नई दिल्ली. वाल स्ट्रीट की ब्रोकरेज फर्म बैंक ऑफ अमेरिका (Bank of America) का अनुमान है अगले वित्त वर्ष में भारत की जीडीपी ग्रोथ के 8.2 फीसदी रह सकती है. इसके साथ ही चेतावनी भी दी है कि कि नया साल ग्रोथ, महंगाई के मामले में पिछले दो के मुकाबले ज्यादा जोखिम वाला होगा. यही नहीं, दूसरे बाहरी जोखिम भी मौजूद रहेंगे.
बैंक ऑफ अमेरिका सिक्योरिटीज इंडिया हाउस के अर्थशास्त्रियों ने कहा कि अनुमान में सबसे बड़ा जोखिम गिरती खपत- मांग का है, जो पिछले कुछ सालों में ग्रोथ की सबसे बड़ी वजह रही है. उनका मानना है कि अगले वित्त वर्ष में भी खपत-मांग ग्रोथ के पीछे की मुख्य वजह बनी रहेगी.
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ये अर्थशास्त्री ज्यादा कुल ग्रॉस वैल्यू ऐड (GVA) ग्रोथ की वजह से ऊंची ग्रोथ रहने की उम्मीद कर रहे हैं. इसके पीछे उन्होंने अगले वित्त वर्ष में सब्सिडी में कम आउटगो को भी वजह बताया है. इसके साथ कृषि सेक्टर की ग्रोथ करीब 4 फीसदी पर स्थिर बनी रहेगी और सर्विसेज सेक्टर में भी ग्रोथ मजबूत रहेगी. इस सब को मिलाकर कुल GVA ग्रोथ 7 फीसदी की रहेगी, जो वित्त वर्ष 2022 में 8.5 फीसदी के मुकाबले कम है. वित्त वर्ष 2023 में जीडीपी ग्रोथ 8.2 फीसदी पर रहने का अनुमान है, जो वित्त वर्ष 2022 में 9.3 फीसदी से कम है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि क्योंकि जीडीपी जीवीए प्लस सामान पर अप्रत्यक्ष कर होता है, इसलिए पिछले साल की तरह सब्सिडी में बढ़ोतरी से जीडीपी और जीवीए ग्रोथ में ज्यादा बड़ा अंतर होगा. चूंकि यह अंतर वित्त वर्ष 2022 में कम हो जाएगा, क्योंकि सब्सिडी के ज्यादा कम रहने की उम्मीद है, जिससे जीडीपी-जीवीए ग्रोथ का अंतर वित्त वर्ष 2023 में वापस 1.0 से 1.5 pbs हो जाएगा. इसलिए 7 फीसदी की जीवीए ग्रोथ के साथ, हम वित्त वर्ष 2023 में 8.2 फीसदी की कुल जीडीपी ग्रोथ देखते हैं.
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तिमाही में ग्रोथ में उतार-चढ़ाव बने रहने की उम्मीद है. वित्त वर्ष 2023 की पहली तिमाही में डबल डिजिट ग्रोथ रहेगी, लेकिन चौथी तिमाही में कम सालाना प्रिंट रहेगा, जिसके पीछे की वजह बेस इफैक्ट है. रिपोर्ट में कहा गया है कि आरबीआई के वित्त वर्ष 2023 में रेपो रेट को 100 बेसिस प्वॉइंट्स बढ़ाने की उम्मीद है, जिससे उनका डर है कि खपत-मांग वित्त वर्ष 2023 में पटरी से उतर सकती है.
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