नई दिल्ली. प्रमुख तेल मार्केटिंग कंपनी भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (BPCL) में अपनी पूरी हिस्सेदारी बेचने का प्रस्ताव सरकार ने वापस ले लिया है. कंपनी के निजीकरण पर अब नए सिरे से विचार किया जाएगा और नया प्रस्ताव लाया जाएगा. कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में सूत्रों के हवाले से यह जानकारी दी गई है.
रिपोर्ट्स के मुताबिक, सिंगल बिडर के चलते भारत पेट्रोलियम की बिक्री पर आगे नहीं बढ़ने का फैसला सरकार ने किया है. कंपनी की बढ़ी वैल्यू पर दोबारा विनिवेश का प्रस्ताव लाया जाएगा. बीपीसीएल में अभी सरकार की हिस्सेदारी 52.98 फीसदी है. सरकार कंपनी में अपनी पूरी हिस्सेदारी बेचना चाहती है.
हिस्सेदारी बेचने पर दोबारा होगा विचार
एक सरकारी अधिकारी ने बताया कि मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए विनिवेश की प्रक्रिया रोक दी गई है. भविष्य में जब भी कंपनी का विनिवेश होगा सरकार फूंक-फूंक कर कदम उठाएगी. रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतें बढ़ी हैं और दुनियाभर में एनर्जी की जरूरतों में बदलाव आया है. कई देशों पर इसकी आपूर्ति को लेकर दबाव है. साथ ही देशों का आपसी समीकरण भी तेजी से बदल रहा है. इन सभी मसलों पर विचार करने के बाद ही तेल कंपनी के निजीकरण को मंजूरी दी जाएगी.
बिक्री शर्तों में भी बदलाव संभव
बीपीसीएल की बिक्री को लेकर सरकार ने कदम बढ़ा दिए थे और कंपनियों से रुचि पत्र भी मंगाए गए थे. सूत्रों ने बताया कि सरकार बीपीसीएल का आंशिक विनिवेश नहीं चाहती है. गंभीर खरीदार मिलने के बाद ही इसकी बिक्री की जाएगी. विनिवेश के नए प्रस्ताव में बिक्री की शर्तों में भी बदलाव किया जा सकता है.
बीपीसीएल को खरीदने के लिए सरकार को निजी कंपनियों से तीन रुचि पत्र मिले थे. मार्च 2020 में रुचि पत्र आमंत्रित किए गए थे. नवंबर 2020 तक बीपीसीएल के लिए तीन बोलियां मिली थीं. बोली लगाने वाली कंपनियों में अनिल अग्रवाल की वेदांता ग्रुप के अलावा निजी इक्विटी कंपनियां अपोलो ग्लोबल और आई स्कॉयर्ड की थिंक गैस शामिल थीं.
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