चेक क्लीयरेंस का प्रोसेस हुआ आसान
नई दिल्ली. ऑनलाइन बैंकिंग सिस्टम (Online Banking System)के आने के बाद वैसे तो चेक बुक की जरूरत काफी कम हो गई है. क्योंकि चेक का इस्तेमाल धीरे-धीरे कम हो रहा है. चेक क्लीयरेंस (Cheque Clearance) के प्रोसेस को आसान बनाने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) एक नया सिस्टम लाने जा रहा है. RBI ने चेक ट्रंकेशन सिस्टम (सीटीएस) को पूरे देश में लागू करने का एलान किया है. आरबीआई ने कहा है कि सीटीएस से काफी फायदा हुआ है इसी को देखते हुए सितंबर 2020 तक इसका इस्तेमाल हर जगह शुरू किया जाएगा.
जानिए क्या है सीटीएस सिस्टम?
सीटीएस के तहत आपके चेक को क्लीयर होने के लिए एक बैंक से दूसरे बैंक नहीं जाना होगा, इससे समय की बचत होती है और चेक एक दिन में ही क्लिया हो जाता है. अभी की व्यवस्था के अनुसार चेक को क्लियर होने में 2 से 3 दिन का समय लगता है. सीटीएस की शुरूआत 2010 में हुई थी.
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ऐसे काम करता है सीटीएस
इसके तहत चेक को क्लीयर करने के लिए एक बैंक से दूसरे बैंक नहीं ले जाना पड़ता बल्कि इसकी इलेक्ट्रॉनिक इमेज भेजी जाती है, जिससे काम जल्दी और आसान हो जाता है. इसके साथ ही अन्य जरूरी जानकारी जैसे एमआईसीआर बैंड, आदि भी भेजी जाती है. इसके माध्यम से समय की भी बचत होती है. जिसके कारण यह प्रक्रिया 24 घंटे में ही पूरी हो जाती है. जिन ग्राहकों के पास सीटीएस मानक वाले चेक नहीं हैं, उन्हें अपने चेक बदलने होंगे. यह मल्टी सिटी चेक हैं.
नए चेक क्लीयरिंग सिस्टम के फायदे
>> सीटीएस चेक की क्लीयरिंग 24 घंटे में हो जाता है.
>> ऐसे चेक का फर्जी इस्तेमाल नहीं किया जा सकता.
>> देश में किसी भी जगह किसी भी बैंक में क्लीयरिंग की सुविधा.
>> पेपर क्लियरिंग को लेकर होने वाले रिस्क से भी छुटकारा मिलता है
>> बैंकों और ग्राहकों दोनों को सहूलियत रहती है.
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फ्रॉड होने की संभावना होती है कम
चेक क्लियरिंग में लगने वाले समय को कम करने और इससे होने वाले फ्रॉड को कम करने के लिए सीटीएस को लाया गया. सीटीएस के जरिए वैरिफिकेशन काफी आसान और तेज होता है, जिसकी वजह से फ्रॉड की संभावना काफी कम हो जाती है. सीटीएस से पहले चेक क्लियर होने में भी काफी समय लग जाता था, जिसकी वजह से न केवल ग्राहकों, बल्कि बैंक को भी काफी दिक्कत का सामना करना पड़ता था.
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