कर्ज नहीं चुकाने पर इस कंपनी के मालिक का पासपोर्ट होगा ज़ब्त

कर्ज नहीं चुकाने पर इस कंपनी के मालिक का पासपोर्ट होगा ज़ब्त
बैंकों ने पासपोर्ट विभाग से गैमन इंडिया के चेयरमैन अभिजीत राजन का पासपोर्ट जब्त करने को कहा है. राजन बैंकों का कर्ज चुकाने में असफल रहे हैं.
- News18Hindi
- Last Updated: October 11, 2018, 5:07 PM IST
बैंकों ने पासपोर्ट विभाग से गैमन इंडिया के चेयरमैन अभिजीत राजन का पासपोर्ट जब्त करने को कहा है. राजन बैंकों का कर्ज चुकाने में असफल रहे हैं. सूत्रों ने कहा कि कंपनी का करीब 7,000 करोड़ रुपये का कर्ज गैर निष्पादित आस्तियां (एनपीए) बन चुका है. बैंकों के गठजोड़ में प्रमुख बैंक ने अधिकारियों को राजन के पासपोर्ट का ब्योरा दे दिया है.इस बारे में संपर्क करने पर गैमन इंडिया ने टिप्पणी से इनकार किया.
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नीरव मोदी और विजय माल्या जैसे कर्ज नहीं चुकाने वालों से निपटने के लिए वित्त मंत्रालय ने पहले सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को निर्देश दे दिया है कि जिन लोगों पर 50 करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज बकाया है उनके पासपोर्ट का ब्योरा हासिल किया जाए. (ये भी पढ़ें-150 रुपए में खरीदें ये सभी सामान, यहां लगी है बड़ी Sale)
पासपोर्ट ब्योरे से बैंक समय पर कार्रवाई कर सकेंगे और संबंधित अधिकारियों को इसकी जानकारी दे सकेंगे जिससे कर्ज धोखाधड़ी करने वाले देश से बाहर नहीं जा सकें.इससे पहले इसी साल संसद में भगोड़ा आर्थिक अपराधी कानून 2018 पारित किया गया। इस विधेयक का मकसद बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों को ऐसे आर्थिक अपराधियों से अधिक वसूली करने में सक्षम बनाना और संस्थानों की वित्तीय सेहत सुधारना है.
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नीरव मोदी और विजय माल्या जैसे कर्ज नहीं चुकाने वालों से निपटने के लिए वित्त मंत्रालय ने पहले सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को निर्देश दे दिया है कि जिन लोगों पर 50 करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज बकाया है उनके पासपोर्ट का ब्योरा हासिल किया जाए. (ये भी पढ़ें-150 रुपए में खरीदें ये सभी सामान, यहां लगी है बड़ी Sale)
पासपोर्ट ब्योरे से बैंक समय पर कार्रवाई कर सकेंगे और संबंधित अधिकारियों को इसकी जानकारी दे सकेंगे जिससे कर्ज धोखाधड़ी करने वाले देश से बाहर नहीं जा सकें.इससे पहले इसी साल संसद में भगोड़ा आर्थिक अपराधी कानून 2018 पारित किया गया। इस विधेयक का मकसद बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों को ऐसे आर्थिक अपराधियों से अधिक वसूली करने में सक्षम बनाना और संस्थानों की वित्तीय सेहत सुधारना है.