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बड़ी खबर- 50 करोड़ मजदूरों को समय पर मिले सैलरी और बोनस, इससे जुड़े नए नियम सितंबर में हो सकते है लागू

 कपड़ा उद्योग क्षेत्र में लाखों मजदूर बेरोजगार हो गए हैं. (प्रतीकात्मक तस्वीर)

कपड़ा उद्योग क्षेत्र में लाखों मजदूर बेरोजगार हो गए हैं. (प्रतीकात्मक तस्वीर)

केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार (Government of India) मजदूरों की मदद के लिए नए नियम ला रही है. इसमें खास बात समय पर सैलरी ...अधिक पढ़ें

    नई दिल्ली. केंद्र सरकार (Government of India) मजदूरी से जुड़े नए नियम लाने जा रही है. न्यूज एजेंसी पीटीआई को मिली जानकारी के मुताबिक, सितंबर तक मजदूरी संहिता 2019 (Code on Wages, 2019,) को लागू किया जा सकता है. मजदूरी संहिता में न्यूनतम वेतन (Minimum Wage) और सभी कर्मचारियों (Employee) के लिए समय पर भुगतान का प्रावधान शामिल है, चाहे वह किसी भी सेक्टर और वेतन की सीमा में आते हों. इसका मकसद वेतन में देरी से जुड़ी समस्याओं को सुलझाना है. इसमें यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि पुरुष, महिला और ट्रांसजेंडर को वेतन मिलने में कोई भेदभाव नहीं हो.

    केंद्रीय श्रम मंत्रालय ने 7 जुलाई को जारी किए ड्राफ्ट नियमों को आधिकारिक गैजेट में रखा है. यह सार्वजनिक फीडबैक के लिए 45 दिन तक खुला रहेगा और फिर कोई समस्या नहीं होने पर इसे लागू कर दिया जाएगा. कोड को पिछले साल संसद ने मंजूरी दी थी. नई मजदूरी संहिता से देश में लगभग 50 करोड़ कर्मियों को फायदा होने की उम्मीद है.

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    आइए जानें इससे जुड़ी 5 बड़ी बातें.

    इस बिल को संशोधित किया गया था और इसमें वेतन, बोनस और संबंधित मुद्दों से जुड़े कानूनों को सम्मलित किया गया था. लागू होने के बाद कोड में चार श्रम कानूनों को शामिल किया जाएगा जिसमें न्यूनतम वेतन अधिनियम, मजदूरी संदाय अधिनियम, बोनस भुगतान अधिनियम और समान वेतन अधिनियम हैं.
    मजदूरों को गारंटीड न्यूनतम भुगतान और समय पर सैलरी का भुगतान-मजदूरी संहिता में न्यूनतम वेतन और सभी कर्मचारियों के लिए समय पर भुगतान का प्रावधान शामिल है, चाहे वह किसी भी सेक्टर और वेतन की सीमा में आते हों.
    इसका मकसद वेतन में देरी से जुड़ी समस्याओं को सुलझाना है. इसमें यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि पुरुष, महिला और ट्रांसजेंडर को वेतन मिलने में कोई भेदभाव नहीं हो.
    सरल परिभाषा-मजदूरी संहिता ने श्रम की परिभाषा को बहुत आसान बना दिया है. इससे मुकदमे आदि में कमी आने और नियोक्ताओं के लिए अनुपालन लागत में भी कटौती की उम्मीद है.
    ड्राफ्ट नियमों के मुताबिक, मजदूरी संहिता के अंदर आठ घंटों का काम का दिन अनिवार्य होगा. फैक्ट्री एक्ट के तहत काम करने के घंटों में बदलाव करने का कोई प्रावधान नहीं किया गया है. इससे पहले ऐसी उम्मीद थी कि सरकार अर्थव्यवस्था पर कोरोना के असर की वजह से काम करने के घंटों में इजाफा कर सकती है.

    Tags: Business news in hindi, Labour department, Labour laws, Migrant Laboure, Migrant Laboures, Ministry of Labour and Employment

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