है और इससे महंगाई बढ़ती है. अगर आने वाले दिनों में डॉलर कमजोर होता है तो रुपया मजबूत होगा और महंगाई भी कम होने की संभावना रहेगी.
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|
Tags: Dollar, Inflation, Rupee weakness