छोटे कर्जदारों के लिए बड़ा झटका! केंद्र ने लोन मोरेटोरियम फिर बढ़ाने का किया विरोध, कहा-बढ़ेगी मुश्किल

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट ने लोन मोरेटोरियम अवधि को फिर बढ़ाने का विरोध किया है.
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में केंद्र के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि छोटे कर्जदारों को पहले ही लोन मोरेटोरियम स्कीम (Loan Moratorium Scheme) का लाभ दिया जा चुका है. वहीं, ब्याज पर ब्याज (Interest on Interest) से भी राहत दी गई है. ऐसे में अब इसे आगे नहीं बढ़ाया जा सकता है. अब अनुच्छेद-32 के तहत अलग-अलग सेक्टरों में मोरेटोरियम सुविधा देना परेशानी का कारण बनेगा.
- News18Hindi
- Last Updated: November 28, 2020, 6:35 PM IST
नई दिल्ली. केंद्र सरकार ने लोन मोरेटोरियम स्कीम (Loan Moratorium Scheme) को बार-बार बढ़ाए जाने का विरोध किया है. केंद्र की ओर से सुप्रीम कोर्ट में पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता (SG Tushar Mehta) ने कहा कि कोविड-19 के कारण देश की आर्थिक हालत पहले ही दुरुस्त नहीं है. जस्टिस अशोक भूषण की बेंच के समक्ष मेहता ने कहा कि छोटे कर्जदारों (Small Borrowers) को मोरेटोरियम स्कीम का लाभ दिया जा चुका है. इसे आगे भी बढ़ाया गया था. केंद्र का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट की ओर से इस मुद्दे पर दी जाने वाली कोई भी राहत अब अलग-अलग सेक्टरों के लिए परेशानी का कारण बन सकती है.
केंद्र ने कहा, अब दी जाने वाली कोई भी राहत खड़ी करेगी मुश्किल
केंद्र ने कहा कि आम लोगों को ब्याज पर ब्याज (Interest on Interest) से भी राहत दे दी गई है. अब इसे आगे नहीं बढ़ाया जा सकता है. अब अलग-अलग सेक्टरों में अनुच्छेद-32 के तहत मोरेटोरियम सुविधा देना परेशानी का कारण बनेगा. सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि लोन रिस्ट्रक्चरिंग की व्यवस्था दे दी गई है. बैंकिंग सेक्टर को इस व्यवस्था के तहत काम करने दिया जाए. देश में वैश्विक महामारी के कारण बने आर्थिक हालात से उबरने की कोई समयसीमा नहीं है. ये कोई नहीं बता सकता कि हालात कब सामान्य होंगे. ऐसे में कोरोना संकट से प्रभावित बड़े कर्जदारों समेत सभी सेक्टरों में ऐसी राहत देना मुश्किल है.
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जस्टिस एमआर शाह ने इस पर कहा, 'क्या सरकार ये कहना चाहती है कि तय लाइन को क्रॉस नहीं किया जाना चाहिए.' वहीं, जस्टिस भूषण ने कहा कि कोर्ट क्रेडाई (Credai), बिजली उत्पादों (Power Producers), मॉल मालिकों (Mall Owners) व ज्वेलरी दुकानदारों (Jewellery Shop Owners) समेत सभी याचिकाकर्ताओं की दलीलें सुनने के बाद इस पर फैसला करेगा. बता दें कि बेंच पहले ही छोटे कर्जदारों के लिए राहत की मांग वाली याचिका का निपटारा कर चुकी है. कोर्ट की पहल पर केंद्र सरकार ने 2 करोड़ रुपये तक के कर्जदारों को ब्याज पर ब्याज में राहत दे दी है.
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क्रेडाई ने कहा, 97 फीसदी लोन एनपीए में हो जाएंगे तब्दील
क्रेडाई की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल (Kapil Sibal) ने कहा कि अगर इस सेक्टर को राहत नहीं दी गई तो 97 फीसदी कर्ज नॉन-परफॉर्मिंग एसेट्स (NPAs) में तब्दील हो जाएंगे. वहीं, बाकी याचिकाकर्ताओं ने लोन मोरेटोरियम अवधि (Moratorium Period) को बढ़ाने की मांग की. उन्होंने कहा कि मोरेटोरियम अवधि को 31 दिसंबर 2020 से बढ़ाकर 31 मार्च 2021 तक किया जाना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट अब इस मामले पर 2 दिसंबर 2020 को सुनवाई करेगा.
केंद्र ने कहा, अब दी जाने वाली कोई भी राहत खड़ी करेगी मुश्किल
केंद्र ने कहा कि आम लोगों को ब्याज पर ब्याज (Interest on Interest) से भी राहत दे दी गई है. अब इसे आगे नहीं बढ़ाया जा सकता है. अब अलग-अलग सेक्टरों में अनुच्छेद-32 के तहत मोरेटोरियम सुविधा देना परेशानी का कारण बनेगा. सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि लोन रिस्ट्रक्चरिंग की व्यवस्था दे दी गई है. बैंकिंग सेक्टर को इस व्यवस्था के तहत काम करने दिया जाए. देश में वैश्विक महामारी के कारण बने आर्थिक हालात से उबरने की कोई समयसीमा नहीं है. ये कोई नहीं बता सकता कि हालात कब सामान्य होंगे. ऐसे में कोरोना संकट से प्रभावित बड़े कर्जदारों समेत सभी सेक्टरों में ऐसी राहत देना मुश्किल है.
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जस्टिस एमआर शाह ने इस पर कहा, 'क्या सरकार ये कहना चाहती है कि तय लाइन को क्रॉस नहीं किया जाना चाहिए.' वहीं, जस्टिस भूषण ने कहा कि कोर्ट क्रेडाई (Credai), बिजली उत्पादों (Power Producers), मॉल मालिकों (Mall Owners) व ज्वेलरी दुकानदारों (Jewellery Shop Owners) समेत सभी याचिकाकर्ताओं की दलीलें सुनने के बाद इस पर फैसला करेगा. बता दें कि बेंच पहले ही छोटे कर्जदारों के लिए राहत की मांग वाली याचिका का निपटारा कर चुकी है. कोर्ट की पहल पर केंद्र सरकार ने 2 करोड़ रुपये तक के कर्जदारों को ब्याज पर ब्याज में राहत दे दी है.
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क्रेडाई ने कहा, 97 फीसदी लोन एनपीए में हो जाएंगे तब्दील
क्रेडाई की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल (Kapil Sibal) ने कहा कि अगर इस सेक्टर को राहत नहीं दी गई तो 97 फीसदी कर्ज नॉन-परफॉर्मिंग एसेट्स (NPAs) में तब्दील हो जाएंगे. वहीं, बाकी याचिकाकर्ताओं ने लोन मोरेटोरियम अवधि (Moratorium Period) को बढ़ाने की मांग की. उन्होंने कहा कि मोरेटोरियम अवधि को 31 दिसंबर 2020 से बढ़ाकर 31 मार्च 2021 तक किया जाना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट अब इस मामले पर 2 दिसंबर 2020 को सुनवाई करेगा.