नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को कहा था कि 1 लाख से अधिक जमाकर्ताओं को 1,300 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है. ये पैसा उन्हें दिया गया है जो अपने पैसे का उपयोग नहीं कर सके, क्योंकि उनके बैंकों को वित्तीय संकट का सामना करना पड़ा था. ऐसे ही 3 लाख और जमाकर्ताओं को उनके अकाउंट्स में फंसे पैसे दिलाने का काम लगभग पूरा हो चुका है. पीएम ने कहा कि डिपॉजिट इंश्योरेंस और क्रेडिट गारंटी कॉर्पोरेशन (DICGC) एक्ट के तहत 76 लाख करोड़ रुपये की जमा राशि का बीमा किया गया था, जोकि लगभग 98 प्रतिशत बैंक खातों को फुल कवरेज देता है.
केंद्र ने अगस्त में डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन एक्ट में एक संशोधन पारित किया था. इस संशोधन इसलिए था ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के मोरेटोरियम के तहत आने वाले बैंक के होल्डर्स को 90 दिनों के अंदर अपनी इंश्योर्ड जमा राशि प्राप्त हो सके.
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जमा बीमा पर पीएम ने क्या कहा?
प्रधानमंत्री ने कहा कि कोई भी देश समस्याओं के समाधान पर पहले ही ध्यान देकर समस्याओं रोक सकता है. पहले बैंक में जमा राशि में से केवल 50,000 रुपये की गारंटी थी, जिसे बाद में बढ़ाकर 1 लाख रुपये कर दिया गया. उन्होंने कहा, “गरीबों की चिंता को समझते हुए, मध्यम वर्ग की चिंता को समझते हुए हमने इस राशि को बढ़ाकर 5 लाख रुपए कर दिया.”
प्रधानमंत्री ने खाताधारकों को बीमित राशि का चेक सौंपने के दौरान कहा था, “आज का दिन देश के लिए, बैंकिंग सेक्टर और बैंक अकाउंट होल्डर्स के लिए बड़ा महत्वपूर्ण है.”
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डिपॉजिट इंश्योरेंस कानून से क्या बदला?
पंजाब एंड महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव (PMC) बैंक, यस बैंक और लक्ष्मी विलास बैंक जैसे हाल के मामलों में जमाकर्ताओं के लिए बैंकों में जमा अपने ही पैसे को इस्तेमाल करने में परेशानी हुई, जिसने जमा बीमा के विषय पर ध्यान खींचा. इसके बाद सरकार ने इसी साल अगस्त में कुछ महत्वपूर्ण बदलाव किए. इन बदलावों के तहत यदि किसी बैंक में से निकासी पर RBI प्रतिबंध लगाता है तो ऐसी स्थिति में ग्राहकों को 90 दिनों के अंदर 5 लाख रुपये तक की धनराशि प्राप्त करने का हक दिया गया.
वित्त मंत्रालय के अनुसार, जमाकर्ताओं को आमतौर पर अपना ही पूरा पैसा पाने के लिए 8-10 साल तक इंतजार करना पड़ता था. अब कानून में बदलाव के साथ, संकटग्रस्त बैंकों इवेंचुअल लिक्विडेशन की प्रतीक्षा किए बिना जमाकर्ता 90 दिनों के भीतर अपनी बीमित राशि प्राप्त कर सकते हैं.
इस कानून के तहत पहले से ही RBI द्वारा प्रतिबंधित बैंकों के साथ-साथ वो बैंक भी शामिल हैं, जो कभी RBI मोरेटोरियम में आ सकते हैं.
किसी बैंक के मोरेटोरियम के अंदर आने के बाद DICGC पहले 45 दिनों में डिपॉजिट अकाउंट्स की सारी जानकारी एकत्र करता है. उसके बाद के 45 दिनों में इकट्ठा की गई जानकारी काे रिव्यू करता है और 90 दिनों के अंदर ही जमाकर्ताओं का पैसा वापस कर देता है.
इससे पहले क्या थे नियम
इससे पहले, खाताधारकों को अपनी जमा राशि प्राप्त करने के लिए एक वर्षों तक इंतजार करना पड़ता था. जब तक कि बैंक का पुनर्गठन (Restructuring) या उसके पास पैसे का पूरा लिक्विडेशन नहीं हो जाता था, खाताधारकों को इंतजार करना होता था. पिछले साल सरकार ने बीमा राशि को 1 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये कर दिया था. इससे पहले, DICGC ने 1 मई, 1993 को जमा बीमा कवर को 30,000 रुपये से बढ़ाकर एक लाख रुपये कर दिया था.
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5 लाख से ज्यादा रुपये हों तो..?
भारत में यदि कोई बैंक समस्या से गिरता है तो उसमें जमा कराने वाले लोग अधिकतम 5 लाख रुपये तक का ही वापस पा सकते हैं, क्योंकि इतनी ही राशि का बीमा DICGC की तरफ से दिया जाता है. DICGC रिजर्व बैंक की सब्सिडियरी है.
जिन जमाकर्ताओं के खाते में 5 लाख रुपये से अधिक हैं, उनके पास बैंक के डूबने की स्थिति में धन की वसूली के लिए कोई कानूनी सहारा नहीं है. बैंकों में इक्विटी और बॉन्ड निवेशकों के विपरीत, जहां जमाकर्ता बैंकों के पास रखे गए अपने फंड पर सबसे अधिक सुरक्षा का आनंद लेते हैं, वहीं बैंक डूबने की स्थिति में एक जोखिम हमेशा उनके पैसे पर बना रहता है.
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