वित्त मंत्री अरुण जेटली. (फाइल फोटो)
जीएसटी की एक दर के विचार को दरकिनार करते हुए केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने रविवार को कहा कि यह व्यवस्था उन देशों में लागू हो सकती है जहां पूरी आबादी की व्यय क्षमता एक जैसी और बेहतर हो. जीएसटी के एक वर्ष पूरा होने पर जेटली ने ‘जीएसटी का अनुभव’नाम से एक लेख में लिखा है कि जब इससे प्राप्त होने वाला राजस्व स्थिर हो जाएगा तो जीएसटी परिषद इसकी दरों को तर्कसंगत बनाने के विकल्पों पर गौर करेगी.
देश में जीएसटी लागू करते समय जेटली वित्त मंत्री थे. जीएसटी लागू करने में उनकी अहम् भूमिका रही है. अभी वह बिना विभाग के केंद्रीय मंत्री हैं और गुर्दा प्रत्यारोपण के बाद आराम कर रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘राहुल गांधी देश के लिए एक जीएसटी दर रखने की मांग करते हैं. यह एक त्रुटिपूर्ण विचार है. जीएसटी की एक दर केवल उन देशों में काम कर सकती है जहां पूरी आबादी की व्यय क्षमता एक समान और ऊंची हो.’
जेटली ने सवाल उठाया, ‘सिंगापुर के मॉडल से प्रभावित होना लाजिमी है लेकिन भारत और सिंगापुर की आबादी में बहुत अंतर है. सिंगापुर खाद्य पदार्थों पर और लक्जरी वस्तुओं पर सात प्रतिशत की दर से जीएसटी ले सकता है लेकिन क्या यह भारत के लिये उपयुक्त मॉडल होगा.’
उन्होंने कहा कि जीएसटी में गरीबों को एक उचित राहत दी गई है. इसमें अधिकतर खाद्य वस्तुओं, कृषि उत्पादों और आम आदमी के उपयोग की वस्तुओं पर कर की दर शून्य रखी गई है जबकि अन्य पर कर की दर सामान्य है. जेटली ने कहा, ‘अन्य पर अधिक कर लगाया जा सकता है. जैसे-जैसे कर संग्रहण बढ़ेगा, 28% कर दर वाली सूची की वस्तुओं को कम किया जा सकता है. केवल अहितकर उत्पाद और लक्जरी वस्तुओं को ही इसमें रखा जा सकता है. वहीं संग्रहण ठीक रहने के आधार पर बीच की कर दरों की सूची में भी सामान को कम किया जा सकता है.
उन्होंने कहा कि हर व्यवस्था में हमेशा बेहतरी की उम्मीद रहती है. भविष्य में कर दरों के ढांचे को तर्कसंगत और सरल बनाया जा सकता है और अधिक उत्पादों को जीएसटी के दायरे में लाया जा सकता है.
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