बीकाजी फूड्स के शेयर की लिस्टिंग कीमत 322.80 रुपये से बढ़कर 446 रुपये हो गई थी. (फ़ोटो: न्यूज18)
नई दिल्ली. देश की दिग्गज स्नैक्स फूड कंपनी बीकाजी फूड्स की लिस्टिंग हाल में शेयर मार्केट में हुई है. लिस्टिंग के बाद से ही इसके शेयर की कीमत बढ़ रही है. 16 नवंबर को मार्केट में अपनी शुरुआत के बाद अब तक स्टॉक 33 प्रतिशत से अधिक बढ़ गया है. इसका प्राइस 322.80 रुपये से बढ़कर 436 रुपये हो गया है.
बीकाजी का स्टॉक आज बुधवार, 30 नवंबर, को 4 फीसदी से अधिक गिरकर बंद हुआ है. नेशनल स्टॉक एक्सचेंज पर बीकाजी फूड्स का आज का क्लोजिंग प्राइस 416.45 रुपये रहा है. आज को छोड़कर पिछले 5 कारोबारी दिनों में 40 फीसदी से अधिक उछाल था. अब भी यह 30 फीसदी से ज्यादा बढ़ हुआ है. 22 नवंबर को इसकी कीमत 313.45 (Closing) थी.
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निवेशकों के लिए क्या करना बेहतर?
चॉइस ब्रोकिंग के ओम मेहरा का कहना है कि निवेशकों को 320-350 रुपये के स्तर के पास नई एंट्री के लिए इंतजार करना चाहिए. चूंकि इसके चार्ट की लम्बी हिस्टरी नहीं है तो इसके बारे में अधिक जानकारी नहीं दी जा सकती है. हालांकि डिलीवरी वॉल्यूम कम हो रही है, जबकि कीमत लगातार बढ़ रही है और यही चिंता का विषय है. हमारा सुझाव है कि निवेशकों को मौजूदा स्तरों से ही मुनाफा वसूली करनी चाहिए.
बीकाजी का शेयर इतना हुआ सब्सक्राइब
बीकाजी फूड्स का आईपीओ 3 से 7 नवंबर की अवधि के दौरान खुला था. क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल खरीदारों ने 881 करोड़ रुपये के आईपीओ को 26.67 गुना सब्सक्राइब किया था. क्यूआईबी ने अपने शेयरों के कोटा से 80 गुना से अधिक और हाई नेट वर्थ वाले इंडिविजुअल खरीदारों ने सात गुना से ज्यादा सब्सक्राइब किया. वहीं खुदरा निवेशकों ने 4.77 और कर्मचारियों के लिए अलग रखे गए हिस्से को 4.38 गुना सब्सक्राइब किया गया.
बहुत महंगा लग रहा है बिकाजी का शेयर
रिसर्च एनालिस्ट प्रशांत तापसे ने कहा, “बाजार के आशावादी मिजाज को देखते हुए, नए लिस्टेड शेयरों की मांग है, लेकिन निवेशकों को इससे मुनाफा वसूली करनी चाहिए. वैल्यूएशन पर बीकाजी फूड्स 100 गुना से ऊपर कारोबार कर रहा है और इस तरह यह बहुत महंगा लग रहा है.”
मेहता इक्विटीज लिमिटेड का कहना है कि एक प्रमुख जोखिम भुजिया और नमकीन उत्पादों की बिक्री पर कंपनी की निर्भरता है, जो बिक्री का लगभग 70 प्रतिशत है. वित्त वर्ष 2011 में इसका ROCE (return on capital employed) 20.88 प्रतिशत की तुलना में वित्त वर्ष 22 में घटकर 13.89 प्रतिशत हो गया. क्योंकि कच्चे माल की कीमतों में वृद्धि पूरी तरह से ग्राहकों पर नहीं डाली जा सकती थी.
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Tags: Investment, IPO, Share market, Stock market
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