केंद्र सरकार ईवी पर दी जाने वाली सब्सिडी को लेकर सख्त हो गई है.
नई दिल्ली. केंद्र सरकार ने इलेक्ट्रिक व्हीकल सब्सिडी और पीएलआई स्कीम के मामले में कुछ नियमों को पहले से ज्यादा सख्त कर दिया है. दरअसल, अब तक कंपनियां एआरआई या आईटीआर में ई-व्हीकल्स की टेस्टिंग कराती रही हैं. कंपनियां पार्ट्स को मंगाने का स्रोत बताकर और टेस्टिंग कराकर ई-व्हीकल पर सब्सिडी लेती रही हैं. हाल में इलेक्ट्रिक वाहनों में आग लगने की कई घटनाएं हुईं. इसके मद्देनजर सरकार ने ग्राहकों की सुरक्षा और ई-वाहनों की खामियों की तरफ ध्यान दिया.
सरकार को आशंका थी कि कंपनियां सामान्य क्वालिटी के पार्ट्स लगाकर वाहनों को तैयार कर रही हैं. इसी वजह से बार-बार इलेक्ट्रिक वाहनों में आग लगने की घटनाएं हो रही हैं. वहीं, ये भी माना जा रहा था कि कंपनियां टेस्टिंग के लिए भेजे जाने वाले वाहनों में अच्छी क्वालिटी के पार्ट्स लगाकर सर्टिफिकेट ले लेते हैं. वहीं, ग्राहकों को दिए जाने वाले ई-वाहनों में कमतर गुणवत्ता वाले पार्ट्स का इस्तेमाल कर रहे हैं. इन सब बातों के मद्देनर सरकार ने सब्सिडी और पीएलआई स्कीम के नियमों को सख्त कर दिया है.
नए नियमों से क्या होगा फायदा
सरकार के नए नियमों के मुताबिक, कंपनियों को हर ई-वाहन में इस्तेमाल किए गए पार्ट्स के स्रोत की पूरी जानकारी देनी होगी. सीएनबीसी टीवी18 की रिपोर्ट के मुताबिक, अब एंटरप्राइज रिसोर्स प्लानिंग को फेम-2 से जोड़ना होगा. इससे ई-वाहन ज्यादा सुरक्षित तो होंगे ही, साथ ही स्थानीय पार्ट्स निर्माताओं को भी बढ़ावा देने में मदद मिलेगी. सरकार का मानना है कि इससे र्अ-वाहनों में बेहतर गुणवत्ता के पार्ट्स का इस्तेमाल होने लगेगा और आगजनी की घटनाओं में कमी आएगी.
सीए से प्रमाणित करानी होगी जानकारी
इलेक्ट्रिक वाहन निर्माताओं को ई-वाहनों में इस्तेमाल किए गए पार्ट्स की स्रोत कंपनी से जुड़ी सभी जानकारियों को चार्टर्ड अकाउंटेंट से प्रमाणित कराना होगा. इससे कंपनियां कमतर गुणवत्ता वाले पार्ट्स इस्तेमाल करने को लेकर हतोत्साहित होंगी और ई-वाहनों में अच्छे पार्ट्स इस्तेमाल किए जाने लगेंगे. सीएनबीसी टीवी18 की रिपोर्ट के मुताबिक, ई-वाहनों को लेकर कड़े किए गए नए नियम 1 सितंबर 2022 से लागू जाएंगे.
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